क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए कांग्रेस हाईकमान को आंख दिखाएंगे?
क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा हाईकमान के सामने समर्पण करेंगे?
क्या नेता प्रतिपक्ष न बनाने पर हुड्डा अपनी अलग पार्टी बनाएंगे?
क्या कांग्रेस हाईकमान ने कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला का कद बढ़ाने का फैसला ले लिया है?
आने वाले समय में कांग्रेस संगठन में कुमारी सैलजा व सुरजेवाला की क्या भूमिका रहने वाली है?
महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा के आम चुनाव के लिए जारी स्टार प्रचारकों की सूची पर कुमारी सैलजा के हस्ताक्षर किस कारण से हैं?
और एक बड़ा सवाल यह कि स्टार प्रचारकों में भूपेंद्र व दीपेंद्र हुड्डा का नाम क्यों नहीं आया?
और रणदीप सुरजेवाला का नाम कैसे आ गया?
सवालों की ऐसी लंबी सूची है। ये वो सवाल हैं जो इन दिनों कांग्रेस की राजनीति में पूछे जा रहे हैं। विशेष रूप से आज हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में इन्हीं सवालों की चर्चा है।
अब एक एक करके हर सवाल का जवाब जानने का प्रयास करते हैं। पहले सवाल का जवाब यह है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए कांग्रेस हाईकमान को आंख बेशक नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन दबाव पूरा बना रहे हैं। मतलब आंख नहीं दिखाएंगे मगर विनम्र बनकर दबाव पूरा बनाएंगे। दूसरा सवाल यह है कि क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा हाईकमान के सामने समर्पण करेंगे? इसका जवाब यह है कि हुड्डा सीधे नतमस्तक तो नहीं होंगे, लेकिन हाईकमान को खुद को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर दूसरे तरीके से सहमत करेंगे या फिर अपने किसी चहेते विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनवाएंगे। हालांकि इसकी संभावना कम है कि हुड्डा अपने अलावा किसी दूसरे नाम पर सहमत हो, लेकिन गीता भुक्कल और अशोक अरोड़ा के नाम पर हुड्डा को राजी किया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि मान लो हुड्डा की कोई बात नहीं मानी गई और नेता प्रतिपक्ष उनके किसी विरोधी को बना दिया गया तो वह क्या करेंगे। क्या ऐसी सूरत में हुड्डा अलग दल बनाएंगे। राजनीति के जानकार लोग इसकी संभावना से इंकार नहीं कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि हुड्डा के साथ ऐसा किया गया तो वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। अलग पार्टी भी बना सकते हैं, क्योंकि उनके पास दो तिहाई विधायकों का समर्थन है, लेकिन हमारा इस मामले में यह कहना है कि जब कांग्रेस से अलग होने की बात आएगी तो हुड्डा के साथ दो तिहाई विधायक नहीं जाएंगे। कांग्रेस हाईकमान अपनी इसी ताकत के भरोसे इस बार कोई बड़ा फैसला ले सकता है। इस फैसले से हुड्डा को कष्ट हो सकता है।
अब बात करते हैं कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला का कद बढ़ाने की संभावना पर। हमारा मानना है कि आने वाले समय में कांग्रेस संगठन में कुमारी सैलजा का कद बढ़ेगा। सुरजेवाला को भी संगठन में अहमियत मिलती रहेगी। महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा के आम चुनाव के लिए जारी स्टार प्रचारकों की सूची पर कुमारी सैलजा के हस्ताक्षर होने का मतलब वेणुगोपाल की अनुपस्थिति भर नहीं है, बल्कि इस बात का संकेत भी है कि सैलजा, आज भी दिल्ली दरबार की गुड बुक में है। उनकी नाराजगी दूर हो चुकी है। भविष्य में उनका कद संगठन में और बढ़ाया जा सकता है। स्टार प्रचारकों की सूची में अगर भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दीपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम नहीं है तो इसके पीछे एक कारण हरियाणा विधानसभा चुनाव में हुड्डा परिवार की भूमिका से दिल्ली दरबार की नाराजगी भी है, लेकिन यह अकेला कारण नहीं है। कुछ बात और भी है, जिसका जवाब समय देगा। सुरजेवाला का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में इसलिए है, क्योंकि वह कर्नाटक में अपनी संगठन क्षमता का लौहा मनवा चुके हैं। हमारा मानना है कि सुरजेवाला जिस तरह कांग्रेस की पैरवी करते हैं, वह हाईकमान को पसंद है। अगर हम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भूमिका पर बात करें तो आने वाला समय उनके लिए पेरशानी भरा हो सकता है। अगर हुड्डा परेशानी झेलकर कांग्रेस पार्टी की मुख्यधारा से जुड़े रहे तो ठीक, अन्यथा कुछ वर्ष बाद उनकी स्थिति वैसी ही होगी, जैसी अतीत में हरियाणा के कई अन्य धुरंधरों की हो चुकी है। हमें नहीं लगता हुड्डा इस बात से अनभिज्ञ होंगे। इसलिए निष्कर्ष की बात करें तो हुड्डा कांग्रेस हाईकमान के साथ ही चलेंगे, फिर चाहे निर्णय मनमाफिक हो या मन के विपरीत।