विधानसभा चुनाव में अब 1 महीना बचा है। जिसके लिए चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करना आम बात है। पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी लगातार भाजपा को घेरने का प्रयास करते है। और हमलावर रहते है। हरियाणा में माना जा रहा है कि कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। सभी राजनीतिक जानकार भी वर्तमान की स्थिति को देखते हुए कांग्रेस की इस बार हरियाणा में मजबूत स्थिति मान रहे है। कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा पर सवाल खड़ा करते हुए कहते है कि बीजेपी ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को वेंटिलेटर पर पहुंचा दिया है। क्योंकि आज अस्पतालों में ना तो दवा है और ना डॉक्टर। स्वास्थ्य सेवाओं में करीब 20 हजार पद खाली पड़े हैं। प्रदेश के अस्पतालों में 14000 डॉक्टरों की कमी है। गांवों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के करीब 94 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं। स्टाफ और सुविधाओं के अभाव में रोज हजारों मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
हुड्डा ने कहा कि अस्पतालों में मरीजों को लैब टेस्ट के लिए भी कई-कई दिन चक्कर काटने पड़ते हैं या मजबूरी में प्राइवेट लैब में जाना पड़ता है। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक प्रति 1000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन हरियाणा में 2035 लोगों पर एक डॉक्टर है। 200 लोगों पर एक बेड की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन प्रदेश में 2086 लोगों पर एक बेड उपलब्ध है। इस वजह से काफी जगह देखने में आता है कि एक-एक बेड पर दो-दो, तीन-तीन मरीज लेटे हैं और फर्श पर डिलीवरी हो रही है। प्रदेश में सीनियर मेडिकल ऑफिसर, मेडिकल ऑफिसर, डेंटल सर्जन के 5253 में से 1100 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि 2014 में भाजपा ने वादा किया था कि वो सत्ता में आते ही हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाएगी। हकीकत यह है कि पिछले 10 साल में भाजपा द्वारा घोषित एक भी नया मेडिकल कॉलेज पूरा बनकर शुरू नहीं हो सका है। कांग्रेस कार्यकाल में बने संस्थान ही लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं।
कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में एक हेल्थ यूनिवर्सिटी और छह मेडिकल कॉलेज बनवाए थे। प्रदेश की पहली मेडिकल यूनिवर्सिटी भी कांग्रेस के समय में ही खोली गई थी। आजादी के बाद देश में महिलाओं के लिए पहला सरकारी मेडिकल कॉलेज सोनीपत के खानपुर में कांग्रेस ने खोला था। कांग्रेस ही झज्जर में एम्स-2 और नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट लेकर आई थी। आज ये तमाम संस्थान हरियाणा के साथ-साथ कई प्रदेश के लोगों के लिए वारदान साबित हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस सरकार ने झज्जर एम्स-2 के साथ जो राष्ट्रीय स्तर के 10 संस्थान मंजूर करवाए थे, भाजपा ने इन्हें भी रद्द करवा दिया। यदि वे संस्थान झज्जर में बन जाते तो प्रदेश के लोगों को बहुत फायदा मिलता।
लेकिन बीजेपी ने हमेशा लोगों की जान जोखिम में डालने का काम किया। यह वो सरकार है जो कोरोना काल में लोगों को ऑक्सीजन, दवाई और इलाज के अभाव में तड़प-तड़पकर मरते हुए देखती रही। लेकिन उसने कोई कदम नहीं उठाया। संवेदनहीनता की हदें पार करते हुए बीजेपी ने विधानसभा में यहां तक बोल दिया कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत ही नहीं हुई। कांग्रेस ने इसपर कमेटी बनाकर जांच की मांग की तो सरकार उस जांच को भी दबाकर बैठ गई।
हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने तेज गति से प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तार दिया था। बड़े संस्थानों की स्थापना के साथ गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने 641 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) व प्राइमरी हेल्थ सेंटर (पीएचसी) बनाए थे। लेकिन भाजपा सरकार में नए सीएचसी व पीएचसी खुलना तो दूर, ये सरकार पुराने बनाए गए हेल्थ सेंटर्स की मरम्मत तक नहीं करवा पाई। कई जिला अस्पतालों की बिल्डिंग भी कंडम हो चुकी हैं। डॉक्टरों की कमी की वजह से यह रेफरल सेंटर बन गए हैं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि भाजपा सरकार ने हरियाणा के मेडिकल स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया है। एमबीबीएस करने वाले बच्चों पर सरकार ने 40 लाख रुपए के बॉन्ड की शर्त थोप दी। यानी बीजेपी नहीं चाहती कि किसी गरीब या मध्यमवर्गीय परिवार का कोई बच्चा डॉक्टर बन पाए।