नगर निकायों को ₹587 करोड़ जारी, CM बोले- हर फैसला जनहित में लें

चंडीगढ़। हरियाणा में मंगलवार (25 मार्च) को नगर निकाय चुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। पंचकूला में हुए इस कार्यक्रम में 10 नगर निगमों के मेयर, 28 नगर पालिका व नगर परिषदों के प्रधान, और 687 वार्डों के पार्षदों-सदस्यों ने शपथ ली। इस दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने नगर निकायों को ₹587 करोड़ की राशि जारी करने की घोषणा की और पार्षदों की सुविधा के लिए डिजिटल सेवाओं की शुरुआत की। नगर निकायों के 725 प्रतिनिधियों ने शपथ ली शपथ ग्रहण समारोह की शुरुआत अंबाला उपचुनाव में मेयर बनीं शैलजा सचदेवा के शपथ लेने से हुई। इसके बाद 7 नगर निगमों के अन्य मेयरों और वार्ड पार्षदों ने शपथ ग्रहण किया। सोनीपत निगम उपचुनाव में विजयी मेयर राजीव जैन ने भी शपथ ली। इसके बाद नगर परिषदों, नगर पालिकाओं के प्रधान और पार्षदों ने शपथ ली। CM सैनी के संबोधन की 3 मुख्य बातें मेयरों और अन्य निकाय प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ा शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने मेयरों और अन्य निकाय पदाधिकारियों के मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा की। अब मेयर का मानदेय ₹30,000, सीनियर डिप्टी मेयर का ₹25,000 और डिप्टी मेयर का ₹20,000 होगा। नगर परिषद प्रधान को ₹18,000, नगर पालिका प्रधान को ₹15,000, उप प्रधान को ₹12,000 और पार्षदों को भी बढ़ा हुआ मानदेय मिलेगा। डिजिटल सेवाओं…

हरियाणा में 62 निकायों के ₹1400 करोड़ का हिसाब नहीं, हिसार-गुरुग्राम समेत 10 नगर निगमों में गड़बड़ी

ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा, विधानसभा कमेटी ने जताई गबन की आशंका और सख्त कार्रवाई की सिफारिश गुरुग्राम। हरियाणा के 62 शहरी निकायों, जिनमें 10 नगर निगम भी शामिल हैं, में 1,400 करोड़ रुपये के खर्च का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह रकम टेंपरेरी एडवांस के रूप में अधिकारियों को विकास कार्यों के लिए दी गई थी, लेकिन इसका उपयोग किस तरह हुआ, इसके सबूत नहीं मिले। मामला विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था कमेटी की समीक्षा में सामने आया, जब 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई। कमेटी ने इस अनियमितता को लेकर सरकार से गबन की आशंका जताई है और जांच के आदेश देने के साथ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। खास बात यह है कि जिन 9 नगर निगमों में गड़बड़ी पाई गई, वहां हाल ही में चुनाव हुए हैं और नए मेयरों का शपथ ग्रहण इसी महीने होना है। क्या है टेंपरेरी एडवांस और इसमें कैसे हुई…

सांसदों की सैलरी और पेंशन बढ़ी, अब हर सांसद को ₹1.24 लाख

वेतनमें 24% इजाफा | पूर्व सांसदों की पेंशन ₹31 हजार | भत्ते और सुविधाएं भी बढ़ीं नई दिल्ली। सरकार ने सांसदों के वेतन में 24% की बढ़ोतरी कर दी है। संसदीय कार्य मंत्रालय ने सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी की। अब सांसदों को प्रति माह ₹1.24 लाख वेतन मिलेगा, जो पहले ₹1 लाख था। यह बढ़ोतरी कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (लागत मुद्रास्फीति सूचकांक) के आधार पर 1 अप्रैल 2023 से लागू होगी। पूर्व सांसदों की पेंशन और अन्य भत्ते भी बढ़े सांसदों को ये अतिरिक्त भत्ते भी मिलेंगे…

BJP सांसद का बड़ा दावा, देसी दारू से किसानों की INCOME में होगी तिगुनी बढ़ोतरी

चरखी दादरी। भिवानी-महेंद्रगढ़ से बीजेपी सांसद धर्मबीर सिंह ने रविवार को चरखी दादरी में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार देसी दारू बनाने की अनुमति देती है, तो इससे न केवल किसानों की आय में तिगुनी बढ़ोतरी हो सकती है, बल्कि नकली शराब पर भी अंकुश लगेगा। इस बयान में उन्होंने देसी दारू के उत्पादन को किसानों के उत्पादों से जोड़ने का प्रस्ताव रखा, जिससे कृषि क्षेत्र को नया  अवसर मिलेगा और हरियाणा की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। देसी दारू से कृषि आधारित उद्योग को मिलेगा नया बाजार सांसद धर्मबीर सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देसी दारू बनाने की अनुमति मिलने से किसानों के उत्पादों जैसे जौ,  अंगूर, गन्ने का रस और अन्य प्राकृतिक पौधों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे किसानों को न केवल एक नया बाजार मिलेगा, बल्कि कृषि आधारित उद्योगों का भी विकास होगा। उनका मानना है कि इस कदम से हरियाणा के कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और राज्य की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। इसके अलावा, धर्मबीर सिंह ने यह भी कहा कि इस कदम से नकली शराब के उत्पादन पर रोक लगेगी, जिससे शराब पीने से होने वाली मौतों की घटनाओं पर काबू पाया जा सकेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे अवैध शराब की समस्या हल होगी और जनता को सुरक्षित शराब मिल सकेगी। आर्थिक और सामाजिक विकास की नई दिशा धर्मबीर सिंह ने क्षेत्र के विकास को लेकर भी अपनी योजनाओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि चरखी- दादरी में आईआईटी और औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे गए हैं। अगर इन परियोजनाओं पर काम शुरू होता है, तो यह क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा और आर्थिक विकास की  दिशा में एक बड़ा कदम होगा। सांसद ने यह भी दावा किया कि बीजेपी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और 2047 तक हरियाणा और केंद्र में केवल …

बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने सरकार के कोचिंग बिल पर उठाए सवाल, 45 पुराने कानूनों को खत्म करने पर चर्चा

जयपुर: राजस्थान में कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार कोचिंग रेगुलेशन बिल लेकर आई है, लेकिन इस बिल पर विधानसभा में ही सत्तारूढ़ बीजेपी के विधायक कालीचरण सराफ ने विरोध जताया है। सराफ ने इस बिल को प्रवर समिति को भेजने की मांग की और सरकार को सलाह दी कि इसे जल्दबाजी में लागू करने से  पहले गहन विचार किया जाए, क्योंकि इसके परिणाम स्वरूप हजारों शिक्षक बेरोजगार हो सकते हैं और अफसरशाही का  हस्तक्षेप बढ़ सकता है। कोचिंग बिल पर बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ का विरोध कोचिंग बिल को लेकर विधानसभा में बहस के दौरान बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने साफ तौर पर सरकार के प्रस्तावित बिल पर अपनी असहमति जताई। उन्होंने इस बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाए और कहा कि यदि इसे पास कर दिया गया, तो यह राज्य में अफसरशाही को  बढ़ावा देगा, जिससे कोचिंग संस्थान राजस्थान से बाहर शिफ्ट हो सकते हैं। सराफ का कहना था कि इससे हजारों शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे और शिक्षा क्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल पैदा होगा। सराफ ने यह भी कहा कि इस बिल के तहत कोचिंग संस्थानों की निगरानी के लिए बनाई गई कमेटी में केवल सरकारी  अधिकारी हैं, जबकि इसमें कोई जनप्रतिनिधि या स्वयंसेवी संस्था का प्रतिनिधि नहीं है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस बिल पर पहले जनता, छात्रों, शिक्षकों और कोचिंग संस्थानों से विचार विमर्श किया जाना  चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर कोई छात्र दो दिन से अधिक अनुपस्थित रहता है, तो उस मामले में उसके माता-पिता को सूचना देने का कोई प्रावधान क्यों नहीं है? राजस्थान में 45 पुराने कानून होंगे खत्म विधानसभा में इस दिन की एक अन्य प्रमुख चर्चा राजस्थान विधियां निरसन विधेयक पर थी, जिसके तहत 45 पुराने और  अप्रचलित कानूनों को समाप्त किया जाएगा। इनमें से 37 कानून पंचायती राज से जुड़े हुए हैं, जिनमें बीकानेर स्टेट डिस्ट्रिक्ट बोर्ड अमेंडमेंट एक्ट 1952 और बीकानेर  म्युनिसिपल अमेंडमेंट एक्ट 1952 जैसे पुराने कानून शामिल हैं। इन कानूनों को समाप्त करने का उद्देश्य शासन में पारदर्शिता लाना और पुराने कानूनों को हटा कर नए और प्रासंगिक कानूनों को लागू करना है।…

बीजेपी अध्यक्ष की रेस में महिला या पुरुष दावेदार? राजस्थान के इन नामों की चर्चा क्यों हो रही है सब से ज्यादा

जयपुर: भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने नए अध्यक्ष का चुनाव जल्द ही करने जा रही है। इस विषय में सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है और हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है कि इस बार पार्टी की कमान किसके हाथ में जाएगी। बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में समाप्त हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर  उन्हें पद पर बने रहने की अनुमति मिली। अब, नई अध्यक्षता की प्रक्रिया के बारे में चर्चा जोरों पर है, और 18-20 अप्रैल को बेंगलुरु में होने वाली नेशनल एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक से पहले नया अध्यक्ष घोषित किए जाने की  संभावना जताई जा रही है। महिला दावेदारों में सबसे अधिक चर्चा इस बार की सबसे बड़ी चर्चा यह है कि क्या बीजेपी को महिला अध्यक्ष मिलेगा? महिला नेताओं में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला  सीतारमण और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। निर्मला सीतारमण, जो 2019 से वित्त मंत्रालय संभाल रही हैं, को इस पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। वहीं, वसुंधरा राजे, जो राजस्थान के झालावाड़ से विधायक हैं और बीजेपी की उपाध्यक्ष भी हैं, उनके संघ से करीबी रिश्ते और पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण अध्यक्ष पद की रेस में शामिल मानी जा रही हैं। पुरुष दावेदारों में भूपेंद्र यादव, सुनील बंसल और ओम प्रकाश माथुर का नाम महिला नेताओं के अलावा बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए कई पुरुष दावेदार भी सामने आए हैं। राजस्थान से बीजेपी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव, जो मौजूदा मोदी सरकार में मंत्री हैं, को एक मजबूत और संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। इसके अलावा, बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल और सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर भी अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। ये सभी नेता पार्टी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी रहे हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी की कई राज्यों में अच्छा प्रदर्शन हुआ है।

अहीरवाल की सियासत गरमाई, मंत्री नरबीर ने मेयर विवाद पर साधा निशाना

मानेसर मेयर पर मंत्री नरबीर की नाराजगी, राव इंद्रजीत पर तीखा वार गुरुग्राम – हरियाणा के वन और वन्यजीव मंत्री राव नरबीर सिंह ने केंद्रीय राज्य मंत्री और गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह पर तीखा  हमला बोला है। उन्होंने मानेसर मेयर चुनाव के संदर्भ में पार्टी को नसीहत दी कि “क्रिमिनल छवि के लोगों को भाजपा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस पर अंतिम निर्णय संगठन का होगा। उनका यह बयान पूर्व गैंगस्टर राकेश हयातपुर की पत्नी डॉ. इंद्रजीत यादव को लेकर आया, जिन्होंने हाल ही में भाजपा उम्मीदवार सुंदर लाल यादव को हराकर निर्दलीय चुनाव जीता था। मेयर के पति की राव इंद्रजीत से नजदीकी मेयर डॉ. इंद्रजीत यादव खुद को राव इंद्रजीत समर्थक बताकर चुनाव लड़ रही थीं। हाल ही में उनके पति राकेश हयातपुरिया ने राव इंद्रजीत से मुलाकात की थी और कहा था, “अगर राजा साहब (राव इंद्रजीत) कहेंगे, तो भाजपा में शामिल हो जाऊंगा।” इसे लेकर ही राव नरबीर सिंह ने अपनी नाराजगी जताई।…

जैन मंदिर पहुंचने पर मुनि प्रणम्य सागर का हुआ जोरदार स्वागत

रेवाड़ी, 22 मार्च । जैना आचार्य विद्यासागर महाराज के परम शिष्य मुनि प्रणम्य सागर महाराज का संघ सहित शनिवार को नगर के मॉडल टाउन स्थित…

जस्टिस यशवंत वर्मा केस में नया मोड़, न्यायपालिका में पारदर्शिता और अफवाहों की सच्चाई

* सुप्रीम कोर्ट ने अफवाहों को किया खारिज, कहा- ट्रांसफर प्रक्रिया अभी जारी * फायर विभाग ने नकदी मिलने की खबरों को बताया आधारहीन *…

हरियाणा के किसानों पर 60 हजार करोड़ का कर्ज, सिरसा में सबसे ज्यादा बकाया राशि

राज्य में  27.7  लाख किसानों पर बकाया कृषि ऋण सिरसा के किसानों पर 6,102 करोड़ रुपये का कर्ज हिसार में सबसे अधिक किसान कर्जदार चंडीगढ़ | हरियाणा में किसानों…