राव बिरेंद्र सिंह के पौत्र अभिजीत की विशाल एकता यात्रा

राव बिरेंद्र सिंह के पौत्र अभिजीत की विशाल एकता यात्रा

सत्ताईस जुलाई को राव बिरेंद्र सिंह के पौत्र और राव अजीत सिंह के बेटे अभिजीत सिंह ने नारनौल से गुरुग्राम तक विशाल एकता यात्रा निकाली । कुछ दिन शांति से चिंतन मनन के बाद अभिजीत सिंह इस यात्रा के जरिए फिर से सकिय हुए हैं। अटेली क्षेत्र से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। चुनावी एलान के साथ ही उन्होंने नारनौल के रघुनाथपुरा मंदिर से गुरुग्राम के खेड़की दौला बार्डर तक विशाल एकता यात्रा निकाली थी। एनजेपी हरियाणा को 29 जुलाई को दिए अपने साक्षात्कार में राव अभिजीत इस यात्रा का औचित्य भी बता चुके हैं।

आप लिंक पर जाकर पूरा इंटरव्यू अलग से भी देख सकते हैं।

NJP HARYANA

अभिजीत सबसे पहले तो रामपुरा हाउस की एकता के लिए पूरा प्रयास करेंगे। वह चाहेंगे कि उनके ताऊ राव इंद्रजीत सिंह, पिता राव अजीत सिंह और चाचा राव यादुवेंद्र सिंह एक हों। पहले घर की फूट दूर हो और फिर पूरा परिवार अहीरवाल की एकता के लिए बाहर निकले। उन्हें अपने ताऊ और भाजपा के वरिष्ठ नेता केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक कद का अहसास है। इसलिए वह पूरी सावधानी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पहला प्रयास ताऊ को ही राजी रखने का होगा। अभिजीत को यह बात अखर रही है कि जब वह अटेली से चुनावी तैयारी में जुटे हुए हैं तो फिर अटेली में राव इंद्रजीत और उनकी बहन आरती राव की रुचि क्यों बढ़ रही है, लेकिन समझौते की टेबल पर बैठने से पहले अभिजीत खुद का राजनीतिक वजन देखना व तौलना चाहते हैं। आज की बात करें तो राव बिरेंद्र सिंह के जमाने वाली रामपुरा हाउस की राजनीतिक विरासत राव इंद्रजीत सिंह के पास ही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यदुवेंद्र व अभिजीत के लिए भी आदर है। जनता के बीच अपने परिवार के प्रति शेष इसी आदर भावना के आधार पर अभिजीत ने यह यात्रा निकाली है। इसका मकसद है पूरे अहीरवाल क्षेत्र में अपनी पहचान बढ़ाना और स्वीकार्यता बढ़ाना। वह राजनीतिक दलों, अपने समर्थकों व शुभचिंतकों को यह बताना चाह रहे हैं राजनीति में उनका भी एक स्थान है। इस लक्ष्य को पाने के लिए ही उन्होंने विशाल एकता यात्रा का आयोजन किया। अभिजीत का पहला प्रयास ताऊ के माध्यम से किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की टिकट हासिल करना होगा। अगर ताऊ इतना नहीं कर पाए तो उनकी अपेक्षा यह रहेगी कि वह जिस दल से चुनाव लड़े, उस दल में उनके सामने आरती न आए। आरती ही क्यों राव इंद्रजीत सिंह के आशीर्वाद का कोई भी चेहरा सामने नहीं आए। इतना ही नहीं, अभिजीत अपने ताऊ का आशीर्वाद भी चाहते हैं ताकि रामपुरा परिवार से जुड़े वोट विभाजित न हो। यह समय बताएगा कि उनको कब और कितनी कामयाबी मिल पाएगी। हमारा मानना है कि वह जल्द ही किसी राजनीतिक दल में शामिल होंगे। उनकी प्राथमिकता राष्ट्रीय दल की रहेगी, लेकिन अच्छी आफर मिली तो क्षेत्रीय दल के साथ भी उनका तालमेल हो सकता है। अभिजीत की राजनीति पर आज इतना ही।

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