विधानसभा चुनाव जिस तेजी से निकट आ रहे हैं, नेताओं में भी उतनी ही जोर आजमाइश तेज हो रही है। भाजपा में अमित शाह के बयान के बाद यह तय हो चुका है कि सत्ता मिलने पर सीएम का चेहरा नायब सैनी ही होंगे, लेकिन कांग्रेस में अभी तक ऐसा नहीं है। कांग्रेस बहुमत पाने बाद ही अपने पत्ते खोलेगी। हालांकि प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम ही आगे नजर आता है और साथ ही दीपेंद्र सिंह हुड्डा की स्वीकार्यता बढ़ाने की पहल नजर आती है, लेकिन कुमारी सैलजा आज भी भूपेंद्र हुड्डा व उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए बड़ी चुनौती है। सूत्रों के अनुसार सैलजा न केवल टिकट वितरण के मामले में पूरा दखल करेगी, बल्कि कुछ नीतिगत मामलों में भी अपनी बात मनवाने का प्रयास करेगी। सैलजा की हाईकमान तक सीधी पहुंच किसी से छुपी नहीं है, लेकिन जनाधार के मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास अपने सजातीय वोटों की भारी पोट है। यही हुड्डा की ताकत है। हुड्डा के पास ऐसे नेताओं की भी लंबी सूची है, जो उनके प्रति आज वफादार दिख रहे हैं। सैलजा इस मामले में कमजोर है। उनके साथ रणदीप सुरजेवाला जैसे कुछ बड़े चेहरे तो खड़े दिखाई देते हैं, लेकिन किरण चौधरी के जाने के बाद कोई बड़ा चेहरा सीधे उनके साथ नहीं है। अहीरवाल के नेता कैप्टन यादव की अपनी राजनीति है। वह कभी हुड्डा के साथ नजर आते हैं तो कभी सैलजा उन्हें भविष्य की बड़ी नेता नजर आती है, लेकिन मौका लगने पर वह सीधे कह देते हैं कि वह किसी गुट के नहीं हैं। पार्टी के नेता हैं। सोनिया गांधी उनकी नेता है। वह अपने आप में बड़े नेता है, लेकिन अंदरखाने की खबर यही है कि जब दो में से किसी एक को चुनने की बारी आएगी तो कैप्टन की पंसद कुमारी सैलजा हो सकती है। चौ. बिरेंद्र सिंह की भी यही स्थिति है। वह अभी तो जरूरत पूरी करने के लिए हुड्डा के साथ दिखाई पड़ रहे हैं, लेकिन वह वही करेंगे जो राहुल गांधी चाहेंगे या सोनिया गांधी चाहेंगी।
हम आज यहां पर कुमारी सैलजा का जिक्र इसलिए लेकर आए हैं, क्योंकि सैलजा हरियाणा के हर मुद्दे पर उतनी ही मुखर होकर बोल रही है, जितनी मुखरता से भूपेंद्र हुड्डा बोल रहे हैं। हम आज आपको पिछले एक सप्ताह के दौरान सैलजा के कुछ बयान बताते हैं। वह मुखर होकर हर मुद्दे पर सरकार को घेर रही है।
पिछले कुछ दिनों के दौरान सैलजा ने महंगाई और अपराध पर सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई देश के लिए अभिशाप बनी हुई है। महंगाई की कोख से ही अपराध पनप रहे हैं। जमाखोर, मुनाफाखोर और कालाबाजारी करने वाले महंगाई को बढ़ावा दे रहे हैं। लहसुन 300 रुपये किलो बिक रहा है एवं अन्य सब्जियों के दाम में भी 02 से 03 गुने का उछाल आया है। अच्छे दिनों का वादा कर सत्ता में आई इस सरकार ने सिर्फ महंगाई बढ़ाई है। उनके राजनीतिक बयान भी लगातार आ रहे हैं। विधानसभा उपचुनाव में इंडिया गठबंधन को 11 सीटें मिलने पर उन्होंने भाजपा पर तीखे कटाक्ष किए। वह उत्तराखंड की प्रभारी हैं। वहां की दोनों सीटें जीतना उनकी खुशी बढ़ा गया।
इसी क्रम में उन्होंने मिड डे मील वर्करों के मानदेय की समस्या को भी उठाया और सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की हड़ताल से मरीजों को हुई परेशानी और चिकित्सकों की समस्या को भी उठाया। कर्ज के कारण किसानों की लगातार बढ़ रही आत्महत्या हो या फसल बीमा से जुड़ी समस्या, सैलजा हर विषय पर लगातार खुलकर बोल रही है। सैलजा का संदेश पूरी तरह साफ है। अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो केवल हुड्डा नहीं, वह भी मुख्यमंत्री पद की एक दावेदार हैं। हमारी अपनी राय में आज के दिन कांग्रेस पर हुड्डा परिवार की पकड़ बेहद मजबूत है। कांग्रेस के साधारण बहुमत से सत्ता में आने पर उनकी राह रोकना आसान नहीं होगा, लेकिन बहुमत की आंधी चली तो न केवल सैलजा बल्कि ऐसे किसी भी नेता की उम्मीद पूरी हो सकती है, जिस पर हाईकमान का आशीर्वाद होगा। फिलहाल तो कांग्रेस के सामने मिलकर लड़ने की चुनौती है। पार्टी की फूट व किसी भी नेता की जिद हाथ में आती दिख रही सत्ता को कांग्रेस से दूर कर सकती है।