आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने बीते शनिवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री की पद की शपथ ली और 23 सितंबर (सोमवार) को मुख्यमंत्री पद का कामकास संभाल लिया। आतिशी ने कहा कि वह उसी तरह काम करेंगी, जैसे भरत ने अपने बड़े भाई भगवान राम की ‘खड़ाऊं’ को अयोध्या के सिंहासन पर रखकर काम किया था।
केजरीवाल की कुर्सी का सम्मान
आतिशी ने यह भी बताया कि वह अरविंद केजरीवाल की कुर्सी पर नहीं बैठेंगी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की कुर्सी खाली रहेगी। वह उसके पास एक दूसरी कुर्सी पर बैठेंगी। यह उनके लिए केजरीवाल के योगदान का सम्मान है।
भाजपा की आलोचना
भारतीय जनता पार्टी के नेता वीरेंद्र सचदेवा ने आतिशी की इस कार्रवाई की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री पद का अपमान है। उनके अनुसार, आतिशी ने अपनी हरकत से दिल्ली के लोगों की भावनाएं आहत की हैं।
केजरीवाल का इस्तीफा
आतिशी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देकर राजनीति में गरिमा का एक उदाहरण पेश किया। उन्होंने बताया कि जब केजरीवाल को उच्चतम न्यायालय से जमानत मिली, तब भी उन्होंने कुर्सी पर बैठने का फैसला नहीं किया।
नए मंत्रालय की चुनौतियां
आतिशी के पास 13 विभागों का प्रभार है। इनमें शिक्षा, राजस्व, वित्त, बिजली, और सार्वजनिक कार्य विभाग शामिल हैं। उनके सामने कई नई योजनाओं और परियोजनाओं को शुरू करने की चुनौती है।
मंत्रियों का प्रभार
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और नए मंत्री मुकेश अहलावत ने भी अपने-अपने विभागों का प्रभार संभाला। मुकेश के पास श्रम, अनुसूचित जाति, रोजगार और भूमि विभाग हैं।
भाजपा का सवाल
भाजपा के नेता सचदेवा ने पूछा कि क्या केजरीवाल अब रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाएंगे? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतिशी का यह आचरण आदर्श नहीं है।
आगामी चुनावों की तैयारी
आतिशी के नेतृत्व वाले नए मंत्रिमंडल के सामने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कई परियोजनाएं और योजनाएं हैं। यह नए नेताओं के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है।
गौरतलब है कि आतिशी ने एक नई दिशा में कदम रखा है। उनकी कार्यशैली और केजरीवाल का सम्मान उनकी प्राथमिकता है। अब देखना यह है कि वह अपने कार्यकाल में क्या उपलब्धियां हासिल करती हैं। उनके सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन उनकी मेहनत और ईमानदारी से वे सफल हो सकती हैं।
इस प्रकार, दिल्ली की राजनीति में नए बदलाव आ रहे हैं। सभी की नजरें आतिशी पर हैं कि वे अपने कार्यकाल में क्या करेंगी?