रेवाड़ी में हिन्दू नव वर्ष विक्रमी सम्वंत 2082 के उपलक्ष में कार्यक्रम का आयोजन
रेवाड़ी के झज्जर रोड स्थित श्रीराम पैलेस पर हिन्दू नव वर्ष विक्रमी सम्वंत 2082 के उपलक्ष में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत हवन तथा…
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नसीबपुर में शहीद स्मारक बनाने के मुद्दे पर अहीरवाल की राजनीति में उबाल आया हुआ है। विधानसभा में नारनौल के विधायक ओपी यादव के एक…
सत्रह साल पुराने जज नोट कांड में जस्टिस निर्मल यादव बरी हो गई। CBI कोर्ट ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। मामले…
आज स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव जाटूसाना में थी। उसी जाटूसाना में जो उनके पिता केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की कर्मस्थली रहा है। परिसीमन…
नसीबपुर में शहीद स्मारक पर नरबीर की ‘ना’ठंडे जवाब से अहीरवाल की राजनीति गर्मलोगों को पसंद नहीं आया मंत्री का रुखा जवाब एनजेपी न्यूज, हरियाणा:अहीरवाल…
एनजेपी न्यूज, रेवाड़ी: सेक्टर तीन के कम्युनिटी सेंटर में वैसे तो कई वर्षो से योग सेवा समिति के योग शिविर आयोजित होते रहे हैं, लेकिन 27 से…
क्या हम कहेंगे एक थी जजपा? क्या इनेलो का बचेगा अस्तित्व? क्या करेंगे हुड्डा, अभय व दुष्यंत? एक दिन पूर्व 25 मार्च को ही इनेलो ने…
अपर्णा संस्था प्रबंधन तथा नियंत्रण ग्रहण विधेयक 2025 हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री, राव नरबीर सिंह विधानसभा में ‘अपर्णा संस्था प्रबंधन तथा नियंत्रण ग्रहण विधेयक 2025’ पेश…
विधानसभा सत्र के दौरान कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बहाने एक बार फिर खुद को नंबर टू बता दिया। मतलब वही…
——————————————————— चंडीगढ़।हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) सूची से तीन जातियों—’चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’—को हटाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। सरकार चाहती थी कि इन जातियों को ‘बाल्मीकि’ और ‘चमार’ के नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। राज्य सरकार का तर्क था कि मौजूदा नाम अक्सर अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए इन्हें बदला जाना चाहिए। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इसे असंवैधानिक बताया। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने हरियाणा सरकार को जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति सूची में किसी भी जाति को जोड़ने या हटाने का अधिकार केवल संसद के पास है, राज्य सरकार के पास नहीं। 2013 का आदेश भी असंवैधानिक हरियाणा सरकार ने केंद्र को भेजे पत्र में 2013 के एक सरकारी आदेश का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि ‘चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’ को अनुसूचित जाति सूची से हटाकर ‘बाल्मीकि’ और ‘चमार’ नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। इस आदेश को सभी जिला प्रशासन और जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों को भेजा गया था। केंद्र सरकार ने इस आदेश को भी गलत ठहराया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार, अनुसूचित जाति सूची में कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है। इसलिए, 2013 में हरियाणा सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश भी असंवैधानिक है और इसे बदला जाना चाहिए। केंद्र सरकार का तर्क केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण और अन्य सरकारी लाभ केवल उसी जाति नाम से मिल सकते हैं, जो आधिकारिक सूची में दर्ज है। अगर कोई जाति ‘चूरा’ के नाम से सूचीबद्ध है, तो उसे आरक्षण का लाभ ‘बाल्मीकि’ के नाम से नहीं मिल सकता। इससे स्पष्ट होता है कि जाति नाम बदलने से लोगों को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों और सरकारी योजनाओं का लाभ प्रभावित होगा। क्या होगा अगला कदम? केंद्र सरकार के फैसले के बाद, हरियाणा सरकार को अब अपने 2013 के आदेश की समीक्षा करनी होगी और नए आदेश जारी करने होंगे। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि अनुसूचित जातियों की सूची में कोई भी बदलाव केवल संसद की मंजूरी के बाद ही किया जा सकता है।