अपर्णा संस्था प्रबंधन तथा नियंत्रण ग्रहण विधेयक 2025
हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री, राव नरबीर सिंह विधानसभा में ‘अपर्णा संस्था प्रबंधन तथा नियंत्रण ग्रहण विधेयक 2025’ पेश करने वाले हैं। यह वही अपर्णा संस्था है जिसकी स्थापना एक जमाने के चर्चित योग गुरु स्वामी धीरेंद्र ब्राह्मचारी ने की थी। वही धीरेंद्र ब्राह्मचारी, जिनका प्रधानमंत्री नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी के घर तक बेरोकटोक आना-जाना था। वही धीरेंद्र ब्राह्मचारी जो नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों के योग गुरु थे। बिहार में जन्में वही धीरेंद्र ब्रह्मचारी, जिनके पास महंगी कारें थी। जो अक्सर खुद ड्राइव करके नीली टोयोटा कार में चलते थे। वही धीरेंद्र ब्राह्मचारी जिनके पास कई प्राइवेट प्लेन थे। इन विमानों को वह खुद भी उड़ाया करते थे। ताजा मामला, उन्हीं दिवंगत धीरेंद्र ब्राह्मचारी की अपर्णा संस्था की, गुरुग्राम में स्थित 24 एकड़ 16 मरला जमीन के मालिकाना हक का है, जिस पर कभी हवाई पट्टी भी थी।
जब तगड़ा राजनीतिक रसूख रखने वाले इंदिरा गांधी के गुरु धीरेन्द्र ब्रह्मचारी का 9 जून 1994 को विमान हादसे में निधन हुआ था, तब कुछ समय तक सब कुछ शांत था, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद गुरुग्राम के सेक्टर 31 के निकट स्थित इस करोड़ो की जमीन के मालिकाना हक को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। शक्तिशाली प्रधानमंत्री के योग गुरु होने के नाते तब धीरेंद्र ब्रह्मचारी का ऐसा जलवा था कि केंद्रीय मंत्रियों से लेकर वरिष्ठ नौकरशाह तक उनसे मिलने के लिए लाइन में लगे रहते थे। ऐसी धारणा थी कि जिन पर धीरेंद्र की कृपा हटी, उनकी कुर्सी हटी।
धीरेंद्र ब्राह्मचारी का बचपन
पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल सहित कई नेताओं और पत्रकारों ने अपनी आत्मकथा में भी धीरेंद्र के राजनीतिक रसूख का जिक्र किया है। बारह फरवरी 1924 को बिहार के मधुबनी ज़िले में पैदा हुए धीरेंद्र ब्राह्मचारी का बचपन का नाम धीरेंद्र चौधरी था, लेकिन अल्पायु में ही वह घर छोड़कर सन्यासी हो गए। अगर उनकी कहानी पर जाएंगे तो पूरा ग्रंथ भर जाएगा। नियमानुसार किसी सन्यासी की मौत के बाद उस सूरत में उसकी संपत्ति राज्य की संपत्ति घोषित हो जाती है, जब विधिवत रूप से अपने जीवित रहते सन्यासी ने कोई व्यवस्था न की हो। धीरेंद्र ब्रह्मचारी के मामले में विवाद बढ़ने पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि क्या सरकार योग गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी के आश्रम और उनकी संपत्तियों को अपने कब्जे में ले रही है। हाई कोर्ट का कहना था कि सामान्य परिस्थितियों में स्वामी धीरेंद्र ब्रह्मचारी और उनके द्वारा स्थापित सोसायटी की तमाम संपत्ति राजागमन के तहत राज्य सरकार के पास चली जानी चाहिए थी।
अप्रैल 2023 में हाई कोर्ट ने उन निजी कंपनियों की याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था, जिन्होंने गुरुग्राम में अपर्णा संस्था की कुछ जमीनें खरीदी थी। गुरुग्राम के तत्कालीन उपायुक्त ने इन कंपनियों के पक्ष में हुई रजिस्ट्रियों को रद कर दिया था। धीरेंद्र की संपत्ति गुरुग्राम के सिलोखरा गांव में है। प्रापर्टी पर कब्जे व मालिकाना हक को लेकर किराएदार व कुछ वारिस बताने वाले लोग कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा जा रहा है कि धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने वर्ष 1983-84 के बीच अपर्णा आश्रम की स्थापना की थी। यह आश्रम सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज, दिल्ली के साथ रजिस्टर्ड है। यह काम धीरेंद्र ने ही करवाया था, लेकिन स्वयं को इस सोसायटी का प्रतिनिधि बताने वाले दो लोगों ने 27 दिसंबर 2020 को इस जमीन का एक हिस्सा लगभग 55 करोड़ रुपये में चार कंपनियों को बेच दिया था। इसी की ब्रिकी के प्रलेखों पर डीसी गुरुग्राम ने रोक लगाई थी।
वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार वैद्य कहते हैं कि, आज की उन्हें ठीक से याद नहीं, लेकिन उस समय एक कानून था कि अगर किसी कारणवश किसी संस्था का अस्तित्व न रहे या संस्थान की सामान्य गतिविधियां चलाना संभव न हो तो उस सूरत में सरकार ऐसी संस्था की समस्त चल-अचल संपत्ति अपने नियंत्रण में ले सकती है। हरियाणा सरकार अब यही करने जा रही है। मतलब सरकार इस करोड़ों की जमीन का अधिग्रहण करने जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार
वजीराबाद तहसील के गांव सिलोखरा में जो योगाश्रम, चिकित्सालय और यौगिक अध्ययन केंद्र धीरेंद्र ब्रह्मचारी के जीवित रहते संचालित हो रहे थे, अब वहां कुछ भी नहीं है। तमाम गतिविधियां बंद है। इसी कारण हरियाणा सरकार अब इस संपत्ति का अधिग्रहण करने, प्रबंधन करने तथा संचालन के लिए विधानसभा में विधेयक लेकर आ रही है। राव नरबीर सिंह की ओर से विधानसभा में पेश होने वाले, अपर्णा संस्था प्रबंधन तथा नियंत्रण ग्रहण विधेयक-2025 के बाद विवाद का अंत होने की उम्मीद है।