जाटूसाना के BDPO कार्यालय में पहुंची स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव

आज स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव जाटूसाना में थी। उसी जाटूसाना में जो उनके पिता केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की कर्मस्थली रहा है। परिसीमन…

भाजपा सरकार पर सैलजा का निशाना, 34.82% ग्रामीण विकास बजट खर्च नहीं

———————————————— – मनरेगा, पीएमजीएसवाई जैसी योजनाएं लापरवाही की भेंट चढ़ीं– संसदीय समिति की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा– सिरसा में पानी संकट को लेकर सांसद ने लिखा सीएम को…

अब बिल में नहीं लगेगा सर्विस चार्ज, कोर्ट ने रेस्टोरेंट एसोसिएशन पर ठोका 1 लाख जुर्माना

———————————————————————————— नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (28 मार्च) को फैसला सुनाते हुए फूड बिल में अनिवार्य सर्विस चार्ज जोड़ने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) की 2022 में जारी की गई गाइडलाइन को बरकरार रखते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि होटल और रेस्टोरेंट अपने ग्राहकों पर सर्विस चार्ज थोप नहीं सकते हैं। इसके अलावा, इस गाइडलाइन को चुनौती देने वाले नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। गाइड लाइन्स पर पहले लगी थी रोक सीसीपीए ने जुलाई 2022 में उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें कहा गया था कि होटल और रेस्टोरेंट बिल में ऑटोमेटिक या डिफॉल्ट रूप से सर्विस चार्ज नहीं जोड़ सकते। हालांकि, इसी साल 20 जुलाई को हाईकोर्ट ने इन गाइडलाइन्स पर अस्थायी रोक लगा दी थी। लेकिन अब अदालत ने इस पर अंतिम निर्णय सुनाते हुए गाइडलाइन को बहाल कर दिया है। एनआरएआई ने कोर्ट में दी थी यह दलील एनआरएआई और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआईएआई) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो होटल या रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज लगाने से रोकता हो। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार ने कोई कानूनी संशोधन नहीं किया है जिससे सर्विस चार्ज अवैध हो जाए। उन्होंने इसे मनमाना और अस्थिर बताते हुए गाइडलाइन को रद्द करने की मांग की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया। कौन-कौन रहा कोर्ट में पक्षकार NRAI की ओर से एडवोकेट ललित भसीन, नीना गुप्ता, अनन्या मारवाह, देवव्रत तिवारी और अजय प्रताप सिंह (भसीन एंड कंपनी) ने पक्ष रखा। वहीं,…

सरकार ने शुरू की तैयारी, NPCI से चल रही बात चीत

—————————————— नई दिल्ली कर्मचारियों के भविष्य निधि संगठन (EPFO) मेंबर्स के लिए एक बड़ा अपडेट आया है। जल्द ही EPFO यूजर्स को UPI के माध्यम से 1 लाख रुपये तक की निकासी की सुविधा मिलने वाली है। सरकार ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं और इस प्रोजेक्ट को लेकर नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से बातचीत जारी है। लेबर सचिव सुमिता डावरा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि आने वाले महीनों में इसे लागू कर दिया जाएगा। UPI से EPFO अकाउंट एक्सेस और ऑटो क्लेम नई सुविधा के तहत EPFO मेंबर्स अपने अकाउंट को UPI की मदद से एक्सेस कर सकेंगे। इससे वे अपने बैलेंस की जानकारी लेने के साथ-साथ ऑटो क्लेम भी कर पाएंगे। सुमिता डावरा के मुताबिक, इस सिस्टम से सब्सक्राइबर्स को क्लेम अप्रूवल में तेजी मिलेगी और फंड सीधे उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएगा। यह सुविधा खासकर इमरजेंसी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिससे यूजर्स को फंड की निकासी में देरी का सामना न करना पड़े। 1 लाख रुपये की निकासी सीमा EPFO ने इस नई सुविधा के तहत निकासी की एक लिमिट भी तय की है। मेंबर्स 1 लाख रुपये तक की राशि UPI के जरिए निकाल सकेंगे। यह राशि मेडिकल इमरजेंसी, हाउसिंग एडवांस, बच्चों की शिक्षा और शादी जैसे महत्वपूर्ण खर्चों के लिए उपयोग की जा सकेगी। सरकार का उद्देश्य इस प्रक्रिया को तेज और सुगम बनाना है, जिससे सब्सक्राइबर्स को किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। तेजी से पूरा होगा प्रोसेस EPFO ने इस सुविधा के लिए एक नया डेटा बेस तैयार किया है। संगठन का लक्ष्य UPI को अपने सिस्टम में पूरी तरह से एकीकृत करना है। NPCI की ओर से इस पर फीडबैक लिया जा रहा है और टेस्टिंग के बाद इसे लागू किया जाएगा। सरकार का मानना है कि यह सिस्टम EPFO मेंबर्स के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि इससे निकासी प्रक्रिया पहले से अधिक तेज और आसान होगी। डिजिटल ट्रांजैक्शन को…

क्या स्टालिन विपक्षी राजनीति में नई लकीर खींच रहे हैं?

वक्फ बिल के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव, केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप तमिलनाडु से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में स्टालिन का बढ़ता कद  2024 लोकसभा चुनाव में बड़ी…

विधानसभा में ओपी यादव ने पूछा नसीबपुर के शहीद स्मारक का सवाल, राव नरबीर ने नहीं दिया ठोस जवाब

नसीबपुर में शहीद स्मारक पर नरबीर की ‘ना’ठंडे जवाब से अहीरवाल की राजनीति गर्मलोगों को पसंद नहीं आया मंत्री का रुखा जवाब एनजेपी न्यूज, हरियाणा:अहीरवाल…

विधानसभा में राव नरबीर पेश करेंगे ‘अपर्णा संस्था प्रबंधन तथा नियंत्रण ग्रहण विधेयक 2025’

अपर्णा संस्था प्रबंधन तथा नियंत्रण ग्रहण विधेयक 2025 हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री, राव नरबीर सिंह विधानसभा में ‘अपर्णा संस्था प्रबंधन तथा नियंत्रण ग्रहण विधेयक 2025’ पेश…

हरियाणा सरकार के फैसले को झटका, केंद्र ने SC सूची से 3 नाम हटाने पर लगाई रोक

——————————————————— चंडीगढ़।हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) सूची से तीन जातियों—’चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’—को हटाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। सरकार चाहती थी कि इन जातियों को ‘बाल्मीकि’ और ‘चमार’ के नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। राज्य सरकार का तर्क था कि मौजूदा नाम अक्सर अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए इन्हें बदला जाना चाहिए। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इसे असंवैधानिक बताया। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने हरियाणा सरकार को जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति सूची में किसी भी जाति को जोड़ने या हटाने का अधिकार केवल संसद के पास है, राज्य सरकार के पास नहीं। 2013 का आदेश भी असंवैधानिक हरियाणा सरकार ने केंद्र को भेजे पत्र में 2013 के एक सरकारी आदेश का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि ‘चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’ को अनुसूचित जाति सूची से हटाकर ‘बाल्मीकि’ और ‘चमार’ नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। इस आदेश को सभी जिला प्रशासन और जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों को भेजा गया था। केंद्र सरकार ने इस आदेश को भी गलत ठहराया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार, अनुसूचित जाति सूची में कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है। इसलिए, 2013 में हरियाणा सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश भी असंवैधानिक है और इसे बदला जाना चाहिए। केंद्र सरकार का तर्क केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण और अन्य सरकारी लाभ केवल उसी जाति नाम से मिल सकते हैं, जो आधिकारिक सूची में दर्ज है। अगर कोई जाति ‘चूरा’ के नाम से सूचीबद्ध है, तो उसे आरक्षण का लाभ ‘बाल्मीकि’ के नाम से नहीं मिल सकता। इससे स्पष्ट होता है कि जाति नाम बदलने से लोगों को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों और सरकारी योजनाओं का लाभ प्रभावित होगा। क्या होगा अगला कदम? केंद्र सरकार के फैसले के बाद, हरियाणा सरकार को अब अपने 2013 के आदेश की समीक्षा करनी होगी और नए आदेश जारी करने होंगे। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि अनुसूचित जातियों की सूची में कोई भी बदलाव केवल संसद की मंजूरी के बाद ही किया जा सकता है।

नगर निकायों को ₹587 करोड़ जारी, CM बोले- हर फैसला जनहित में लें

चंडीगढ़। हरियाणा में मंगलवार (25 मार्च) को नगर निकाय चुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। पंचकूला में हुए इस कार्यक्रम में 10 नगर निगमों के मेयर, 28 नगर पालिका व नगर परिषदों के प्रधान, और 687 वार्डों के पार्षदों-सदस्यों ने शपथ ली। इस दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने नगर निकायों को ₹587 करोड़ की राशि जारी करने की घोषणा की और पार्षदों की सुविधा के लिए डिजिटल सेवाओं की शुरुआत की। नगर निकायों के 725 प्रतिनिधियों ने शपथ ली शपथ ग्रहण समारोह की शुरुआत अंबाला उपचुनाव में मेयर बनीं शैलजा सचदेवा के शपथ लेने से हुई। इसके बाद 7 नगर निगमों के अन्य मेयरों और वार्ड पार्षदों ने शपथ ग्रहण किया। सोनीपत निगम उपचुनाव में विजयी मेयर राजीव जैन ने भी शपथ ली। इसके बाद नगर परिषदों, नगर पालिकाओं के प्रधान और पार्षदों ने शपथ ली। CM सैनी के संबोधन की 3 मुख्य बातें मेयरों और अन्य निकाय प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ा शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने मेयरों और अन्य निकाय पदाधिकारियों के मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा की। अब मेयर का मानदेय ₹30,000, सीनियर डिप्टी मेयर का ₹25,000 और डिप्टी मेयर का ₹20,000 होगा। नगर परिषद प्रधान को ₹18,000, नगर पालिका प्रधान को ₹15,000, उप प्रधान को ₹12,000 और पार्षदों को भी बढ़ा हुआ मानदेय मिलेगा। डिजिटल सेवाओं…