हरियाणा की राजनीति में इन दिनों तेजी से बहुत कुछ नया घटित हो रहा है। विधानसभा चुनाव नजदीक है तो ऐसा होना स्वभाविक भी है, लेकिन आज हम एक बड़े राजनीतिक संदेश वाले घटनाक्रम पर आपसे बात करेंगे। यह बात है केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और उनके धुर विरोधी पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह का नौकरशाही के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में एक सुर में बोलना।
अहीरवाल के दोनों वरिष्ठ नेताओं के तल्ख तेवरों की। कुछ दिन से आप देख रहे होंगे कि राव इंद्रजीत सिंह की तरह राव नरबीर सिंह भी गुड़गांव जिले के अधिकारियों पर खफा हैं। राव इंद्रजीत सिंह सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान जानबूझ कर बिजली कटौती की गई। वह सीवरेज, बिजली, पानी व जलभराव जैसी समस्याओं का समाधान न हो पाने से नाराज हैं। मूलभूत सुविधाओं की कमी की बात सार्वजनिक मंच से उठाना बहुत बड़ी बात है। बड़ी इसलिए क्योंकि राव इंद्रजीत सिंह सत्तारूढ़ दल के मंत्री हैं।
अब इसी तरह राव नरबीर सिंह भी बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में अपने जनसंपर्क के दौरान अधिकारियों को पानी पी पीकर कोस रहे हैं। वह अधिकारियों को अब्दाली की तरह लुटेरे बता चुके हैं। ऐसे लुटेरे जो गुड़गांव को लूटने आते हैं और चले जाते हैं। भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं को गुड़गांव को लेकर इस तरह के तेवर दिखाना सीधे तौर पर यह बताता है कि दस साल में राज्य सरकार इन नेताओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई। इन नेताओं के बयान आने वाले चुनाव में विपक्ष, खासकर कांग्रेस के लिए वरदान बनने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इन्हीं बयानों के आधार पर आने वाले चुनाव में भाजपा को उलझाने वाले हैं। गुड़गांव की कई रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनस जिस तरह नगर निगम के काम से असंतोष व्यक्त करती आ रही है, उससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि समय रहते राव इंद्रजीत सिंह व राव नरबीर सिंह के उठाए गए सवालों का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में गुड़गांव में इसका गुस्सा नजर आ सकता है। नगर निकायों की यह स्थिति केवल गुड़गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि हरियाणा के अधिकांश शहरों में सरकार अगर सबसे अधिक बदनाम किसी कारण से हुई है तो वह नगर निकायों की कार्यप्रणाली रही है। यह शुभ संकेत है कि वरिष्ठ नेता राव इंद्रजीत सिंह भी इस आवाज का उठा रहे हैं और राव नरबीर सिंह भी। अब यह विधानसभा चुनाव में एंटी इंकंबेंसी से बचने की रणनीति है या फिर बेहाल हो रही जनता की परेशानी के लिए निकला दर्द, कारण कुछ भी हो, लेकिन लोगों का कुछ न कुछ भला जरूर होगा।