हरियाणा विधानसभा चुनावों के बीच कांग्रेस की लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने अचानक चुनाव प्रचार से दूरी बना ली हैं। उन्होंने यह फैसला पार्टी में चल रहे अंदरूनी विवाद और टिकट बंटवारे को लेकर उभरे असंतोष के कारण लिया है। सैलजा की चुप्पी कांग्रेस के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकती हैं।
टिकट बंटवारे को लेकर उभरा असंतोष
कुमारी सैलजा, जो अनुसूचित जाति से आती हैं, कांग्रेस का एक प्रमुख दलित चेहरा हैं। विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में सैलजा के समर्थकों की अपेक्षा भूपेंद्र हुड्डा गुट को ज्यादा तवज्जो दी गई है। सैलजा ने अपने समर्थकों के लिए 30 से 35 टिकटों की मांग की थी, लेकिन हुड्डा गुट को 70 से अधिक टिकट दिए गए। इसके परिणामस्वरूप, सैलजा के समर्थकों को केवल आधा दर्जन टिकट मिले।
सैलजा ने बनाई चुनाव प्रचार से दूरी
कुमारी सैलजा की इस अचानक चुप्पी से कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो सकती है। चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच रहा है, ऐसे में उनकी अनुपस्थिति ने पार्टी में चिंता बढ़ा दी है। उनके समर्थकों की कमी के कारण, यह चुनावी मौसम कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
जातिगत टिप्पणी और विरोध
सैलजा के नाराज होने का एक प्रमुख कारण नारनौंद में एक कांग्रेस उम्मीदवार के नामांकन के दौरान की गई जातिगत टिप्पणी है। इस टिप्पणी ने पार्टी के भीतर विवाद खड़ा कर दिया है और विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है, जिससे कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
सैलजा के समर्थन में उतरे हुड्डा
भूपेंद्र हुड्डा ने कुमारी सैलजा के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी में किसी भी नेता के लिए अभद्र टिप्पणी अस्वीकार्य है। उन्होंने इसे एक साजिश करार दिया और कहा कि ऐसी मानसिकता का समाज या राजनीति में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
गुटबाजी की स्थिति
हरियाणा में चुनाव से पहले ही कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी अब खुलकर सामने आ गई है। भूपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा शुरू की, जबकि सैलजा ने अपनी अलग संदेश यात्रा शुरू की। पार्टी हाई कमान ने सभी नेताओं को एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने की सलाह दी, लेकिन सैलजा की चुप्पी इस सलाह को चुनौती देती है।
भविष्य की दिशा
अब यह देखना होगा कि कुमारी सैलजा की चुप्पी कब तक जारी रहती है और क्या पार्टी हाई कमान इस मामले में कोई ठोस कदम उठाएगा। यदि सैलजा सक्रिय नहीं होतीं, तो इससे कांग्रेस को चुनावी नुकसान हो सकता है।
गौरतलब है कि सैलजा की चुप्पी और गुटबाजी ने कांग्रेस के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। चुनावी माहौल में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कांग्रेस इन मुद्दों का समाधान कैसे करती है और क्या सैलजा फिर से मैदान में लौटेंगी?