लाडवा में किसका खेल बिगाड़ेंगी सपना, मेवा सिंह मारेंगे बाजी या फिर CM नायब सिंह सैनी को मिलेगी जीत?

हरियाणा विधानसभा चुनाव में लाडवा सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। भाजपा के नायब सैनी और कांग्रेस के मेवा सिंह के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है। इनेलो की सपना बड़शामी भी चुनावी मैदान में हैं। सत्ता विरोधी लहर और किसानों की नाराजगी के बीच यह चुनावी लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है। सभी की नजरें इस सीट पर टिकी हैं। नायब सिंह सैनी की स्थिति नायब सैनी हरियाणा के कार्यकारी मुख्यमंत्री हैं। वे लाडवा से भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनके चुनाव प्रचार में कुछ दिन पहले काले झंडे दिखाए गए। इससे उनकी स्थिति पर असर पड़ सकता है। मेवा सिंह की ताकत कांग्रेस के मेवा सिंह ने 2019 में भाजपा के उम्मीदवार को हराया था। उनकी छवि इलाके में अच्छी है। लोग उन्हें पसंद करते हैं। इस बार वे सैनी के खिलाफ हैं। सपना बड़शामी का प्रभाव इनेलो की सपना बड़शामी भी चुनावी मैदान में हैं। वे 2009 में इस सीट से जीत चुकी हैं। उनका भी एक परिवार का इतिहास है, जो चुनाव को प्रभावित कर सकता है। क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े? 2014 में भाजपा ने इस सीट को जीता था, लेकिन अंतर बहुत कम था। इस बार सैनी को मजबूत चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। वोटरों का बिखराव लाडवा में करीब 40% ओबीसी वोटर हैं। सैनी और मेवा सिंह के बीच मुख्य मुकाबला है। सपना बड़शामी की मौजूदगी से वोट बिखरने की संभावना बढ़ गई है। सीएम होने का फायदा नायब सैनी को मुख्यमंत्री होने का फायदा जरूर है। लेकिन सत्ता विरोधी लहर और किसानों की नाराजगी उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है। जाट और दलित वोटर इस सीट पर दलित वोटरों की संख्या करीब 40,000 है। सैनी वोटर 30,000 के करीब हैं। जाट वोट भी महत्वपूर्ण हैं। पार्टी का चुनावी खेल कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों को अपने वोट बैंक को बचाना होगा। जेजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशी को उतारकर चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है। भूपेंद्र हुड्‌डा का समर्थन कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्‌डा भी मेवा सिंह का समर्थन करने लाडवा आए। उन्होंने लोगों से मेवा को जिताने की अपील की। नतीजे की प्रतीक्षा लाडवा सीट पर चुनावी माहौल गरम है। सभी पार्टियों के लिए जीत हासिल करना चुनौती होगी। चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि कौन सी पार्टी जीतती है। गौरतलब है कि यह चुनाव लाडवा के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। सभी की नजरें इस सीट पर टिकी हुई हैं। चुनावी नतीजे से पता चलेगा कि किसकी जीत होती है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में लाडवा सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। भाजपा के नायब सैनी और कांग्रेस के मेवा सिंह के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है। इनेलो की सपना बड़शामी भी चुनावी मैदान में हैं। सत्ता विरोधी लहर और किसानों की नाराजगी के बीच यह चुनावी लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है। सभी की नजरें इस सीट पर टिकी हैं।

नायब सिंह सैनी की स्थिति

नायब सैनी हरियाणा के कार्यकारी मुख्यमंत्री हैं। वे लाडवा से भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनके चुनाव प्रचार में कुछ दिन पहले काले झंडे दिखाए गए। इससे उनकी स्थिति पर असर पड़ सकता है।

मेवा सिंह की ताकत

कांग्रेस के मेवा सिंह ने 2019 में भाजपा के उम्मीदवार को हराया था। उनकी छवि इलाके में अच्छी है। लोग उन्हें पसंद करते हैं। इस बार वे सैनी के खिलाफ हैं।

सपना बड़शामी का प्रभाव

इनेलो की सपना बड़शामी भी चुनावी मैदान में हैं। वे 2009 में इस सीट से जीत चुकी हैं। उनका भी एक परिवार का इतिहास है, जो चुनाव को प्रभावित कर सकता है।

क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े?

2014 में भाजपा ने इस सीट को जीता था, लेकिन अंतर बहुत कम था। इस बार सैनी को मजबूत चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

वोटरों का बिखराव

लाडवा में करीब 40% ओबीसी वोटर हैं। सैनी और मेवा सिंह के बीच मुख्य मुकाबला है। सपना बड़शामी की मौजूदगी से वोट बिखरने की संभावना बढ़ गई है।

सीएम होने का फायदा

नायब सैनी को मुख्यमंत्री होने का फायदा जरूर है। लेकिन सत्ता विरोधी लहर और किसानों की नाराजगी उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है।

जाट और दलित वोटर

इस सीट पर दलित वोटरों की संख्या करीब 40,000 है। सैनी वोटर 30,000 के करीब हैं। जाट वोट भी महत्वपूर्ण हैं।

पार्टी का चुनावी खेल

कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों को अपने वोट बैंक को बचाना होगा। जेजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशी को उतारकर चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है।

भूपेंद्र हुड्‌डा का समर्थन

कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्‌डा भी मेवा सिंह का समर्थन करने लाडवा आए। उन्होंने लोगों से मेवा को जिताने की अपील की।

नतीजे की प्रतीक्षा

लाडवा सीट पर चुनावी माहौल गरम है। सभी पार्टियों के लिए जीत हासिल करना चुनौती होगी। चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि कौन सी पार्टी जीतती है।

गौरतलब है कि यह चुनाव लाडवा के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। सभी की नजरें इस सीट पर टिकी हुई हैं। चुनावी नतीजे से पता चलेगा कि किसकी जीत होती है।