Haryana के किसान हो रहे एकजुट, भाजपा के खिलाफ बढ़ता जा रहा है किसानों का गुस्सा; कैसे होगी नैया पार?

हरियाणा में किसान अब एक साथ मिलकर अपनी बात कहने के लिए तैयारी कर रहे हैं। वे प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर रहे हैं। इन सत्रों में वे BJP नेताओं से सवाल पूछने की तैयारी कर रहे हैं। खासकर, दिल्ली चलो आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई पर उनके मन में गुस्सा है। प्रशिक्षण सत्र किसान नेता अमरजीत सिंह मोहरी इन सत्रों में किसानों को सिखा रहे हैं। किसान जानना चाहते हैं कि पुलिस ने उन पर गोलियां क्यों चलाईं। वे यह भी पूछना चाहते हैं कि सरकार ने उनका रास्ता क्यों रोका। गुस्से भरी मुलाकातें हाल के दिनों में, कई BJP उम्मीदवारों को किसानों का सामना करना पड़ा। जैसे, फतेहगढ़ गांव में पवन सैनी को किसानों ने घेर लिया। किसानों ने उनके रास्ते में ट्रैक्टर लगा दिए। इसी तरह, अन्य नेताओं जैसे अनिल विज और ज्ञान चंद गुप्ता को भी नाराज किसानों का सामना करना पड़ा। किसानों में गुस्सा है, खासकर शुभकरण सिंह की मौत के बाद। पुलिस की कार्रवाई पर सवाल किसान अब भी दिल्ली चलो आंदोलन को याद कर रहे हैं। उस समय पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। किसानों का कहना है कि उन्हें डराया गया था कि अगर वे विरोध करेंगे, तो उनके पासपोर्ट और वीजा रद्द कर दिए जाएंगे। संयम और ध्यान मर्दोन साहिब की बैठक में किसान कार्यकर्ता नवदीप जलबेड़ा ने संयम बनाए रखने की बात की। उन्होंने कहा कि सवाल पूछते समय शांत रहना जरूरी है। इससे कोई झगड़ा नहीं होगा। एक किसान मनजीत सिंह ने सुझाव दिया कि उन्हें MSP और बढ़ती लागत पर भी सवाल पूछने चाहिए। सामुदायिक चर्चा ये बैठकें किसानों को अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करने का मौका दे रही हैं। जलबेड़ा ने युवाओं के पलायन की समस्या उठाई। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों को खेती से नहीं भटकने देना चाहिए। मोहरी ने कमीशन एजेंटों से लिए गए कर्ज के खतरे के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एक बार कर्ज लेने पर किसान हमेशा के लिए फंस सकते हैं। किसानों की एकता बैठक में मोहरी ने किसानों की एकता पर जोर दिया। उन्होंने 3 अक्टूबर को MSP के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन का आह्वान किया। इसके बाद किसान गुरुद्वारे में लंगर खाने गए। किसानों का बढ़ता गुस्सा जैसे-जैसे बैठकें हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और कैथल जिलों में हो रही हैं, किसान का गुस्सा बढ़ रहा है। यह BJP के लिए चिंता का विषय बन सकता है। कांग्रेस पार्टी भी इसे समझ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वे किसानों से बात करेंगे। BJP की प्रतिक्रिया BJP के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपनी पार्टी का बचाव किया। उन्होंने कहा कि BJP ही किसानों की असली उम्मीद है। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस के समय किसानों को केवल दो रुपये का मुआवजा मिलता था। गौरतलब है कि हरियाणा में किसान अब अधिक संगठित और मुखर हो रहे हैं। वे अपनी समस्याओं के बारे में नेताओं से सवाल पूछने के लिए तैयार हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, किसानों के मुद्दे राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। उनका गुस्सा और मांगें नजरअंदाज करना मुश्किल होगा।

हरियाणा में किसान अब एक साथ मिलकर अपनी बात कहने के लिए तैयारी कर रहे हैं। वे प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर रहे हैं। इन सत्रों में वे BJP नेताओं से सवाल पूछने की तैयारी कर रहे हैं। खासकर, दिल्ली चलो आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई पर उनके मन में गुस्सा है।

प्रशिक्षण सत्र

किसान नेता अमरजीत सिंह मोहरी इन सत्रों में किसानों को सिखा रहे हैं। किसान जानना चाहते हैं कि पुलिस ने उन पर गोलियां क्यों चलाईं। वे यह भी पूछना चाहते हैं कि सरकार ने उनका रास्ता क्यों रोका।

गुस्से भरी मुलाकातें

हाल के दिनों में, कई BJP उम्मीदवारों को किसानों का सामना करना पड़ा। जैसे, फतेहगढ़ गांव में पवन सैनी को किसानों ने घेर लिया। किसानों ने उनके रास्ते में ट्रैक्टर लगा दिए। इसी तरह, अन्य नेताओं जैसे अनिल विज और ज्ञान चंद गुप्ता को भी नाराज किसानों का सामना करना पड़ा। किसानों में गुस्सा है, खासकर शुभकरण सिंह की मौत के बाद।

पुलिस की कार्रवाई पर सवाल

किसान अब भी दिल्ली चलो आंदोलन को याद कर रहे हैं। उस समय पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। किसानों का कहना है कि उन्हें डराया गया था कि अगर वे विरोध करेंगे, तो उनके पासपोर्ट और वीजा रद्द कर दिए जाएंगे।

संयम और ध्यान

मर्दोन साहिब की बैठक में किसान कार्यकर्ता नवदीप जलबेड़ा ने संयम बनाए रखने की बात की। उन्होंने कहा कि सवाल पूछते समय शांत रहना जरूरी है। इससे कोई झगड़ा नहीं होगा। एक किसान मनजीत सिंह ने सुझाव दिया कि उन्हें MSP और बढ़ती लागत पर भी सवाल पूछने चाहिए।

सामुदायिक चर्चा

ये बैठकें किसानों को अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करने का मौका दे रही हैं। जलबेड़ा ने युवाओं के पलायन की समस्या उठाई। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों को खेती से नहीं भटकने देना चाहिए। मोहरी ने कमीशन एजेंटों से लिए गए कर्ज के खतरे के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एक बार कर्ज लेने पर किसान हमेशा के लिए फंस सकते हैं।

किसानों की एकता

बैठक में मोहरी ने किसानों की एकता पर जोर दिया। उन्होंने 3 अक्टूबर को MSP के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन का आह्वान किया। इसके बाद किसान गुरुद्वारे में लंगर खाने गए।

किसानों का बढ़ता गुस्सा

जैसे-जैसे बैठकें हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और कैथल जिलों में हो रही हैं, किसान का गुस्सा बढ़ रहा है। यह BJP के लिए चिंता का विषय बन सकता है। कांग्रेस पार्टी भी इसे समझ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वे किसानों से बात करेंगे।

BJP की प्रतिक्रिया

BJP के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपनी पार्टी का बचाव किया। उन्होंने कहा कि BJP ही किसानों की असली उम्मीद है। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस के समय किसानों को केवल दो रुपये का मुआवजा मिलता था।

गौरतलब है कि हरियाणा में किसान अब अधिक संगठित और मुखर हो रहे हैं। वे अपनी समस्याओं के बारे में नेताओं से सवाल पूछने के लिए तैयार हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, किसानों के मुद्दे राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। उनका गुस्सा और मांगें नजरअंदाज करना मुश्किल होगा।