राजनीति में बड़ा नाम रहा है ओमप्रकाश चौटाला का चौ. देवीलाल परिवार के सबसे बड़े राजनीतिज्ञ थे OP चौटाला

हरियाणा की राजनीति में कई दशकों तक अपना प्रभाव रखने वाले इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला नहीं रहे। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। चौटाला की यह विशेषता रही कि वह उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने के बाद भी राजनीति में सक्रिय रहे।

रेवाड़ी, एनजेपी न्यूज।

चौधरी औमप्रकाश चौटाला, राजनीति का एक ऐसा नाम, जिसकी चर्चा हमेशा रहना संभावित है। उनकी कार्यशैली, मुखरता, कमजोरों से हमदर्दी व अपनों से मोहब्बत उन्हें हमेशा दूसरों से अलग और विशिष्ठ रखती है। पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में सेवाएं दे चुके श्री चौटाला अपनी बातें व कार्यों के कारण हमेशा याद किए जाते रहेंगे। पूर्व उपप्र्रधानमंत्री चौ. देवीलाल के पुत्र रहे श्री चौटाला को अपने पिता से ही राजनीतिक विरासत मिली थी।
राजनीति के क्षेत्र में औमप्रकाश चौटाला एक बड़ा नाम रहा है। उन्हें बतौर मुख्यमंत्री हरियाणा की चौधर संभालने का पांच बार मौका मिला है। अपने पांच बार के कार्यकाल में उन्होंने न केवल राज्य की बागडौर को खूबसूरत तरीके से संभाला, बल्कि ऐसे बड़े काम भी किए, जिन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा। यंू तो पूरे राज्य में ओमप्रकाश चौटाला द्वारा कराए गए कार्यों की चर्चा रही है, लेकिन यदि हम रेवाड़ी जिले की बात करें तो यहां भी बड़ी उपलब्धि उनके नाम पर रही है। रेवाड़ी जिला 1989 में घोषित हुआ था। जिला बनने के बाद भी सभी विभागों के अधिकारी अलग-अलग जगहों पर बैठते थे, जिससे अपने काम के लिए आने वालों को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी, इसी समस्या को दूर कराने के लिए उनके कार्यकाल में ही सचिवालय का निर्माण कराया गया था। यह उनके कार्यकाल की उस समय की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। ओमप्रकाश चौटाला जब भी सत्ता में आए, हर बार जिले को नई सौगात मिली। रेवाड़ी में विभिन्न चौक चौराहों का निर्माण भी उनके नाम रहा है। आईटीआई जैसे तकनीकी शिक्षण संस्थानों के निर्माण में भी उनका विशेष योगदान रहा है। लिसाना का पोलिटेक्रिल भी उनके समय में ही बना था। नाईवाली पुल का निर्माण कराकर उन्होंने यहां जाम की बड़ी समस्या से निजात दिलाई थी।
सरकार आपके द्वार की भी रही थी चर्चा:
ओमप्रकाश चौटाला ने अपने काल में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम शुरू किया था। इस दौरान अधिकारी मौके पर जाकर लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे। अधिकारियों को इस प्रकार से जनता के बीच पहुंचने की हिदायत सबसे पहले ओमप्रकाश चौटाला के शासनकाल में ही मिली थी। स्वास्थ्य आपके द्वार कार्यक्रम भी ओमप्रकाश चौटाला ने ही शुरू किया था।
कटाक्ष करने से कभी नहीं चूकते थे चौटाला, विवादों से भी जुड़ गया नाता:
ओमप्रकाश चौटाला की अफसरशाही पर पकड़ काफी मजबूत रही थी। अधिकारियों में उनके नाम का खौफ भी रहता था। एक बात यह भी सामने आई है कि एक बार किसी ने ओमप्रकाश चौटाला से कहा था कि बड़े अधिकारी रात के समय पार्टियों में जाते हैं। नशा भी करते हैं। इसी बात की पुष्टि करने के लिए ओमप्रकाश चौटाला ने एक नियम बना लिया था कि सोने से पहले वे सभी आईएएस व आईपीएस अर्थात एसपी, डीसी से बात करते थे। स्वर्गीय चौटाला की एक आदत यह भी रही थी कि वह अपनी बात को कटाक्ष के रूप में कहने से नहीं चूकते थे। गत वर्ष श्री चौटाला रेवाड़ी आए थे और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल पर कटाक्ष करते हुए थे हमारे यहां आवारा पशुओं को खटारा कहा जाता है। उनके इस बयान से उस समय राजनीतिक गलियारे में काफी शोर-शराबा भी हुआ था। उनके शासनकाल में दो बड़े कांड भी हुए थे, जिनमे से एक महम कांड था, जिसमें गोलियां चली थी और 10 लोगों की जान चली गई थी। दूसरा कंडेला कांड था, जो 2002 में हुआ था। किसानों ने बिजली बिल माफी के लिए आंदोलन किया था। इस कांड में 9 मौतें हुई थी।
कार्यकर्ताओं का किया हमेशा सम्मान:
ओमप्रकाश चौटाला की खास बात यह भी रही कि वे अपने कार्यकर्ताओं को कभी नहीं नजरअंदाज नहीं करते थे। जिन्होंने उनमें आस्था दिखाई, उन्हें राजनीतिक रूप से काफी मजबूत भी किया है। आम इंसान को ऐसी ऊंचाई दे दी, जिसके बारे में वह सोच भी नहीं सकता। मानसिंह को राज्य सभा का सदस्य बना दिया। इसी प्रकार रणवीर सिंह गंगवा, सिरसा से नए चेहरे डॉ. सुशील कुमार इंदौरा को टिकट देकर संसद में पहुंचा दिया। रमेश खटक को बरौदा से तीन बार विधायक बनवा दिया। इसी प्रकार ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें उन्होंने राजनीति के बड़े मुकाम पर पहुंचा दिया।
ओमप्रकाश चौटाला ने सजा भी काटी:
श्री चौटाला ने राजनीति में एक बड़ा मुकाम हांसिल किया, लेकिन उन्हें इस मुकाम की कीमत भी चुकानी पड़ी। उन्हें 1999-2000 के जेबीटी घोटाले में जेल जाना पड़ा। उन्होंने 2013 से 2021 तक अर्थात आठ सालों तक सजा काटनी पड़ी थी। बढ़ती उम्र में इतनी बड़ी सजा से उन्हें जहां सामाजिक वहीं राजनीतिक तौर भी भार नुकसान उठाना पड़ा। उनके जेल में रहने के कारण बेशक उनके बेटे उनके संगठन इनेलो को संभालते रहे, लेकिन जो मजबूती उन्होंने दी, वो बेटे नहीं दे पाए। इनेलो दो फाड़ हो गई अर्थात बड़े बेटे अजयसिंह चौटाला ने जननायक जनता पार्टी बना ली और छोटे बेटे अभयसिंह चौटाला इनेलो को मजबूत करने का प्रयास करते रहे। श्री चौटाला की आठ साल की सजा का पार्टी को इतना गहरा नुकसान हुआ, जिसकी भरपाई आज तक नहीं हो पाई है।