बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने सरकार के कोचिंग बिल पर उठाए सवाल, 45 पुराने कानूनों को खत्म करने पर चर्चा

जयपुर: राजस्थान में कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार कोचिंग रेगुलेशन बिल लेकर आई है, लेकिन इस बिल पर विधानसभा में ही सत्तारूढ़ बीजेपी के विधायक कालीचरण सराफ ने विरोध जताया है। सराफ ने इस बिल को प्रवर समिति को भेजने की मांग की और सरकार को सलाह दी कि इसे जल्दबाजी में लागू करने से  पहले गहन विचार किया जाए, क्योंकि इसके परिणाम स्वरूप हजारों शिक्षक बेरोजगार हो सकते हैं और अफसरशाही का  हस्तक्षेप बढ़ सकता है। कोचिंग बिल पर बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ का विरोध कोचिंग बिल को लेकर विधानसभा में बहस के दौरान बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने साफ तौर पर सरकार के प्रस्तावित बिल पर अपनी असहमति जताई। उन्होंने इस बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाए और कहा कि यदि इसे पास कर दिया गया, तो यह राज्य में अफसरशाही को  बढ़ावा देगा, जिससे कोचिंग संस्थान राजस्थान से बाहर शिफ्ट हो सकते हैं। सराफ का कहना था कि इससे हजारों शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे और शिक्षा क्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल पैदा होगा। सराफ ने यह भी कहा कि इस बिल के तहत कोचिंग संस्थानों की निगरानी के लिए बनाई गई कमेटी में केवल सरकारी  अधिकारी हैं, जबकि इसमें कोई जनप्रतिनिधि या स्वयंसेवी संस्था का प्रतिनिधि नहीं है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस बिल पर पहले जनता, छात्रों, शिक्षकों और कोचिंग संस्थानों से विचार विमर्श किया जाना  चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर कोई छात्र दो दिन से अधिक अनुपस्थित रहता है, तो उस मामले में उसके माता-पिता को सूचना देने का कोई प्रावधान क्यों नहीं है? राजस्थान में 45 पुराने कानून होंगे खत्म विधानसभा में इस दिन की एक अन्य प्रमुख चर्चा राजस्थान विधियां निरसन विधेयक पर थी, जिसके तहत 45 पुराने और  अप्रचलित कानूनों को समाप्त किया जाएगा। इनमें से 37 कानून पंचायती राज से जुड़े हुए हैं, जिनमें बीकानेर स्टेट डिस्ट्रिक्ट बोर्ड अमेंडमेंट एक्ट 1952 और बीकानेर  म्युनिसिपल अमेंडमेंट एक्ट 1952 जैसे पुराने कानून शामिल हैं। इन कानूनों को समाप्त करने का उद्देश्य शासन में पारदर्शिता लाना और पुराने कानूनों को हटा कर नए और प्रासंगिक कानूनों को लागू करना है।…

बीजेपी अध्यक्ष की रेस में महिला या पुरुष दावेदार? राजस्थान के इन नामों की चर्चा क्यों हो रही है सब से ज्यादा

जयपुर: भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने नए अध्यक्ष का चुनाव जल्द ही करने जा रही है। इस विषय में सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है और हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है कि इस बार पार्टी की कमान किसके हाथ में जाएगी। बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में समाप्त हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर  उन्हें पद पर बने रहने की अनुमति मिली। अब, नई अध्यक्षता की प्रक्रिया के बारे में चर्चा जोरों पर है, और 18-20 अप्रैल को बेंगलुरु में होने वाली नेशनल एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक से पहले नया अध्यक्ष घोषित किए जाने की  संभावना जताई जा रही है। महिला दावेदारों में सबसे अधिक चर्चा इस बार की सबसे बड़ी चर्चा यह है कि क्या बीजेपी को महिला अध्यक्ष मिलेगा? महिला नेताओं में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला  सीतारमण और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। निर्मला सीतारमण, जो 2019 से वित्त मंत्रालय संभाल रही हैं, को इस पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। वहीं, वसुंधरा राजे, जो राजस्थान के झालावाड़ से विधायक हैं और बीजेपी की उपाध्यक्ष भी हैं, उनके संघ से करीबी रिश्ते और पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण अध्यक्ष पद की रेस में शामिल मानी जा रही हैं। पुरुष दावेदारों में भूपेंद्र यादव, सुनील बंसल और ओम प्रकाश माथुर का नाम महिला नेताओं के अलावा बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए कई पुरुष दावेदार भी सामने आए हैं। राजस्थान से बीजेपी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव, जो मौजूदा मोदी सरकार में मंत्री हैं, को एक मजबूत और संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। इसके अलावा, बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल और सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर भी अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। ये सभी नेता पार्टी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी रहे हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी की कई राज्यों में अच्छा प्रदर्शन हुआ है।