तोशाम विधानसभा चुनाव: बंसीलाल परिवार की टक्कर

हरियाणा के भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट पर चुनावी माहौल गर्म है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल का परिवार एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा है। उम्मीदवारों का परिचय भाजपा ने श्रुति चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह पूर्व सांसद किरण चौधरी की बेटी हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस ने अनिरुद्ध चौधरी को टिकट दिया है। अनिरुद्ध, बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्र के बेटे हैं। दोनों चचेरे भाई-बहन हैं। बंसीलाल परिवार की विरासत तोशाम सीट पर बंसीलाल परिवार का लंबे समय से दबदबा रहा है। इस क्षेत्र में 15 चुनाव हुए हैं, जिनमें से 11 बार बंसीलाल परिवार का कोई सदस्य जीता है। श्रुति को अपने परिवार की विरासत का फायदा मिल सकता है, लेकिन चुनाव का माहौल एकतरफा नहीं है। जाट वोट का महत्व तोशाम क्षेत्र में लगभग 70 हजार जाट वोटर हैं। अगर ये वोट कांग्रेस की तरफ चले गए, तो अनिरुद्ध को फायदा हो सकता है। जाट वोटों का बंटवारा श्रुति को नुकसान पहुंचा सकता है। बागी उम्मीदवार का प्रभाव शशिरंजन परमार, जो भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, उनके पास राजपूतों का अच्छा समर्थन है। यहां करीब 15 हजार राजपूत वोट हैं। पिछले चुनाव में शशिरंजन ने अच्छा प्रदर्शन किया था और इस बार भी वे श्रुति को चुनौती दे सकते हैं। ब्राह्मण वोटर्स तोशाम में लगभग 30 हजार ब्राह्मण वोटर भी हैं। जजपा-असपा के उम्मीदवार राजेश भारद्वाज ब्राह्मण वोटों में सेंधमारी कर सकते हैं। इससे भी भाजपा को नुकसान होगा। श्रुति चौधरी का प्रचार श्रुति चौधरी बंसीलाल की विरासत का जिक्र करते हुए जनता से वोट मांग रही हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस में उनकी अनदेखी हुई है। वे यह भी दावा कर रही हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के कारण उनका लोकसभा का टिकट काटा गया। अनिरुद्ध चौधरी का प्रचार अनिरुद्ध चौधरी भी बंसीलाल के नाम पर वोट मांग रहे हैं। वे लोगों से वादा कर रहे हैं कि वे क्षेत्र की पानी की समस्या को हल करेंगे। हालांकि, कई लोगों का कहना है कि उन्हें क्षेत्र में ज्यादा लोग नहीं जानते। पिछले चुनाव का अनुभव शशिरंजन परमार का पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन रहा था। वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और दूसरे नंबर पर आए थे। इस बार वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। मतदाताओं की राय स्थानीय लोगों का कहना है कि श्रुति चौधरी के जीतने के चांस हैं। उनका परिवार यहां काफी काम कर चुका है। कुछ लोग मानते हैं कि अनिरुद्ध चौधरी को जीतने का मौका है, लेकिन वे कम जाने-पहचाने हैं। चुनाव का नतीजा चुनाव के परिणाम तय करने में जातीय समीकरण और स्थानीय पहचान महत्वपूर्ण होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार की चुनावी लड़ाई किस ओर जाती है। गौरतलब है कि इस चुनाव में बंसीलाल परिवार के दो उम्मीदवारों के बीच टक्कर के साथ-साथ जाट, राजपूत, और ब्राह्मण वोटरों की भी अहम भूमिका होगी। इस बार का चुनाव हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है।

हरियाणा के भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट पर चुनावी माहौल गर्म है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल का परिवार एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा है।

उम्मीदवारों का परिचय

भाजपा ने श्रुति चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह पूर्व सांसद किरण चौधरी की बेटी हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस ने अनिरुद्ध चौधरी को टिकट दिया है। अनिरुद्ध, बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्र के बेटे हैं। दोनों चचेरे भाई-बहन हैं।

बंसीलाल परिवार की विरासत

तोशाम विधानसभा सीट पर बंसीलाल परिवार का लंबे समय से दबदबा रहा है। इस क्षेत्र में 15 चुनाव हुए हैं, जिनमें से 11 बार बंसीलाल परिवार का कोई सदस्य जीता है। श्रुति को अपने परिवार की विरासत का फायदा मिल सकता है, लेकिन चुनाव का माहौल एकतरफा नहीं है।

जाट वोट का महत्व

तोशाम क्षेत्र में लगभग 70 हजार जाट वोटर हैं। अगर ये वोट कांग्रेस की तरफ चले गए, तो अनिरुद्ध को फायदा हो सकता है। जाट वोटों का बंटवारा श्रुति को नुकसान पहुंचा सकता है।

बागी उम्मीदवार का प्रभाव

शशिरंजन परमार, जो भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, उनके पास राजपूतों का अच्छा समर्थन है। यहां करीब 15 हजार राजपूत वोट हैं। पिछले चुनाव में शशिरंजन ने अच्छा प्रदर्शन किया था और इस बार भी वे श्रुति को चुनौती दे सकते हैं।

ब्राह्मण वोटर्स

तोशाम में लगभग 30 हजार ब्राह्मण वोटर भी हैं। जजपा-असपा के उम्मीदवार राजेश भारद्वाज ब्राह्मण वोटों में सेंधमारी कर सकते हैं। इससे भी भाजपा को नुकसान होगा।

श्रुति चौधरी का प्रचार

श्रुति चौधरी बंसीलाल की विरासत का जिक्र करते हुए जनता से वोट मांग रही हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस में उनकी अनदेखी हुई है। वे यह भी दावा कर रही हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के कारण उनका लोकसभा का टिकट काटा गया।

अनिरुद्ध चौधरी का प्रचार

अनिरुद्ध चौधरी भी बंसीलाल के नाम पर वोट मांग रहे हैं। वे लोगों से वादा कर रहे हैं कि वे क्षेत्र की पानी की समस्या को हल करेंगे। हालांकि, कई लोगों का कहना है कि उन्हें क्षेत्र में ज्यादा लोग नहीं जानते।

पिछले चुनाव का अनुभव

शशिरंजन परमार का पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन रहा था। वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और दूसरे नंबर पर आए थे। इस बार वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

मतदाताओं की राय

स्थानीय लोगों का कहना है कि श्रुति चौधरी के जीतने के चांस हैं। उनका परिवार यहां काफी काम कर चुका है। कुछ लोग मानते हैं कि अनिरुद्ध चौधरी को जीतने का मौका है, लेकिन वे कम जाने-पहचाने हैं।

चुनाव का नतीजा

चुनाव के परिणाम तय करने में जातीय समीकरण और स्थानीय पहचान महत्वपूर्ण होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार की चुनावी लड़ाई किस ओर जाती है।

गौरतलब है कि इस चुनाव में बंसीलाल परिवार के दो उम्मीदवारों के बीच टक्कर के साथ-साथ जाट, राजपूत, और ब्राह्मण वोटरों की भी अहम भूमिका होगी। इस बार का चुनाव हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है।