अलवर में जड़ें जमाने का रोडमैप तैयार, RRTS, जल संकट सहित कई मुद्दों पर की बात

अलवर में जड़ें जमाने का रोडमैप तैयार, RRTS, जल संकट सहित कई मुद्दों पर की बात

भूपेंद्र यादव का बढ़ता हुआ कद

बौने पड़ते जा रहे दूसरों के पद

केंद्रीय मंत्री की मुट्ठी में अलवर

बालकनाथ जैसे नहीं रहे ताकतवर

केंद्रीय मंत्री ने अपनी पार्टी के नेताओं और अधिकारियों को जो दिशा दी है, कुछ महीनों से भूपेंद्र यादव जिस तरह से अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, वह सराहनीय भी है और प्रेरक भी। कोई विधायक भी इस तरह से लोगों के बीच नहीं पहुंचता, जिस तरह भूपेंद्र पहुंच रहे हैं। दिशा की बैठक को जितनी गंभीरता से भूपेंद्र यादव ले रहे हैं, उसका उदाहरण कम मिलता है। दिशा का मतलब है जिला विकास, समन्वय एवं निगरानी समिति। अंग्रेजी में कहें तो डिस्ट्रिक डेवलपमेंट, कोर्डिनेशन एंड मानिटरिंग कमेटी। भूपेंद्र यादव इसकी बैठक में छोटे-छोटे इश्यूज पर जितनी गंभीरता से मंथन कर रहे हैं, उसे देखते हुए अधिकारियों को कागजों का पेट नहीं भरना पड़ता बल्कि जमीन पर काम करना पड़ रहा है। भूपेंद्र यादव का बढ़ता हुआ कद, दूसरे तमाम नेताओं को बौना बना रहा है। अलवर पूरी तरह केंद्रीय मंत्री की मुट्ठी में है। जिस बाबा बालकनाथ को राष्ट्रीय मीडिया मुख्यमंत्री का चेहरा बताकर प्रस्तुत कर रहा था, वह बालकनाथ भी अब ताकतवर नहीं रह गए हैं।

देसी भाषा में अलवर में एक कहावत शुरू हो गई है-भूपेंद्र बरगद का पेड़ है। इसके नीचे छोटे पौधे नहीं पनक सकते। पहली बार ऐसा लग रहा है कि अलवर में सत्तारूढ़ दल की राजनीति पूरी तरह एक पक्षीय है। भूपेंद्र के पैरलल कोई नेता नजर नहीं आ रहा है। कुछ नेताओं में हमें छटपटाहट नजर आई, लेकिन भूपेंद्र के बड़े कद के सामने किसी की हिम्मत नहीं है जो खुलकर कुछ कह सके। भूपेंद्र यादव का सब कुछ अपनी मुट्ठी में लेना उचित नहीं है…इसका उन्हें आगे नुकसान होगा, परंतु ऑन द रिकार्ड भूपेंद्र तो भूपेंद्र ही है साहब।

वह आरआटीएस की भी बात करे जल संकट सहित कई स्थानीय मुद्दों पर भी। सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणी पर खुद को जेपी नड्डा के साथ जोड़कर कम शब्दों में अपनी बात पूरी करते हैं। उलझन के किसी सवाल में उलझने की बजाय, बड़ा बोल बोलने की बजाय, कूटनीति के साथ राजनीति, यही भूपेंद्र है। खैरथल के आरओबी पर गेंद डीआरएम के पाले में डाल दी। बड़ी समझदारी से मामला लोगों और डीआरएम के बीच का बना दिया। खैरथल, गोविंदगढ़ व राजगढ़ में ट्रेनों के ठहराव पर भी बात की तो खैरथल में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट पर भी जवाब दिया। अफसरशाही जितना काम कर पाएगी, वह भूपेंद्र के खाते में जुड़ता चला जाएगा। एक बिना मांगी नेक सलाह किसी ने हमें दी है। कहा है-बालकनाथ जैसे नेता अब बालक नहीं हैं। बड़े हैं। उन्हें बड़ों की तरह बड़ा बना दीजिए, अन्यथा संत की नाराजगी पता नहीं कुछ नुकसान कर दे।

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