GMDA की बैठक में तल्ख रहे राव के तेवर, विपक्ष की तरह खोली पोल

GMDA की बैठक में तल्ख रहे राव के तेवर, विपक्ष की तरह खोली पोल

आज 11 जुलाई को अवसर था मानेसर शहरी क्षेत्र में स्वामित्व पत्र वितरण कार्यक्रम का। जहां मुख्यमंत्री नायब सैनी का साथ केंद्रिय मंत्री राव इंद्रजीत को मंच साझा करना था, लेकिन वह नही पहुंचे। इससे एक दिन पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी ने गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण की बैठक ली थी। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने जिस तरह से तल्ख तेवर दिखाए, उनकी हर जगह चर्चा है। राव इंद्रजीत ने जीएमडीए यानी गुरुग्राम महानगर डेवलपमेंट अथारिटी की बैठक में जिस तरह के तेवर दिखाए थे, उनकी वजह से सरकार असहज और विपक्ष हमलावर है।

राव का कहना है कि गुरुग्राम का कचरा प्रबंधन देखने वाली ईकोग्रीन कंपनी के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से करवानी चाहिए। जीएमडीए की बैठक में उन्होंने कह दिया कि लोकसभा चुनाव के दौरान उनके पास जो फीडबैक था, वह कंपनी के खिलाफ था। कंपनी ने कई बार शर्तों का उल्लंघन किया। कंपनी प्रबंधकों को चेतावनी भी दी गई, लेकिन असर नहीं हुआ। पूरी सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। कूड़े से बिजली बनाने की बात थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सैकड़ों शिकायतों के बाद भी कंपनी को लगातार भुगतान किया गया। राव ने कहा कि यह बेहद गंभीर बात है। कंपनी का टेंडर रद्द करने में भी कोताही बरती गई। यह काम पहले हो सकता था, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि कहीं न कहीं सरकारी अधिकारियों व राजनेताओं का आशीर्वाद कंपनी के ऊपर था। राव की यह चोट सीधी मनोहर सरकार पर थी। राव का आरोप अहम है। उनका सवाल सीधा है। जब पिछले वर्ष दिसंबर में ही टेंडर रद्द करने की फाइल चंडीगढ़ भेजी जा चुकी थी, फिर इस वर्ष जून माह तक फैसला क्यों लिया गया। राव का कहने का अभ्रिप्राय यह भी रहा कि अगर लोकसभा चुनाव से पूर्व ही यह नेक काम कर दिया जाता तो जीत का अंतर बढ़ सकता था।

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राव इंद्रजीत यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि 10 साल पूरे होने को आ रहे हैं, लेकिन गुरुग्राम में न जिला नागरिक अस्पताल बन पाया न बस स्टैंड का निर्माण हुआ। प्रदेश के खजाने में साठ प्रतिशत राजस्व देने वाला गुडगांव मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। राव ने वजीराबाद के खेल स्टेडियम का मुद्दा भी उठाया और सपाट लहजे में कहा कि शिलान्यास के 6 साल बाद भी काम शुरू नहीं हुआ है। राव यह चेतावनी देना भी नहीं भूले कि अगर विधानसभा चुनाव तक नायब सरकार ने तेजी नहीं दिखाई तो इसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।

कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि राव इंद्रजीत के विपक्षी नेता जैसे तेवर आने वाले समय में सरकार की मुश्किल बढ़ा सकते हैं। राव के यह तेवर यह भी बता रहे हैं की उनके मन में कुछ खिचड़ी भी पक रही है। यह खिचड़ी किसके साथ पक रही है, इसमें किस तरह के मसाले मिलेंगे, किस तरह का जायका होगा, समय इन सब सवालों का जवाब देगा। इस बात का जवाब भी समय देगा की नायब व मोहनलाल बडोली की टीम, राव को कितना संतुष्ट कर पाती है। राव इंद्रजीत सिंह को आज मानेसर में मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ भी मंच साझा करना था, लेकिन वह नहीं पहुंचे। हालांकि नायब सैनी के मंत्री सुभाष सुधा और पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह सहित अन्य अधिकांश स्थानीय नेता मौजूद थे। गुरुग्राम जिला अध्यक्ष कमल यादव व संगठन की टीम भी मौजूद रही।

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