हम महेंद्रगढ़ जिले के कनीना कस्बे से जुड़े उस प्रकरण की चर्चा करेंगे, जिसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। हम बात कर रहे हैं 13 दिसंबर को बाघोत गांव के एक युवक मोहित के खुदकुशी करने के मामले की। लेकिन मृतक का एक सप्ताह बाद भी अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है। न सामाजिक स्तर पर कोई बड़ी पहल दिखाई पड़ रही है और न ही अधिकारियों के स्तर पर कोई गंभीरता नजर आ रही है। मामला एक ही जगह उलझा है। मृतक मोहित के पिता कैलाश चंद्र शर्मा पुजारी तब तक शव लेने के लिए तैयार नहीं है, जब तक की इस मामले में पूर्वमंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, उनके बेटे गौतम व उन, अन्य लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज न हो जाए, जिनके खिलाफ उन्होंने पुलिस को शिकायत दी है। दूसरी ओर पुलिस इस मामले में खुद को इसलिए बेबस बता रही है, क्योंकि कोई सुसाइड नोट मृतक के पास से नहीं मिला है। कैलाश शर्मा का प्रो. रामबिलास शर्मा से विवाद काफी पुराना है। इसी कारण प्रो. रामबिलास शर्मा के पक्ष में भी लोग बोल रहे हैं। कनीना के उस सिविल अस्पताल के पास अब न धरना है न भीड़, जहां पर शव रखा हुआ है, लेकिन अहम सवाल यह जरूर पूछा जा रहा है कि आखिर मोहित के शव को कब अग्नि नसीब होगी।
तीन-चार दिन पूर्व नांगल चौधरी के पूर्व विधायक व पूर्व सिंचाई राज्यमंत्री डा. अभयसिंह यादव ने भी एक बयान जारी करके यह कहा था कि प्रो. शर्मा के खिलाफ यूं इस तरह एफआइआर का दबाव बनाना उचित नहीं है। तीन दिन पूर्व महेंद्रगढ़ जिला भाजपा के कई पदाधिकारियों ने भी प्रोफेसर रामबिलास शर्मा के पक्ष में आवाज उठाई है।
मोहित के शव का 13 दिसंबर को पोस्टमार्टम हो गया था, लेकिन परिजनों ने शव उठाने से इंकार कर दिया था। मोहित के पिता कैलाश शर्मा ने काफी समय पूर्व प्रो. रामबिलास पर करोड़ों रुपये हड़पने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। कैलाश के अनुसार उसका बेटा मोहित इसी बात से परेशान था।
इस मामले में कानून अपना काम करेगा। हम न किसी को दोषी ठहरा रहे हैं और न ही किसी के धरने को गलत बता रहे हैं। हम केवल घटना की सूचना आप तक पहुंचा रहे हैं।