हरियाणा में कांग्रेस के पास बड़ा मौका

हरियाणा में कांग्रेस के पास बड़ा मौका

हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस काफी उत्साहित नजर आ रही है। दिग्गज नेताओं को लग रहा है कि वो विधानसभा चुनाव में कमाल कर सकते हैं। इसके पीछे की वजह लोकसभा चुनाव का रिजल्ट हैं। राज्य की 10 में से 5 सीटें तो जीती ही साथ ही वोट शेयर बढ़कर 43.67% पर पहुंच गया। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी पर लगाम लगाना है। इसके अलावा संगठन की कमी भी कांग्रेस को खल सकती है।

पिछले 15 सालों में प्रदेशाध्यक्ष तो बदलते रहे, लेकिन संगठन एक बार भी हरियाणा में खड़ा नहीं हो पाया। पहले तंवर और हुड्‌डा की खिंचतान और सैलजा-हुड्‌डा गुट के बीच तनातनी की वजह से संगठन नहीं बन गया। लेकिन दो साल पहले पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा गुट के चौधरी उदयभान के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद कई बार संगठन बनाने की कोशिश हुई, लेकिन सफलता गुटबाजी के चलते नहीं मिल पाई। ऐसे में विधानसभा चुनाव तक कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना ही कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती हैं।

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 28.42% था, जो 2024 में बढ़कर 43.67% पर पहुंच गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सभी 10 सीटें हार गई थी। बीजेपी सभी सीटें जीतकर उत्साह में थी। 6 महीनें बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 पार का नारा दिया। लोकसभा चुनाव की हार के बाद कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव को बहुत हल्के तरीके से लड़ा। उसके बावजूद कांग्रेस 31 सीटें आई तो भाजपा 40 सीटों पर सिमट गई। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में मिली 5 सीटें कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। यहीं वजह है कि कांग्रेस पहले से ज्यादा उत्साह के साथ मैदान में दिख रही है।

लगातार सुधर रहा कांग्रेस का प्रदर्शन

प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन में लगातार सुधार हो रहा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में 15 सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी ने 2019 में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर 31 कर ली। वोट शेयर 20.58% से बढ़कर 28.08% पर आ गया। इसी तरह लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के वोट शेयर में उछाल देखने को मिला। भले ही प्रदेश में पार्टी का प्रदर्शन लगातार सुधर रहा है, लेकिन कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती पार्टी संगठन का अभाव है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने जून में हुई बैठक में पार्टी आलाकमान के सामने यह मुद्दा भी उठाया था।

गुटबाजी के कारण कमजोर

प्रदेश कांग्रेस की इकाई के भीतर गुटबाजी हमेशा से हावी रही है। राहुल गांधी खुद इस गुटबाजी को खत्म कर एकजुट होकर मैदान में उतरने का संदेश दे चुके हैं। पार्टी हाईकमान ने गुटबाजी करने वाले नेताओं पर कार्रवाई का भी संकेत दिया। बावजूद इसके गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। यह गुटबाजी उस वक्त खुलकर सामने आई थी जब कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने पिछले महीनें जुलाई में एक इंटरव्यू के दौरान हुड्डा और बाबरिया पर निशाना साधते हुए कहा था कि ऐसे कई लोग हैं जो अकेले जाना चाहते हैं। जब कोई यह ठान ले कि वह सहयोग नहीं करेगा तो कुछ नहीं कहा जा सकता।

हरियाणा में हुड्डा गुट हावी

हरियाणा कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा गुट का दबदबा हमेशा रहा है। पूर्व सीएम पर आरोप भी लगते रहे कि वह कांग्रेस की प्रदेश इकाई को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। प्रदेश अध्यक्ष उदय भान भी हुड्डा गुट से हैं। खास बात ये है कि प्रभारी दीपक बाबरिया भी हुड्‌डा गुट का फेवर करने का कथित तौर पर आरोप लगता रहा है। पार्टी को एकजुट रखने के लिए हाईकमान चुनाव से पहले सीएम चेहरे की घोषणा करने के पक्ष में नहीं है, लेकिन हुड्डा खेमा भूपेंद्र हुड्‌डा को चुनाव से पहले ही सीएम चेहरा घोषित करने के पक्ष में है।

इस बार कांग्रेस के पास अच्छा मौका

चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि हरियाणा में कांग्रेस के पास इस बार सत्ता में वापसी करने का अच्छा मौका है। सत्ता विरोधी लहर के अलावा, पार्टी के 6 हजार रुपए प्रति माह पेंशन, 500 रुपए में एलपीजी सिलेंडर, 300 यूनिट मुफ्त बिजली, ओपीसी की बहाली और 100 गज के प्लॉट का वायदे का असर दिख रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने गुटबाजी को रोकने के लिए टिकट आवंटन का अपना फॉर्मूला तैयार कर लिया है। सर्वे में मजबूत उम्मीद‌वार को ही टिकट दिया।

आप आज का विस्तार से कार्यक्रम यहां देख सकते हैं –

https://www.youtube.com/live/CNQ15nuyTK4?si=xbGeMJSdh_-nm6o6