अहीरवाल के वरिष्ठ भाजपा नेता नरबीर सिंह 10 अगस्त को अपने रेवाड़ी स्थित आवास पर कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए आ रहे हैं। वैसे तो अपने आवास पर उनका आना कोई राजनीतिक घटना नहीं है, लेकिन कार्यकर्ता सम्मेलन का समय राजनीतिक दृष्टि से खास है। सामान्य दृष्टिकोण से देखें तो राव नरबीर का अपने समर्थकों से संवाद करना असामान्य घटना नहीं है, क्योंकि वह चुनाव से पूर्व उन सभी विधानसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं से संवाद करते रहे हैं, जहां पर उनका व्यक्तिगत जनाधार है, लेकिन इस बार उनका आना कुछ खास माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ समय से नरबीर सिंह किसी विपक्षी नेता की तरह गुरुग्राम के भ्रष्ट सिस्टम को ललकार रहे हैं। वह एक कदम आगे बढ़कर यह भी कह चुके हैं की वर्ष 2014 से वर्ष 2019 तक उनके कार्यकाल में किसी अधिकारी की गुरुग्राम जिले में भ्रष्टाचार करने की हिम्मत नहीं होती थी। अपनी इसी बात का हवाल देकर वह एक बार फिर बादशाहपुर की बादशाहत हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में उतरेंगे।
आमतौर पर हम देखते हैं कि भाजपा में यह परंपरा नहीं है कि उनका कोई नेता स्वयं को उम्मीदवार घोषित करें, लेकिन इस बार ऐसे नेताओं की लंबी सूची है, जो खुद को उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं। यह कह चुके हैं कि उन्हें चुनाव लड़ना ही है। इनमें राव नरबीर सिंह भी हैं और राव इंद्रजीत सिंह जैसे बड़े भाजपा नेता की बेटी आरती राव भी हैं। स्थानीय स्तर पर बात करें तो सतीश यादव भी रेवाड़ी से चुनाव लड़ने की बात लगभग स्पष्ट कर चुके हैं। कुछ दिन पहले सतीश खोला ने भी ऐसा ही कहा था। कहने का मतलब यह है कि चुनाव पूर्व सीधे तौर पर यह कहा जा रहा है कि इस बार चुनाव लड़ना ही है। राव नरबीर सिंह की चर्चा हम आज इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि वह भी उन नेताओं में शामिल हैं, जिनका व्यक्तिगत जनाधार केवल एक सीट तक सीमित नहीं है। नरबीर सिंह अहीरवाल की कई विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं। उनका रेवाड़ी में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करने का मकसद यह नहीं है कि वह बादशाहपुर छोड़कर रेवाड़ी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इस कार्यकर्ता सम्मेलन के माध्यम से नरबीर एक ओर जहां हाईकमान को अपनी बादशाहपुर के बाहर की ताकत दिखाना चाहेंगे, वहीं दूसरी ओर अपने पुराने साथियों के बीच खुद की स्वीकार्यता परखना चाहेंगे। राव नरबीर सिंह मूल रूप से रेवाड़ी से सटे बूढ़पुर गांव के हैं। यह रेवाड़ी विधानसभा में आता है। रामपुरा हाउस के बाद अहीरवाल में इसी बूढ़पुर हाउस से राजनीति की धारा बहती रही है। नरबीर का आना बूढ़पुर हाउस की ताकत दिखाना है।