DELHI का पहला ₹1 लाख करोड़ का बजट, यमुना के  लिए 500 करोड़ और महिला समृद्धि योजना

—————————————————————————————— नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को राज्य का पहला ₹1 लाख करोड़ का बजट पेश किया। इस बजट में कई प्रमुख योजनाओं का ऐलान किया गया, जिसमें महिलाओं और गरीबों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। सबसे बड़ा फोकस महिला समृद्धि योजना पर था, जिसके लिए ₹5100 करोड़ का प्रावधान किया गया। इसके तहत दिल्ली की महिलाओं को हर महीने ₹2500 दिए जाएंगे। यमुना और सीवेज सफाई के लिए बड़ा कदम यमुना नदी और दिल्ली के सीवेज सिस्टम की सफाई के लिए ₹9000 करोड़ का बजट रखा गया है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने आयुष्मान योजना के तहत 10 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की घोषणा की। इसमें केंद्र सरकार का ₹5 लाख का लाभ और दिल्ली सरकार का ₹5 लाख का अतिरिक्त योगदान शामिल है। महिला सुरक्षा और मातृत्व वंदन परियोजना महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री ने 50 हजार नए सुरक्षा कैमरे लगाने का ऐलान किया। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को एकमुश्त ₹21,000 देने वाली मातृत्व वंदन परियोजना के लिए ₹210 करोड़ का प्रावधान किया गया। विपक्ष पर तंज मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विपक्षी AAP सरकार पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “AAP ने शीश महल बनवाए, हम गरीबों के लिए घर बनाएंगे।” इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनकी जिद और योजनाओं की नाकामियों के लिए जिम्मेदार ठहराया। DTC का कुप्रबंधन…

हरियाणा सरकार के फैसले को झटका, केंद्र ने SC सूची से 3 नाम हटाने पर लगाई रोक

——————————————————— चंडीगढ़।हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) सूची से तीन जातियों—’चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’—को हटाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। सरकार चाहती थी कि इन जातियों को ‘बाल्मीकि’ और ‘चमार’ के नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। राज्य सरकार का तर्क था कि मौजूदा नाम अक्सर अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए इन्हें बदला जाना चाहिए। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इसे असंवैधानिक बताया। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने हरियाणा सरकार को जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति सूची में किसी भी जाति को जोड़ने या हटाने का अधिकार केवल संसद के पास है, राज्य सरकार के पास नहीं। 2013 का आदेश भी असंवैधानिक हरियाणा सरकार ने केंद्र को भेजे पत्र में 2013 के एक सरकारी आदेश का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि ‘चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’ को अनुसूचित जाति सूची से हटाकर ‘बाल्मीकि’ और ‘चमार’ नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। इस आदेश को सभी जिला प्रशासन और जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों को भेजा गया था। केंद्र सरकार ने इस आदेश को भी गलत ठहराया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार, अनुसूचित जाति सूची में कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है। इसलिए, 2013 में हरियाणा सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश भी असंवैधानिक है और इसे बदला जाना चाहिए। केंद्र सरकार का तर्क केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण और अन्य सरकारी लाभ केवल उसी जाति नाम से मिल सकते हैं, जो आधिकारिक सूची में दर्ज है। अगर कोई जाति ‘चूरा’ के नाम से सूचीबद्ध है, तो उसे आरक्षण का लाभ ‘बाल्मीकि’ के नाम से नहीं मिल सकता। इससे स्पष्ट होता है कि जाति नाम बदलने से लोगों को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों और सरकारी योजनाओं का लाभ प्रभावित होगा। क्या होगा अगला कदम? केंद्र सरकार के फैसले के बाद, हरियाणा सरकार को अब अपने 2013 के आदेश की समीक्षा करनी होगी और नए आदेश जारी करने होंगे। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि अनुसूचित जातियों की सूची में कोई भी बदलाव केवल संसद की मंजूरी के बाद ही किया जा सकता है।

नगर निकायों को ₹587 करोड़ जारी, CM बोले- हर फैसला जनहित में लें

चंडीगढ़। हरियाणा में मंगलवार (25 मार्च) को नगर निकाय चुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। पंचकूला में हुए इस कार्यक्रम में 10 नगर निगमों के मेयर, 28 नगर पालिका व नगर परिषदों के प्रधान, और 687 वार्डों के पार्षदों-सदस्यों ने शपथ ली। इस दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने नगर निकायों को ₹587 करोड़ की राशि जारी करने की घोषणा की और पार्षदों की सुविधा के लिए डिजिटल सेवाओं की शुरुआत की। नगर निकायों के 725 प्रतिनिधियों ने शपथ ली शपथ ग्रहण समारोह की शुरुआत अंबाला उपचुनाव में मेयर बनीं शैलजा सचदेवा के शपथ लेने से हुई। इसके बाद 7 नगर निगमों के अन्य मेयरों और वार्ड पार्षदों ने शपथ ग्रहण किया। सोनीपत निगम उपचुनाव में विजयी मेयर राजीव जैन ने भी शपथ ली। इसके बाद नगर परिषदों, नगर पालिकाओं के प्रधान और पार्षदों ने शपथ ली। CM सैनी के संबोधन की 3 मुख्य बातें मेयरों और अन्य निकाय प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ा शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने मेयरों और अन्य निकाय पदाधिकारियों के मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा की। अब मेयर का मानदेय ₹30,000, सीनियर डिप्टी मेयर का ₹25,000 और डिप्टी मेयर का ₹20,000 होगा। नगर परिषद प्रधान को ₹18,000, नगर पालिका प्रधान को ₹15,000, उप प्रधान को ₹12,000 और पार्षदों को भी बढ़ा हुआ मानदेय मिलेगा। डिजिटल सेवाओं…

सांसदों की सैलरी और पेंशन बढ़ी, अब हर सांसद को ₹1.24 लाख

वेतनमें 24% इजाफा | पूर्व सांसदों की पेंशन ₹31 हजार | भत्ते और सुविधाएं भी बढ़ीं नई दिल्ली। सरकार ने सांसदों के वेतन में 24% की बढ़ोतरी कर दी है। संसदीय कार्य मंत्रालय ने सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी की। अब सांसदों को प्रति माह ₹1.24 लाख वेतन मिलेगा, जो पहले ₹1 लाख था। यह बढ़ोतरी कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (लागत मुद्रास्फीति सूचकांक) के आधार पर 1 अप्रैल 2023 से लागू होगी। पूर्व सांसदों की पेंशन और अन्य भत्ते भी बढ़े सांसदों को ये अतिरिक्त भत्ते भी मिलेंगे…

DELHI में पब्लिक ट्रांस पोर्ट बेहाल, निजी गाड़ियों पर निर्भरता बढ़ी

नईदिल्ली।दिल्ली-एनसीआर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बदहाली के चलते लोग निजी वाहनों पर अधिक निर्भर हो गए हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट के अनुसार, लास्ट माइल कनेक्टिविटी की समस्या के कारण लोग मेट्रो या बस तक पहुंचने के लिए भी निजी गाड़ियां और टू-व्हीलर इस्तेमाल कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 49% लोग सफर के लिए प्राइवेट व्हीकल का उपयोग करते हैं, जिनमें से केवल 2% लोग अपने गंतव्य से 500 मीटर की दूरी तक वाहन पार्क करते हैं, जबकि यह दूरी पैदल तय की जानी चाहिए। सीधे गंतव्य तक जा रहे निजी वाहन रिपोर्ट के अनुसार, 10% लोग मेट्रो या ट्रेन तक अपनी कार से पहुंचते हैं, जबकि 60% लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बजाय सीधे अपनी कार से गंतव्य तक जाते हैं। इसी तरह, 75% टू-व्हीलर चालक भी सीधे अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। मेट्रो यात्रियों में से 20% इसे सेकेंडरी ट्रांसपोर्ट के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें 7% लोग निजी गाड़ियों से मेट्रो स्टेशन तक आते हैं। बस सेवा की खराब स्थिति दिल्ली में बसों की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। केवल 9% लोग किसी न किसी मोड़ पर बस का उपयोग कर रहे हैं, जबकि 7% इसे सेकेंडरी ट्रांसपोर्ट के रूप में अपना रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ 4.5% यात्री पैदल चलकर बस स्टॉप तक पहुंचते हैं। बस सेवा की अव्यवस्था के कारण लोग मेट्रो के मुकाबले इसे कम प्राथमिकता देते हैं, जिससे सार्वजनिक परिवहन की हालत और खराब हो रही है। तेजी से बढ़ते निजी वाहन, टैक्स सिस्टम में बदलाव…

BJP सांसद का बड़ा दावा, देसी दारू से किसानों की INCOME में होगी तिगुनी बढ़ोतरी

चरखी दादरी। भिवानी-महेंद्रगढ़ से बीजेपी सांसद धर्मबीर सिंह ने रविवार को चरखी दादरी में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार देसी दारू बनाने की अनुमति देती है, तो इससे न केवल किसानों की आय में तिगुनी बढ़ोतरी हो सकती है, बल्कि नकली शराब पर भी अंकुश लगेगा। इस बयान में उन्होंने देसी दारू के उत्पादन को किसानों के उत्पादों से जोड़ने का प्रस्ताव रखा, जिससे कृषि क्षेत्र को नया  अवसर मिलेगा और हरियाणा की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। देसी दारू से कृषि आधारित उद्योग को मिलेगा नया बाजार सांसद धर्मबीर सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देसी दारू बनाने की अनुमति मिलने से किसानों के उत्पादों जैसे जौ,  अंगूर, गन्ने का रस और अन्य प्राकृतिक पौधों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे किसानों को न केवल एक नया बाजार मिलेगा, बल्कि कृषि आधारित उद्योगों का भी विकास होगा। उनका मानना है कि इस कदम से हरियाणा के कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और राज्य की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। इसके अलावा, धर्मबीर सिंह ने यह भी कहा कि इस कदम से नकली शराब के उत्पादन पर रोक लगेगी, जिससे शराब पीने से होने वाली मौतों की घटनाओं पर काबू पाया जा सकेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे अवैध शराब की समस्या हल होगी और जनता को सुरक्षित शराब मिल सकेगी। आर्थिक और सामाजिक विकास की नई दिशा धर्मबीर सिंह ने क्षेत्र के विकास को लेकर भी अपनी योजनाओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि चरखी- दादरी में आईआईटी और औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे गए हैं। अगर इन परियोजनाओं पर काम शुरू होता है, तो यह क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा और आर्थिक विकास की  दिशा में एक बड़ा कदम होगा। सांसद ने यह भी दावा किया कि बीजेपी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और 2047 तक हरियाणा और केंद्र में केवल …

बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने सरकार के कोचिंग बिल पर उठाए सवाल, 45 पुराने कानूनों को खत्म करने पर चर्चा

जयपुर: राजस्थान में कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार कोचिंग रेगुलेशन बिल लेकर आई है, लेकिन इस बिल पर विधानसभा में ही सत्तारूढ़ बीजेपी के विधायक कालीचरण सराफ ने विरोध जताया है। सराफ ने इस बिल को प्रवर समिति को भेजने की मांग की और सरकार को सलाह दी कि इसे जल्दबाजी में लागू करने से  पहले गहन विचार किया जाए, क्योंकि इसके परिणाम स्वरूप हजारों शिक्षक बेरोजगार हो सकते हैं और अफसरशाही का  हस्तक्षेप बढ़ सकता है। कोचिंग बिल पर बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ का विरोध कोचिंग बिल को लेकर विधानसभा में बहस के दौरान बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने साफ तौर पर सरकार के प्रस्तावित बिल पर अपनी असहमति जताई। उन्होंने इस बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाए और कहा कि यदि इसे पास कर दिया गया, तो यह राज्य में अफसरशाही को  बढ़ावा देगा, जिससे कोचिंग संस्थान राजस्थान से बाहर शिफ्ट हो सकते हैं। सराफ का कहना था कि इससे हजारों शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे और शिक्षा क्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल पैदा होगा। सराफ ने यह भी कहा कि इस बिल के तहत कोचिंग संस्थानों की निगरानी के लिए बनाई गई कमेटी में केवल सरकारी  अधिकारी हैं, जबकि इसमें कोई जनप्रतिनिधि या स्वयंसेवी संस्था का प्रतिनिधि नहीं है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस बिल पर पहले जनता, छात्रों, शिक्षकों और कोचिंग संस्थानों से विचार विमर्श किया जाना  चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर कोई छात्र दो दिन से अधिक अनुपस्थित रहता है, तो उस मामले में उसके माता-पिता को सूचना देने का कोई प्रावधान क्यों नहीं है? राजस्थान में 45 पुराने कानून होंगे खत्म विधानसभा में इस दिन की एक अन्य प्रमुख चर्चा राजस्थान विधियां निरसन विधेयक पर थी, जिसके तहत 45 पुराने और  अप्रचलित कानूनों को समाप्त किया जाएगा। इनमें से 37 कानून पंचायती राज से जुड़े हुए हैं, जिनमें बीकानेर स्टेट डिस्ट्रिक्ट बोर्ड अमेंडमेंट एक्ट 1952 और बीकानेर  म्युनिसिपल अमेंडमेंट एक्ट 1952 जैसे पुराने कानून शामिल हैं। इन कानूनों को समाप्त करने का उद्देश्य शासन में पारदर्शिता लाना और पुराने कानूनों को हटा कर नए और प्रासंगिक कानूनों को लागू करना है।…

बीजेपी अध्यक्ष की रेस में महिला या पुरुष दावेदार? राजस्थान के इन नामों की चर्चा क्यों हो रही है सब से ज्यादा

जयपुर: भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने नए अध्यक्ष का चुनाव जल्द ही करने जा रही है। इस विषय में सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है और हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है कि इस बार पार्टी की कमान किसके हाथ में जाएगी। बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में समाप्त हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर  उन्हें पद पर बने रहने की अनुमति मिली। अब, नई अध्यक्षता की प्रक्रिया के बारे में चर्चा जोरों पर है, और 18-20 अप्रैल को बेंगलुरु में होने वाली नेशनल एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक से पहले नया अध्यक्ष घोषित किए जाने की  संभावना जताई जा रही है। महिला दावेदारों में सबसे अधिक चर्चा इस बार की सबसे बड़ी चर्चा यह है कि क्या बीजेपी को महिला अध्यक्ष मिलेगा? महिला नेताओं में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला  सीतारमण और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। निर्मला सीतारमण, जो 2019 से वित्त मंत्रालय संभाल रही हैं, को इस पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। वहीं, वसुंधरा राजे, जो राजस्थान के झालावाड़ से विधायक हैं और बीजेपी की उपाध्यक्ष भी हैं, उनके संघ से करीबी रिश्ते और पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण अध्यक्ष पद की रेस में शामिल मानी जा रही हैं। पुरुष दावेदारों में भूपेंद्र यादव, सुनील बंसल और ओम प्रकाश माथुर का नाम महिला नेताओं के अलावा बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए कई पुरुष दावेदार भी सामने आए हैं। राजस्थान से बीजेपी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव, जो मौजूदा मोदी सरकार में मंत्री हैं, को एक मजबूत और संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। इसके अलावा, बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल और सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर भी अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। ये सभी नेता पार्टी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी रहे हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी की कई राज्यों में अच्छा प्रदर्शन हुआ है।

9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर लौटीं सुनीता विलियम्स, क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन में कई चुनौतियों का सामना

1650°C तापमान पर 7 मिनट संपर्क टूटा, 8 दिन के मिशन में 9 महीने लग गए ISS से रवाना होने के 17 घंटे बाद स्पेसक्राफ्ट…