जम्मू-कश्मीर में खाई में गिरी गाड़ी, जवान हुआ शहीद

परिवार में शादी की तैयारियाँ चल रही थीं... घर में रौनक थी, लेकिन किसे पता था कि किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर है। जिसके सिर पर सेहरा सजना था, अब वही बेटा तिरंगे में लिपटकर वापस लौटा। जिस घर में शहनाई बजनी थी, वहां अब सिर्फ मातम है... और आंखों से बहता वो दर्द, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव सारंगपुर का जवान अमित सांगवान अब हमारे बीच नहीं रहा। 4 मई को जम्मू-कश्मीर में वो शहीद हो गए। अमित की उम्र सिर्फ 24 साल थी। अभी कुछ ही दिन पहले उनकी सगाई हुई थी। नवंबर में शादी की तारीख तय थी। पूरा परिवार खुश था, तैयारियाँ चल रही थीं... लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। 4 मई को जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में सेना की गाड़ी 600 मीटर गहरी खाई में गिर गई। अमित अपने दो साथियों के साथ शहीद हो गए। गाड़ी जम्मू से श्रीनगर जा रही थी, और रास्ते में ये दर्दनाक हादसा हुआ। जब तिरंगे में लिपटा अमित का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो हर आंख नम थी। मां कृष्णा देवी ने अपने लाल को देखकर बस इतना कहा—"उसका दुनिया में नाम रहना चाहिए"… और फिर बेसुध हो गईं। अमित ने गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर, भिवानी से बीकॉम किया। फिर सेना में ड्राइवर के तौर पर भर्ती हुआ। पोस्टिंग पठानकोट में थी । अमित के पिता की बीमारी के चलते कुछ साल पहले ही मौत हो चुकी थी। घर अब बस मां, दादी और दादा ही थे। अमित अपने परिवार की उम्मीद था, उनके सपनों का केंद्र था। और अब, वही अमित उन्हे छोड़कर चला गया... रह गई तो सिर्फ सिर्फ यादें और गर्व। नाम आखों से आज अमित को सब गाँव वालों ने अंतिम विदाई दी। इसस दौरान महेंडरघ के सांसद धरमबीर सिंह भी परिवार को हिम्मत देने और अमित को आखिरी नमन करने पहुचे

NJP NEWS : परिवार में शादी की तैयारियाँ चल रही थी । घर में रौनक थी, लेकिन किसे पता था कि किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर है। जिसके सिर पर सेहरा सजना था, अब वही बेटा तिरंगे में लिपटकर वापस लौटा। जिस घर में शहनाई बजनी थी, वहां अब सिर्फ मातम है और आंखों से बहता वो दर्द, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।

हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव सारंगपुर का जवान अमित सांगवान अब हमारे बीच नहीं रहा। 4 मई को जम्मू-कश्मीर में वो शहीद हो गए। अमित की उम्र सिर्फ 24 साल थी। अभी कुछ ही दिन पहले उनकी सगाई हुई थी। नवंबर में शादी की तारीख तय थी। पूरा परिवार खुश था, तैयारियाँ चल रही थीं… लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। 4 मई को जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में सेना की गाड़ी 600 मीटर गहरी खाई में गिर गई। अमित अपने दो साथियों के साथ शहीद हो गए। गाड़ी जम्मू से श्रीनगर जा रही थी, और रास्ते में ये दर्दनाक हादसा हुआ। जब तिरंगे में लिपटा अमित का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो हर आंख नम थी। मां कृष्णा देवी ने अपने लाल को देखकर बस इतना कहा—”उसका दुनिया में नाम रहना चाहिए”… और फिर बेसुध हो गईं।

अमित ने गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर, भिवानी से बीकॉम किया। फिर सेना में ड्राइवर के तौर पर भर्ती हुआ। पोस्टिंग पठानकोट में थी । अमित के पिता की बीमारी के चलते कुछ साल पहले ही मौत हो चुकी थी। घर अब बस मां, दादी और दादा ही थे। अमित अपने परिवार की उम्मीद था, उनके सपनों का केंद्र था। और अब, वही अमित उन्हे छोड़कर चला गया… रह गई तो सिर्फ सिर्फ यादें और गर्व। नम आखों से आज अमित को सब गाँव वालों ने अंतिम विदाई दी। इसस दौरान महेंद्रगढ़ के सांसद धरमबीर सिंह भी परिवार को हिम्मत देने और अमित को आखिरी नमन करने पहुचे ।

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