विधानसभा में ओपी यादव ने पूछा नसीबपुर के शहीद स्मारक का सवाल, राव नरबीर ने नहीं दिया ठोस जवाब

Narbeer Rao

नसीबपुर में शहीद स्मारक पर नरबीर की ‘ना’
ठंडे जवाब से अहीरवाल की राजनीति गर्म
लोगों को पसंद नहीं आया मंत्री का रुखा जवाब

एनजेपी न्यूज, हरियाणा:
अहीरवाल बेल्ट के लिए आज की बड़ी खबर। विधानसभा में 26 मार्च को जब नारनौल के विधायक व पूर्वमंत्री ओपी यादव ने यह सवाल किया कि उनकी विधानसभा नारनौल के गांव नसीबपुर में सरकार कब शहीद स्मारक बनाएगी, तब केबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह का ठंडा जवाब आया-नहीं श्रीमान जी। इधर नरबीर ने कहा नो, तो उधर अहीरवाल की राजनीति में उबाल आना शुरू। नरबीर के जवाब से एक बात तो स्पष्ट हो गई कि सरकार के तत्कालीन मुखिया मनोहरलाल ने नसीबपुर में शहीद स्मारक बनाने की जो घोषणा की थी, वह आज भी ठंडे बस्ते में है, जबकि अंबाला का शहीद स्मारक 550 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हो चुका है। नरबीर सिंह के जवाब से यह भी स्पष्ट हुआ कि राज्य सरकार और अहीरवाल के मंत्री दोनों ही नसीबपुर को खास नहीं, बस आम ग्राम पंचायत की तरह मान रहे हैं। यह कैसे संभव हो सकता है कि राव नरबीर सिंह इस बात से अंजान हो कि नसीबपुर में दक्षिण हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट के 5000 अनाम शहीदों की शहादत हुई थी। महान स्वतंत्रता सेनानी राव तुलाराम जैसे क्रांतिकारियों के नेतृत्व में नसीबपुर की माटी कुर्बानी से रक्तिम हो गई थी। अंग्रेजों के खिलाफ नसीबपुर के मैदान पर लड़ा गया युद्ध कोई साधारण युद्ध नहीं था, जिसके लिए यह कहा जाए कि गांवों के स्मारक, पंचायतें देख रही है। नरबीर अहीरवाल के वरिष्ठ मंत्री हैं, उनका ऐसा ठंडा जवाब अहीरवाल का पसंद नहीं आया है। एनजेपी से बातचीत में कई लोगों ने कहा कि नरबीर जैसे मंत्री को धाकड़ तरीके से राव तुलाराम जैसे महान नायकों व अन्य शहीदों के सम्मान की पैरवी करनी चाहिए थी, लेकिन राव तुलाराम से जुड़े नसीबपुर के मामले में नरबीर के जवाब में कुछ देर तक तो उदासीनता ही दिखाई दी। हालांकि बाद में पूरक प्रश्न करने पर नरबीर ने शहीद स्मारक के सरकारी प्रस्ताव को चेक कराने का आश्वासन दिया, लेकिन उनका जवाब ठोस नहीं था।
नसीबपुर में 1857 की क्रांति के समय जहां 5000 अनाम वीरों की शहादत हुई थी वहीं इसके बाद भी सैकड़ों लोग आजाद हिंद फौज में शामिल हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स में हम पढ़ते रहे हैं कि यहां के वीरों ने चीन, पाकिस्तान व कारगिल युद्ध में भी अदम्य साहस का परिचय दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 2016 में नसीबपुर में एक बड़ा शहीद स्मारक बनाए जाने की घोषणा की थी। यह स्मारक पर्यटन विभाग को बनाना था, लेकिन घोषणा के वर्षों बाद भी फाइल पता नहीं किस विभाग में अटकी हुई है।
विधानसभा में कैबिनेट मंत्री आरती सिंह राव ने भी ओपी यादव की बात का समर्थन करने का प्रयास किया, लेकिन बिजली मंत्री अनिल विज के खड़े होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष की ऊर्जा उन्हें ही बिठाने में लगी रही। आरती की आवाज स्पष्ट नहीं सुन पाई। अध्यक्ष ने समय का हवाला देते हुए इस विषय पर आगे किसी को बोलने का अवसर नहीं दिया, लेकिन विधानसभा की पांच मिनट की वीडियो क्लिप यह बताने के लिए पर्याप्त है कि सरकार ने जैसा ध्यान अंबाला पर दिया, उससे आधा भी नसीबपुर पर नहीं दिया गया। हालांकि विज का जवाब यह है कि अंबाला में किसी एक स्थान के शहीदों के लिए नहीं बल्कि सभी जगह के शहीदों के सम्मान में स्मारक बनाया गया है। हमारा कहना यह है कि राव नरबीर सिंह का आज का जवाब बताता है कि नसीबपुर सरकार की प्राथमिकता में नहीं है, लेकिन सरकार और सरकार के मंत्री को यह समझ लेना चाहिए की नसीबपुर, आम नहीं खास है। इसका सम्मान भी खास करना होगा।

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