चंपई ने ना तो मंत्री पद छोड़ा, ना ही झामुमो से नाता तोड़ा

चंपई ने ना तो मंत्री पद छोड़ा, ना ही झामुमो से नाता तोड़ा

चंपई के अलग पार्टी बनाने की घोषणा से कन्फ्यूजन में है कैडर

बीते हफ्ते भर से मीडिया की सुर्खियां बन रहे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का कैडर भयानक दर्जे तक कन्फ्यूजन का शिकार होकर रह गया है. पांच माह के अपने शासनकाल के बाद उनसे जब सीएम की कुर्सी हेमंत ने वापस मांग ली तो वह नाराज हो गए. हालांकि उन्होंने नाराजगी जाहिर नहीं की. इस नाराजगी की कहानी, तर्क और वर्तमान हालात को गौर से देखें तो साफ पता चलता है कि वह और उनका कैडर भारी कंन्फ्यूज्ड हैं.

थोड़ा समझें कि चंपई के साथ हुआ क्या-क्या अब तक.
4 जुलाई को हेमंत ने उनसे कुर्सी ली.
9 जुलाई को चंपई को मंत्री पद दिया गया.
तब तक सब सामान्य था.
फिर अचानक चंपई के भाजपा में जाने की खबरें उड़ती हैं.
पता चलता है कि वह रांची से जमशेदपुर आए और जमशेदपुर से कोलकाता गए. फिर कोलकाता से नई दिल्ली गए.
रांची-जमशेदपुर-कोलकाता-दिल्ली की उनकी इस यात्रा ने ही खबरों को जन्म दिया.
सवाल यह उठा कि वह रांची से भी दिल्ली जा सकते थे. क्यों नहीं गए?
जो यात्रा रांची से दिल्ली के बीच में एक घंटा पचास मिनट में हो सकती थी, वह 7 घंटे 50 मिनट में क्यों हुई?
फिर दिल्ली पहुंचने के पहले उनका लेटर बम फूटा.
उसके बाद तो वह सुर्खियों में आ ही गए.
हमें जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार उनके बड़े पुत्र और भाजपा के एक कद्दावर नेता ने व्यूह रचना रची थी.
इस व्य़ूह रचना में ये था कि चंपई और उनके बेटे की मुलाकात वह भाजपा नेता अमित शाह से कराएगा.
अमित शाह से चंपई और उनके बेटे की मुलाकात इसलिए कराने की योजना थी कि संथाल परगना और कोल्हान बेल्ट में जो झामुमो की पकड़ है, उसे चंपई डायल्य़ूट कर देंगे.
चंपई के भाजपा में आ जाने से कोल्हान पर भाजपा का एकाधिकार हो जाएगा.
कहा जाता है कि इस मीटिंग के लिए अमित शाह खुद रुचि ले रहे थे. इसीलिए उन्होंने चंपई को यह मैसेज करवाया था कि आप पहले शुभेंदु अधिकारी से कोलकाता में मिल लें, फिर दिल्ली आएं.
यह खेल ठीक चलता, लेकिन झारखंड भाजपा के एक कार्यकर्ता ने सब कुछ लीक कर दिया.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस लीक की जानकारी हो गई थी.
उन्हें पता था कि क्या चल रहा है, फिर भी वह चुप रहे.
उन्होंने कोल्हान क्षेत्र के अपने चारों विधायकों को खुद फोन किया और रांची बुला लिया.
इन चारों विधायकों ने हेमंत से मुलाकात करने में क्षण भर की भी देर नहीं की. इन सभी के साथ हेमंत सोरेन ने फोटो खिचवाई और मीडिया में भिजवा दिया.
चूंकि प्लान लीक हो गया था, इसलिए अमित शाह ने भी चंपई से मिलने से इनकार कर दिया.
चंपई ने ठीक ही कहा कि दो दिनों के दिल्ली प्रवास के दौरान उनकी भाजपा के किसी नेता से मुलाकात नहीं हुई.
मुलाकात होती भी कैसे, जब उधर से ही मना कर दिया गया हो.
अब दूसरा सीन देखें और समझें.
चंपई ने अब तक झारखंड मुक्ति मोर्चा से इस्तीफा नहीं दिया है.
उन्होंने जल संसाधन और उच्च तकनीकी शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा भी नहीं दिया है.
हेमंत सोरेन सरकार ने उनसे इस्तीफा भी नहीं मांगा है और न ही मंत्रालय छीना है.
चंपई ने यह ऐलान कर दिया है कि वह राजनीति से संन्यास नहीं लेंगे लेकिन अलग पार्टी जरूर बनाएंगे.
यह पार्टी उन लोगों को अपने साथ लेकर चलेगी जो समान विचारधारा के हैं.
यह समझने वाली बात है कि चंपई आज भी झामुमो के सदस्य हैं, मंत्री पद भी बरकरार है और उन्होंने नई पार्टी गठन का ऐलान भी कर दिया है.
क्या इससे ज्यादा कन्फ्यूजन और सियासी मामला कुछ और हो सकता है?
भाजपा के तमाम बड़े नेता, जिसमें बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा भी शामिल हैं, चंपई के अपमान की दास्तान सुनाते थक नहीं रहे.
ऐसे में चंपई किस राह पर चलेंगे, भाजपा में जाएंगे या नहीं, अलग पार्टी बनाने की घोषणा के बाद अलग पार्टी बनाएंगे या नहीं, यह देखना इंटरेस्टिंग होगा.
अगर वह झामुमो में ही रह जाते हैं तो कोई अचरज नहीं क्योंकि सूत्र बताते हैं कि हेमंत और दिशोम गुरु शिबू सोरेन से उनकी बात हुई है…