हरियाणा के उर्जा और जेल विभाग के कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला का मंत्री पद समाप्त हो गया है। उन्हें छह महीने तक विधायक निर्वाचित न होने के कारण पद छोड़ना पड़ा। 5 सितंबर को इस्तीफे की घोषणा के बावजूद, उन्होंने औपचारिक रूप से इस्तीफा नहीं दिया। अब उनकी राजनीतिक स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं।
मंत्री पद की समाप्ति
हरियाणा के मंत्री रणजीत चौटाला को मंत्री पद से हटा दिया गया है। यह फैसला 23 सितंबर को हुआ। वह अब विधायक नहीं हैं।
छह महीने की अवधि
भारतीय संविधान के अनुसार, कोई भी मंत्री छह महीने तक विधायक नहीं रहने पर मंत्री नहीं रह सकता। रणजीत चौटाला की यह अवधि अब खत्म हो गई है।
इस्तीफे की स्थिति
रणजीत चौटाला ने 5 सितंबर को कहा था कि वह मंत्री पद से इस्तीफा देंगे। लेकिन, ऐसा लगता है कि उन्होंने वास्तव में इस्तीफा नहीं दिया था।
कानूनी दृष्टिकोण
कानून के जानकारों का मानना है कि यदि रणजीत ने इस्तीफा दिया होता, तो मुख्यमंत्री उसे राज्यपाल के पास भेजते। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसलिए, यह स्पष्ट है कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया।
विधानसभा का भंग होना
12 सितंबर को हरियाणा विधानसभा भंग हो गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी और उनके सभी मंत्री कार्यवाहक स्थिति में आ गए।
अब क्या होगा?
अब रणजीत चौटाला को मंत्री पद पर रहने का अधिकार नहीं है। उनके कार्यकाल का अंत हो गया है।
सरकार की कार्रवाई
हरियाणा सरकार की मंत्रीमंडल ब्रांच ने 23 सितंबर से उनके कार्यकाल के समाप्त होने की जानकारी अन्य विभागों को दे दी है। इससे यह साफ हो गया है कि आगे की कार्रवाई की जाएगी।
भविष्य की योजनाएं
रणजीत चौटाला को अब नई चुनावी प्रक्रिया का इंतजार करना होगा। अगर वह फिर से विधायक बनते हैं, तो उन्हें फिर से मंत्री बनने का मौका मिल सकता है।
इस प्रकार, रणजीत चौटाला का मंत्री पद समाप्त हो गया है। उनके इस्तीफे की स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन विधायकी का न होना उनकी मंत्रीपद की समाप्ति का कारण बना।