इमिग्रेशन बिल पास, घुसपैठ पर सख्ती का नया कानून

बांग्लादेशी घुसपैठ पर केंद्र का कड़ा रुख, पश्चिम बंगाल सीमा सुरक्षा पर विवाद —————————————————————————————— नई दिल्ली। 27 मार्च को लोकसभा में इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल 2025  पारित हो गया, जिससे अवैध घुसपैठ और विदेशी नागरिकों की निगरानी के नियमों को कड़ा कर दिया गया है। इस बिल पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत अब अवैध घुसपैठियों के लिए…

सरकार ने शुरू की तैयारी, NPCI से चल रही बात चीत

—————————————— नई दिल्ली कर्मचारियों के भविष्य निधि संगठन (EPFO) मेंबर्स के लिए एक बड़ा अपडेट आया है। जल्द ही EPFO यूजर्स को UPI के माध्यम से 1 लाख रुपये तक की निकासी की सुविधा मिलने वाली है। सरकार ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं और इस प्रोजेक्ट को लेकर नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से बातचीत जारी है। लेबर सचिव सुमिता डावरा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि आने वाले महीनों में इसे लागू कर दिया जाएगा। UPI से EPFO अकाउंट एक्सेस और ऑटो क्लेम नई सुविधा के तहत EPFO मेंबर्स अपने अकाउंट को UPI की मदद से एक्सेस कर सकेंगे। इससे वे अपने बैलेंस की जानकारी लेने के साथ-साथ ऑटो क्लेम भी कर पाएंगे। सुमिता डावरा के मुताबिक, इस सिस्टम से सब्सक्राइबर्स को क्लेम अप्रूवल में तेजी मिलेगी और फंड सीधे उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएगा। यह सुविधा खासकर इमरजेंसी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिससे यूजर्स को फंड की निकासी में देरी का सामना न करना पड़े। 1 लाख रुपये की निकासी सीमा EPFO ने इस नई सुविधा के तहत निकासी की एक लिमिट भी तय की है। मेंबर्स 1 लाख रुपये तक की राशि UPI के जरिए निकाल सकेंगे। यह राशि मेडिकल इमरजेंसी, हाउसिंग एडवांस, बच्चों की शिक्षा और शादी जैसे महत्वपूर्ण खर्चों के लिए उपयोग की जा सकेगी। सरकार का उद्देश्य इस प्रक्रिया को तेज और सुगम बनाना है, जिससे सब्सक्राइबर्स को किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। तेजी से पूरा होगा प्रोसेस EPFO ने इस सुविधा के लिए एक नया डेटा बेस तैयार किया है। संगठन का लक्ष्य UPI को अपने सिस्टम में पूरी तरह से एकीकृत करना है। NPCI की ओर से इस पर फीडबैक लिया जा रहा है और टेस्टिंग के बाद इसे लागू किया जाएगा। सरकार का मानना है कि यह सिस्टम EPFO मेंबर्स के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि इससे निकासी प्रक्रिया पहले से अधिक तेज और आसान होगी। डिजिटल ट्रांजैक्शन को…

क्या स्टालिन विपक्षी राजनीति में नई लकीर खींच रहे हैं?

वक्फ बिल के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव, केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप तमिलनाडु से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में स्टालिन का बढ़ता कद  2024 लोकसभा चुनाव में बड़ी…

विधानसभा में ओपी यादव ने पूछा नसीबपुर के शहीद स्मारक का सवाल, राव नरबीर ने नहीं दिया ठोस जवाब

नसीबपुर में शहीद स्मारक पर नरबीर की ‘ना’ठंडे जवाब से अहीरवाल की राजनीति गर्मलोगों को पसंद नहीं आया मंत्री का रुखा जवाब एनजेपी न्यूज, हरियाणा:अहीरवाल…

अभय चौटाला का सात राज्यों में प्रदेशाध्यक्ष बनाने का मतलब-सत्ता के लिए होगा संघर्ष

क्या हम कहेंगे एक थी जजपा? क्या इनेलो का बचेगा अस्तित्व? क्या करेंगे हुड्डा, अभय व दुष्यंत?  एक दिन पूर्व 25 मार्च को ही इनेलो ने…

DELHI का पहला ₹1 लाख करोड़ का बजट, यमुना के  लिए 500 करोड़ और महिला समृद्धि योजना

—————————————————————————————— नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को राज्य का पहला ₹1 लाख करोड़ का बजट पेश किया। इस बजट में कई प्रमुख योजनाओं का ऐलान किया गया, जिसमें महिलाओं और गरीबों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। सबसे बड़ा फोकस महिला समृद्धि योजना पर था, जिसके लिए ₹5100 करोड़ का प्रावधान किया गया। इसके तहत दिल्ली की महिलाओं को हर महीने ₹2500 दिए जाएंगे। यमुना और सीवेज सफाई के लिए बड़ा कदम यमुना नदी और दिल्ली के सीवेज सिस्टम की सफाई के लिए ₹9000 करोड़ का बजट रखा गया है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने आयुष्मान योजना के तहत 10 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की घोषणा की। इसमें केंद्र सरकार का ₹5 लाख का लाभ और दिल्ली सरकार का ₹5 लाख का अतिरिक्त योगदान शामिल है। महिला सुरक्षा और मातृत्व वंदन परियोजना महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री ने 50 हजार नए सुरक्षा कैमरे लगाने का ऐलान किया। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को एकमुश्त ₹21,000 देने वाली मातृत्व वंदन परियोजना के लिए ₹210 करोड़ का प्रावधान किया गया। विपक्ष पर तंज मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विपक्षी AAP सरकार पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “AAP ने शीश महल बनवाए, हम गरीबों के लिए घर बनाएंगे।” इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनकी जिद और योजनाओं की नाकामियों के लिए जिम्मेदार ठहराया। DTC का कुप्रबंधन…

हरियाणा सरकार के फैसले को झटका, केंद्र ने SC सूची से 3 नाम हटाने पर लगाई रोक

——————————————————— चंडीगढ़।हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) सूची से तीन जातियों—’चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’—को हटाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। सरकार चाहती थी कि इन जातियों को ‘बाल्मीकि’ और ‘चमार’ के नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। राज्य सरकार का तर्क था कि मौजूदा नाम अक्सर अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए इन्हें बदला जाना चाहिए। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इसे असंवैधानिक बताया। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने हरियाणा सरकार को जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति सूची में किसी भी जाति को जोड़ने या हटाने का अधिकार केवल संसद के पास है, राज्य सरकार के पास नहीं। 2013 का आदेश भी असंवैधानिक हरियाणा सरकार ने केंद्र को भेजे पत्र में 2013 के एक सरकारी आदेश का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि ‘चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’ को अनुसूचित जाति सूची से हटाकर ‘बाल्मीकि’ और ‘चमार’ नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। इस आदेश को सभी जिला प्रशासन और जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों को भेजा गया था। केंद्र सरकार ने इस आदेश को भी गलत ठहराया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार, अनुसूचित जाति सूची में कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है। इसलिए, 2013 में हरियाणा सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश भी असंवैधानिक है और इसे बदला जाना चाहिए। केंद्र सरकार का तर्क केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण और अन्य सरकारी लाभ केवल उसी जाति नाम से मिल सकते हैं, जो आधिकारिक सूची में दर्ज है। अगर कोई जाति ‘चूरा’ के नाम से सूचीबद्ध है, तो उसे आरक्षण का लाभ ‘बाल्मीकि’ के नाम से नहीं मिल सकता। इससे स्पष्ट होता है कि जाति नाम बदलने से लोगों को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों और सरकारी योजनाओं का लाभ प्रभावित होगा। क्या होगा अगला कदम? केंद्र सरकार के फैसले के बाद, हरियाणा सरकार को अब अपने 2013 के आदेश की समीक्षा करनी होगी और नए आदेश जारी करने होंगे। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि अनुसूचित जातियों की सूची में कोई भी बदलाव केवल संसद की मंजूरी के बाद ही किया जा सकता है।

नगर निकायों को ₹587 करोड़ जारी, CM बोले- हर फैसला जनहित में लें

चंडीगढ़। हरियाणा में मंगलवार (25 मार्च) को नगर निकाय चुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। पंचकूला में हुए इस कार्यक्रम में 10 नगर निगमों के मेयर, 28 नगर पालिका व नगर परिषदों के प्रधान, और 687 वार्डों के पार्षदों-सदस्यों ने शपथ ली। इस दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने नगर निकायों को ₹587 करोड़ की राशि जारी करने की घोषणा की और पार्षदों की सुविधा के लिए डिजिटल सेवाओं की शुरुआत की। नगर निकायों के 725 प्रतिनिधियों ने शपथ ली शपथ ग्रहण समारोह की शुरुआत अंबाला उपचुनाव में मेयर बनीं शैलजा सचदेवा के शपथ लेने से हुई। इसके बाद 7 नगर निगमों के अन्य मेयरों और वार्ड पार्षदों ने शपथ ग्रहण किया। सोनीपत निगम उपचुनाव में विजयी मेयर राजीव जैन ने भी शपथ ली। इसके बाद नगर परिषदों, नगर पालिकाओं के प्रधान और पार्षदों ने शपथ ली। CM सैनी के संबोधन की 3 मुख्य बातें मेयरों और अन्य निकाय प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ा शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने मेयरों और अन्य निकाय पदाधिकारियों के मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा की। अब मेयर का मानदेय ₹30,000, सीनियर डिप्टी मेयर का ₹25,000 और डिप्टी मेयर का ₹20,000 होगा। नगर परिषद प्रधान को ₹18,000, नगर पालिका प्रधान को ₹15,000, उप प्रधान को ₹12,000 और पार्षदों को भी बढ़ा हुआ मानदेय मिलेगा। डिजिटल सेवाओं…

हरियाणा में 62 निकायों के ₹1400 करोड़ का हिसाब नहीं, हिसार-गुरुग्राम समेत 10 नगर निगमों में गड़बड़ी

ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा, विधानसभा कमेटी ने जताई गबन की आशंका और सख्त कार्रवाई की सिफारिश गुरुग्राम। हरियाणा के 62 शहरी निकायों, जिनमें 10 नगर निगम भी शामिल हैं, में 1,400 करोड़ रुपये के खर्च का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह रकम टेंपरेरी एडवांस के रूप में अधिकारियों को विकास कार्यों के लिए दी गई थी, लेकिन इसका उपयोग किस तरह हुआ, इसके सबूत नहीं मिले। मामला विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था कमेटी की समीक्षा में सामने आया, जब 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई। कमेटी ने इस अनियमितता को लेकर सरकार से गबन की आशंका जताई है और जांच के आदेश देने के साथ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। खास बात यह है कि जिन 9 नगर निगमों में गड़बड़ी पाई गई, वहां हाल ही में चुनाव हुए हैं और नए मेयरों का शपथ ग्रहण इसी महीने होना है। क्या है टेंपरेरी एडवांस और इसमें कैसे हुई…