भावुक हुए सतीश यादव, जुबां से निकला दिल का दर्द

भावुक हुए सतीश यादव, जुबां से निकला दिल का दर्द

-समर्थकों के बीच आंसुओं के सैलाब से टूटा सब्र का बांध

एनजेपी हरियाणा, रेवाडी़:

मुझे अब थकान महसूस होने लगी है। क्या मैं सिर्फ हार देखने के लिए बना हूं और अयोग्य लोग विधानसभा जाने के लिए….मैं फिर हार सकता हूं, मगर हार नहीं मानूंगा। मुझे आपके लिए लड़ना है। बेशक इस बार फिर मेरी एक संपत्ति और बिक जाएगी।

कुछ इसी तरह की भाषा रही पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव की। अवसर था चार्य पर चर्चा के लिए बुलाए समर्थकों से सीधे संवाद का। रविवार को रेवाड़ी में होने वाली मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की रैली स्थगित होने के बाद सतीश यादव ने अपने समर्थकों को चाय पर बुला लिया था। बहाना बेशक चाय का था, लेकिन मौका चुनावी तैयारी का था। सतीश ने कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत भी की। सीधे यह नहीं कहा कि भाजपा की टिकट नहीं मिली तो चुनाव लड़ेंगे, लेकिन संकेतों में, गहरे अथों वाले शब्दों के सहारे कह दिया कि चुनाव तो लड़ना ही है। हमेशा की तरह अपने विरोधी कैप्टन अजय सिंह यादव पर निशाना साधा। रेवाड़ी के बाईपास में जानबूझ कर मोड़ डालने, रिश्तेदारों को नौकरी लगाने व अपने खेतों में नहरी पानी ले जाने जैसे मुद्दों को तीखे तेवर के साथ प्रस्तुत किया। कैप्टन व चिरंजीव की राजनीति पर कटाक्ष किए, लेकिन सबसे अहम क्षण था जब सतीश की आखों से आंसुओं का सैलाब टूटा। उनके कुछ समर्थक भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। आंसुओं के सैलाब से जब सब्र का बांध टूटा तो सतीश सब कुछ कह गए। पहले उनके भाषण की बात करते हैं।

भ्रष्टाचार रोकने के लिए खाई थी शिव की कसम

कार्यकर्ताओं के बीच सतीश ने कहा कि-“2019 का चुनाव जेब में पैसे नहीं होने के कारण नहीं लड़ पाया। उससे पहले चुनाव लड़ा तो जेब में पैसे नहीं थे। उन्होंने आज तक कभी किसी से 100 रुपये का चंदा तक नहीं मांगा। जब पत्नी ने नगर परिषद का चुनाव लड़ा तब भगवान भोलेनाथ को साक्षी मानकर कहा था कि अगर सतीश यादव 25 पैसे भी कमेटी से उठा ले तो मेरा कुल का नाश हो जाए। जिस दिन मैं वो चुनाव हारा तब मैा पूरी रात रोया। मुझमें क्या कमी है। जनता मुझे क्यों नहीं पहचान पा रही है। मैंने हर उस आदमी की लड़ाई लड़ी, जिससे मुझे रात को 1:00 बजे भी बुलाया। कभी किसी ने मेरा खून मांगा तो मैंने खून देने से मना नहीं किया। आप मुझे मना कर दो तो मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा, लेकिन चुनाव लड़ना मेरी मजबूरी है। क्या करूं। जब नगर परिषद का चुनाव हारकर मैं पूरी रात रोया तो उन्होंने मुझे कसम दे दी। उन्होंने कहा कि सतीश आपको रोना नहीं है। आप जनता के बिना, लोगों के बगैर नहीं रह सकते। जिस तरह मछली नहीं रह सकती, उसी तरह आप भी लोगों के बिना नहीं रह सकते।

सतीश यादव ने कहा कि राजनीति मेरी मजबूरी नहीं है। मैंने आज तक कई नेताओं को देखा है। मैंने इन लोगों की औकात देखी है। बड़े से बड़े नेताओं के पास जाकर यह नेता उनके ड्राइंग रूम में बैठते है, लेकिन आपको कीड़े-मकोड़े समझते हैं, जबकि सतीश यादव आपको अपनी जान से ज़्यादा समझता है। मुझे लगता है आज मेरी चल नहीं रही तो मैं आपके उतने काम नहीं करवा पा रहा। यह मेरी बेबसी है। आज पता नहीं मुझे क्यों थकान का एहसास हो रहा है, लेकिन मैंने कभी किसी को किसी काम के लिए मना नहीं किया। जो मेरे पास आ गए वह मेरा अपना है। मैंने कभी नहीं कहा कि ये कांग्रेस का है या बीजेपी का। मैं कहता हूँ मेरे पास आ गया तू मेरे लिए भगवान स्वरूप है, लेकिन अगर मैं सही बात कहूं तो मैं ये चाहता हूँ कि मेरी सही बात के ऊपर आप फूल चढ़ाओ। आप मुझे कुछ ना मानो। अपना बेटा, भाई और अपना नेता मानो। मुझे फिर एक और हार स्वीकार है, लेकिन मेरे मन में ये जो आज मेरे आंसू हैं, ये केवल आज जिंदगी में पहली बार आए हैं। मैं कब तक ऐसे लड़ता रहूंगा और मैं क्या इसी बात के लिए बना हूं। अयोग्य लोग विधानसभा में जाएंगे। आज निरंतर यहां अपराधियों का बोलबाला है। निरंतर अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। तहसील में जाए तो पैसा दो। हॉस्पिटल में जाये तो कुत्ते का इन्जेक्शन नहीं। किसान को उचित मूल्य नहीं मिलता। जटवाड़ में जाओं वहां के नेताओं में दम है। यहां के सेना में जाने वाले जवान गौरव बढ़ाते हैं, लेकिन राजनीति में हमारा चुनाव सही नहीं है। यही मेरी चिंता है। राजनीति में हम इतने कमजोर क्यों है। यही बात मेरे मन को परेशान करती है।“

इसके बाद सतीश ने पत्रकारों से बातचीत की। कैप्टन परिवार पर सवाल खड़े किए। सतीश यादव के कार्यक्रम में भाजपा महिला मोर्चा से जुड़ी डा. कविता यादव व सत्यदेव यादव सहित कई पार्टी पदाधिकारी भी शामिल हुए। कार्यकर्ताओं में भाजपा कैडर के चेहरे गिने चुने थे, लेकिन सतीश के सीधे अपने चहेते काफी संख्या में पहुंचे।