सही सुझाव के साथ सामने आए पूर्व सिंचाई मंत्री डा. अभय सिंह यादव

नसीबपुर में शहीद स्मारक बनाने के मुद्दे पर अहीरवाल की राजनीति में उबाल आया हुआ है। विधानसभा में नारनौल के विधायक ओपी यादव के एक सवाल के जवाब में जब सैनिक व अर्ध सैनिक कल्याण मंत्री राव नरबीर सिंह का उदासीन जवाब आया तो नसीबपुर के प्रति आस्था रखने वाले लोगों के बयान भी शुरू हो गए। इस मामले में राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों का रुख अधिक आक्रामक है या राव नरबीर सिंह ही कहीं चूक कर गए। डा. यादव ने कहा कि सबको तकरार छोड़कर एकजुट होना होगा और मिलकर जुनून की हद तक प्रयास करने होंगे तब जाकर स्मारक बनेगा। उनका सुझाव है कि शहीदों के सम्मान में एक भव्य स्मारक की आवश्यकता है, इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने एक बयान में कहा कि पिछले कुछ दिनों से नसीबपुर के स्वतंत्रता संग्राम में अमर शहीद राव तुलाराम के नेतृत्व में शहीद हुए कई हज़ार शहीदों की याद में स्मारक बनाने को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है। इस राजनीतिक बहस पर अपना मत व्यक्त करते हुए डॉ. यादव ने कहा कि शहीदों के सम्मान में एक सुंदर शहीद स्मारक बनाने के लिए व्यर्थ के वाद विवाद में फंसने की जरूरत नहीं है। स्मारक बनाने की कार्यवाही को गति देना सरकार व जनप्रतिनिधियों दोनों की ही ज़िम्मेवारी है। 1857 में नसीबपुर के मैदान में एक अद्भुत इतिहास लिखा गया था, जिसकी याद मात्र ही पूरे राष्ट्र को सदैव रोमांचित एवं प्रेरित करती रहेगी। शहीदों का सम्मान करना एक राष्ट्रीय ज़िम्मेवारी है क्योंकि शहीद इस पूरे राष्ट्र की धरोहर हैं। उन्हें किसी परिवार, जाति, धर्म या क्षेत्र विशेष से जोड़ना शहीदों के सम्मान की बात नहीं है। डा. अभय सिंह ने 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा को अब तक लागू न कर पाने को न राव इंद्रजीत की विफलता माना न राव नरबीर सिंह की। उन्होंने ओमप्रकाश यादव पर भी सीधे दोष नहीं मढ़ा, बल्कि यह स्वीकार किया कि यह हम सभी की असफलता है, क्योंकि कि पिछले 10 साल में सरकार में रहते हुए भी हम इसका निर्माण नहीं करवा पाए। डा. अभय सिंह की यह स्वीकारोक्ति यह भी बता रही है कि स्मारक के प्रति यहां के जन प्रतिनिधियों की भी उदासीनता रही और राज्य सरकार की भी। हालांकि उन्होंने सीधे राज्य सरकार पर अंगुली नहीं उठाई, लेकिन कहीं न कहीं सरकार की घोषणा को पूरा करना सरकार का ही दायित्व था। डा. अभय सिंह का यह कहना सही है कि हमें दूसरों को कोसने की बजाय अपने आप में ही आत्म चिंतन की आवश्यकता है। डॉ. यादव ने कहा कि उचित यह होगा कि हम इस व्यर्थ के आरोप-प्रत्यारोप से बाहर निकलकर एक सुंदर स्मारक बनाने की योजना बनाएं। उन्होंने इस स्मारक के लिए एक बड़ी परिकल्पना भी पेश की है। उनका कहना है कि नसीबपुर का शहीद स्मारक एक बहु आयामी कंप्लेक्स के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। ऐसा कंप्लेक्स जिसमें भव्य स्मारक के साथ ही एक सुंदर पार्क हो। थियेटर यानी रंगशाला हो। एक इनडोर स्टेडियम, स्विमिंग पूल एवं लाइब्रेरी आदि की सुविधाएं हो। शहर का हर नागरिक इस स्मृति से लगातार जुड़ा रहे ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। रंगशाला में न केवल देश भक्ति के आयोजन होते रहें बल्कि इसके साथ ही उसी भवन को टाउन हाल के रूप में भी नागरिक सभाओं के आयोजन स्थल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। युवाओं के लिए इनडोर गेम्स की सुविधा इनडोर स्टेडियम में उपलब्ध हों। इन सभी सुविधाओं के साथ ही एक सुंदर पार्क भी विकसित हो, ताकि शहर का आम नागरिक कुछ समय यहाँ सुविधा अनुसार व्यतीत कर सके। डॉ यादव ने कहा कि नगरपरिषद नारनौल को इसके लिए भूमि उपलब्ध करवाकर सभी सुविधाओं से युक्त एक विस्तृत प्रस्ताव स्थानीय विधायक के माध्यम से सरकार को तुरंत भिजवाना चाहिए। लोगों का कहना है कि सुझाव अच्छा है, बशर्ते की इसके पीछे किसी तरह की राजनीति न होने पाए। अभय सिंह ने यह भी स्पष्ट कर दिया किसरकारों के पास कभी भी ऐसे कामों के लिए बजट का अभाव नहीं होता, केवल इन कामों को करने के लिए एक प्रबल इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है। अगर इच्छा शक्ति हो तो फिर कभी भी यह काम अधूरे नहीं रह सकते। इन कामों को सिरे चढ़ाने के लिए जुनून के स्तर की गंभीरता दिखानी होगी। अब यह सवाल आप लोगों पर छोड़ देते हैं कि डा. अभय सिंह की यह नेक सलाह किसके लिए है। क्या किसी व्यक्ति विशेष को डा. अभय सिंह सलाह दे रहे हैं। क्या किसी जन प्रतिनिधि को अप्रत्यक्ष रूप से गैर गंभीर बता रहे हैं। कहीं उनके निशाने पर ओमप्रकाश यादव तो नहीं या यह मान लें कि राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी डा. अभय सिंह राव तुलाराम व अन्य सभी शहीदों के मामले में राजनीति से ऊपर उठकर सलाह दे रहे हैं।

नसीबपुर में शहीद स्मारक बनाने के मुद्दे पर अहीरवाल की राजनीति में उबाल आया हुआ है। विधानसभा में नारनौल के विधायक ओपी यादव के एक सवाल के जवाब में जब सैनिक व अर्ध सैनिक कल्याण मंत्री राव नरबीर सिंह का उदासीन जवाब आया तो नसीबपुर के प्रति आस्था रखने वाले लोगों के बयान भी शुरू हो गए। इस मामले में राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों का रुख अधिक आक्रामक है या राव नरबीर सिंह ही कहीं चूक कर गए।

डा. यादव ने कहा कि सबको तकरार छोड़कर एकजुट होना होगा और मिलकर जुनून की हद तक प्रयास करने होंगे तब जाकर स्मारक बनेगा। उनका सुझाव है कि शहीदों के सम्मान में एक भव्य स्मारक की आवश्यकता है, इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने एक बयान में कहा कि पिछले कुछ दिनों से नसीबपुर के स्वतंत्रता संग्राम में अमर शहीद राव तुलाराम के नेतृत्व में शहीद हुए कई हज़ार शहीदों की याद में स्मारक बनाने को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है। इस राजनीतिक बहस पर अपना मत व्यक्त करते हुए डॉ. यादव ने कहा कि शहीदों के सम्मान में एक सुंदर शहीद स्मारक बनाने के लिए व्यर्थ के वाद विवाद में फंसने की जरूरत नहीं है। स्मारक बनाने की कार्यवाही को गति देना सरकार व जनप्रतिनिधियों दोनों की ही ज़िम्मेवारी है। 1857 में नसीबपुर के मैदान में एक अद्भुत इतिहास लिखा गया था, जिसकी याद मात्र ही पूरे राष्ट्र को सदैव रोमांचित एवं प्रेरित करती रहेगी। शहीदों का सम्मान करना एक राष्ट्रीय ज़िम्मेवारी है क्योंकि शहीद इस पूरे राष्ट्र की धरोहर हैं। उन्हें किसी परिवार, जाति, धर्म या क्षेत्र विशेष से जोड़ना शहीदों के सम्मान की बात नहीं है।

डा. अभय सिंह ने 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा को अब तक लागू न कर पाने को न राव इंद्रजीत की विफलता माना न राव नरबीर सिंह की। उन्होंने ओमप्रकाश यादव पर भी सीधे दोष नहीं मढ़ा, बल्कि यह स्वीकार किया कि यह हम सभी की असफलता है, क्योंकि कि पिछले 10 साल में सरकार में रहते हुए भी हम इसका निर्माण नहीं करवा पाए। डा. अभय सिंह की यह स्वीकारोक्ति यह भी बता रही है कि स्मारक के प्रति यहां के जन प्रतिनिधियों की भी उदासीनता रही और राज्य सरकार की भी। हालांकि उन्होंने सीधे राज्य सरकार पर अंगुली नहीं उठाई, लेकिन कहीं न कहीं सरकार की घोषणा को पूरा करना सरकार का ही दायित्व था।

डा. अभय सिंह का यह कहना सही है कि हमें दूसरों को कोसने की बजाय अपने आप में ही आत्म चिंतन की आवश्यकता है। डॉ. यादव ने कहा कि उचित यह होगा कि हम इस व्यर्थ के आरोप-प्रत्यारोप से बाहर निकलकर एक सुंदर स्मारक बनाने की योजना बनाएं। उन्होंने इस स्मारक के लिए एक बड़ी परिकल्पना भी पेश की है। उनका कहना है कि नसीबपुर का शहीद स्मारक एक बहु आयामी कंप्लेक्स के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। ऐसा कंप्लेक्स जिसमें भव्य स्मारक के साथ ही एक सुंदर पार्क हो। थियेटर यानी रंगशाला हो। एक इनडोर स्टेडियम, स्विमिंग पूल एवं लाइब्रेरी आदि की सुविधाएं हो। शहर का हर नागरिक इस स्मृति से लगातार जुड़ा रहे ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। रंगशाला में न केवल देश भक्ति के आयोजन होते रहें बल्कि इसके साथ ही उसी भवन को टाउन हाल के रूप में भी नागरिक सभाओं के आयोजन स्थल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। युवाओं के लिए इनडोर गेम्स की सुविधा इनडोर स्टेडियम में उपलब्ध हों। इन सभी सुविधाओं के साथ ही एक सुंदर पार्क भी विकसित हो, ताकि शहर का आम नागरिक कुछ समय यहाँ सुविधा अनुसार व्यतीत कर सके।

डॉ यादव ने कहा कि नगरपरिषद नारनौल को इसके लिए भूमि उपलब्ध करवाकर सभी सुविधाओं से युक्त एक विस्तृत प्रस्ताव स्थानीय विधायक के माध्यम से सरकार को तुरंत भिजवाना चाहिए। लोगों का कहना है कि सुझाव अच्छा है, बशर्ते की इसके पीछे किसी तरह की राजनीति न होने पाए। अभय सिंह ने यह भी स्पष्ट कर दिया किसरकारों के पास कभी भी ऐसे कामों के लिए बजट का अभाव नहीं होता, केवल इन कामों को करने के लिए एक प्रबल इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है। अगर इच्छा शक्ति हो तो फिर कभी भी यह काम अधूरे नहीं रह सकते। इन कामों को सिरे चढ़ाने के लिए जुनून के स्तर की गंभीरता दिखानी होगी। अब यह सवाल आप लोगों पर छोड़ देते हैं कि डा. अभय सिंह की यह नेक सलाह किसके लिए है। क्या किसी व्यक्ति विशेष को डा. अभय सिंह सलाह दे रहे हैं। क्या किसी जन प्रतिनिधि को अप्रत्यक्ष रूप से गैर गंभीर बता रहे हैं। कहीं उनके निशाने पर ओमप्रकाश यादव तो नहीं या यह मान लें कि राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी डा. अभय सिंह राव तुलाराम व अन्य सभी शहीदों के मामले में राजनीति से ऊपर उठकर सलाह दे रहे हैं।

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