हरियाणा में कई मौजूदा MLA के कटेंगे टिकट

हरियाणा में कई मौजूदा MLA के कटेंगे टिकट

टिकट की गारंटी में सर्वे ही नहीं आरएसएस का फीडबैक भी जरूरी

पांच साल की परफॉरमेंस परख रही भाजपा

हरियाणा में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी तैयारी की हैं। इस बार टिकटों का वितरण बिल्कुल अलग तरीके से होगा। चाहे नेता कितना भी बड़ा हो, लेकिन धरातल से मिलने वाले फीडबैक के आधार पर टिकट का फैसला होगा। दो कंपनियों द्वारा किए जा रहे सर्वे की रिपोर्ट और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की तरफ से मिलने वाले फीडबैक के बाद टिकटों के अंतिम चयन पर मोहर लगेगी। सूत्रों के अनुसार कई मौजूदा MLA की टिकट कटेगी। इसके लिए उनके पांच साल की परफॉरमेंस परखी जा रही हैं।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा अगस्त के आखिरी सप्ताह में कैंडिडेट की पहली लिस्ट जारी कर सकती हैं। कैंडिडेट के नामों पर पहले दौर में 30 और 31 जुलाई को दिल्ली में सीनियर नेताओं की मीटिंग में गहन मंथन हो चुका है। हालांकि सर्वे रिपोर्ट के अलावा आरएसएस की तरफ से भी धरालत पर जानकारी जुटाई जा रही है। सर्वे कंपनी की रिपोर्ट के बाद आरएसएस से मिलने वाले फीडबैक को ध्यान में रखकर टिकट दी जाएंगी। भाजपा की कोशिश इस बार हरियाणा में इतिहास रचने की हैं। सूबे के इतिहास में अभी तक किसी भी पार्टी ने जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है।

जातीय समीकरण रहेगा अहम
पिछले 10 सालों से प्रदेश में भाजपा की सरकार हैं। 2014 में अपने खुद के बलबूते बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा 2019 के चुनाव में पांच कदम पीछे रह गई थी। हालांकि भाजपा ने जेजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार दोबारा बना ली। लेकिन सवा चार साल पुराना गठबंधन मार्च महीनें में टूट चुका हैं। 10 साल की एंटी इन्कमबेंसी को खत्म करने की कोशिश के तहत सरकार के मुखिया का चेहरा बदला जा चुका हैं। लेकिन इसका फायदा लोकसभा चुनाव में भाजपा को नहीं मिल पाया। ऐसे में भाजपा की कोशिश विधानसभा चुनाव में किसी कोटे का रखने की बजाए जातीय समीकरण और पार्टी की जीत की कसौटी पर खरा उतरने वाले कैंडिडेट पर दांव खेलने की रहेगी।

मौजूदा विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार हो रहा
भाजपा की तरफ से सभी 40 मौजूदा विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा 2019 के चुनाव में मामूली अंतर से हारने वाले नेताओं की भी डिटेल जुटाई जा रही है कि उनकी पिछले पांच सालों में जनता के बीच परफॉरमेंस किस तरह की रही। तीसरी बार सरकार बनाने की रणनीति के तहत अगर भाजपा को मौजूदा विधायकों की टिकट काटनी पड़ी तो वह इसमें भी हिचकिहाट नहीं करेगी। पांच साल का रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं मिलने पर उनकी भूमिका पूरी तरह बदली दिखाई देगी। भाजपा की कोशिश ये है कि संघ और संगठन की कसौटी पर खरे उतरने वाले ज्यादा से ज्यादा कैंडिडेट उतारे जाएं।

लोकसभा चुनाव में लग चुका झटका
भाजपा को अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा हैं। पिछली बार 10 की 10 सीटें जीतने वाली भाजपा 5 सीटें हार गई। जीती हुई कुछ सीटें ऐसी भी रही, जहां कांग्रेस कैंडिडेट की तरफ से कड़ी टक्कर मिली। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की कोशिश 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को कम करने के साथ-साथ ऐसे उम्मीद्वारों का चयन करने की है, जो उन्हें जीत दिला सके। इतना ही नहीं चार दिन पहले दिल्ली में हुई अहम बैठक में हरियाणा विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र को लेकर भी चर्चा हुई। 2014 और 2019 के मुकाबले इस बार बीजेपी घोषणा पत्र को और ज्यादा आकर्षक बनाने पर विचार कर रही है। इनमें उन मुद्दों और विकासकार्यो के साथ योजनाओं को चिन्हित किया जा रही है, जो सीधे जनता से जुड़े हो।