सुप्रीम कोर्ट में आज यानी सोमवार 8 जुलाई को नीट-यूजी को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पेपर लीक और परीक्षाओं की शुचिता और गोपनीयता पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपना रुख साफ किया। सुप्रीम कोर्ट नें कहा कि अगर पेपर की सुचिता और गोपनियता के साथ खिलवाड़ हुआ तो दोबारा परीक्षा कराने का फैसला लिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में नीट-यूजी परीक्षा को रद्द करने समेत उससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कई सवाल उठाए। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि अगर लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है? ये भी देखना होगा की पेपर लिक किस तरह से हुआ है। लॉकर से पेपर कब निकाले गए? परीक्षा किस समय हुई? अगर परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है तो दुबारा परीक्षा के आदेश दे सकते है। फिलहाल मामले की अगली सुनवाई बुधवार 11 जुलाई को होगी।
किस माध्यम से लीक हुआ पेपर
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर पेपर लीक अगर लीक टेलीग्राम/व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हुआ है तो यह जंगल में आग की तरह फैलता है। वहीं अगर लीक 5 तारीख की सुबह हुआ तो फैलने का समय सीमित था। सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ है कि पेपर से 23 लाख छात्रों का भविष्य जुड़ा है। NTA से सवाल पुछे गए है कि 720 अंक वाले बच्चों को कितने ग्रेस मार्क मिले हैं, और किस आधार पर मिलें है इसकी डिटेल जानकारी चाहिए। जिन छात्रों को 720 अंक मिले है उनमें से कोई रेड फ्लैग यानी खतरे का संकेत तो नही? अगर ऐसा हो तो क्या इसकी जांच हो सकती है?
RE-NEET पर सुप्रीम कोर्ट का विचार
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्र और NTA की तरफ से क्या कार्रवाई की गई है? NTA ने कहा कि बिहार मामले में जानकारी ले कर अदालत को बताएंगे। वहीं, गुजरात मामले में पेपर लिक नहीं हुआ था। परीक्षा शुरू होने से पहले जालाराम सेंटर पर करवाई हुई और पेपर ले लिए गए थे। इस पर सीजेआई ने कहा कि अगर सारे लाभार्थियों की पहचान नहीं हुई है, और पहचान की प्रक्रिया जारी है, तो परीक्षा रद्द करनी होगी। 24 लाख छात्रों का पेपर रद्द कर दोबारा करना हमारे लिए आखिरी ऑप्शन है। 1563 छात्रों ने दुबारा परीक्षा दी, जिन्हे ग्रेस मार्क दिए गए थे। क्या हम लाभार्थी छात्रों का पता लगाने में सक्षम है, अगर ऐसा नही है तो परीक्षा को रद्द किया जा सकता है। इस लिए हम सारी जानकारी चाहते है।