झाबुआ में है टाइगर की बहन
सरिस्का से राखी बंधवाने आया
: रेवाड़ी के झाबुआ जंगल में लंबा टिक सकता है सरिस्का से फरार हुआ टाइगर एसटी 2303
सरिस्का से फरार होकर भटक रहा है एसटी 2303 पिछले चार दिन से रेवाड़ी जिले के झाबुआ स्थित मोर एवं चिंकारा प्रजनन केंद्र के जंगल में ठहरा हुआ है। झाबुआ का जंगल लगभग 800 एकड़ में है, जहां पर शिकार व पानी दोनों सुलभ है। इसी कारण राजस्थान व हरियाणा के जंगलात के अधिकारी अपनी इंटरनल बातचीत में यह मान रहे हैं कि यह टाइगर झाबुआ में लंबा टिक सकता है।
इस बीच इस टाइगर यानी बाघ को लेकर सोशल मीडिया पर मजेदार कमेंट्स भी आ रहे हैं। एनजेपी के प्लेटफार्म पर एक दर्शक ने टिप्पणी की कि-लगता है इस टाइगर ही यहां रिश्तेदारी है। यह राखी बंधवाने इधर आया है। इस टिप्पणी को लेकर हम आपको यह बता दें कि सात माह पूर्व भी यह टाइगर सरिस्का से निकलकर रेवाड़ी जिले की सीमा में पहुंच गया था। तब तीन लोगों को घायल किया था। इस बार राजस्थान की सीमा में पांच लोगों को घायल किया है, लेकिन हरियाणा में यह शांति से रह रहा है। हमने सत्रह अगस्त को शाम के छह बज यह बताया था कि सरिस्का के जंगल से दूसरी बार फरार हुआ टाइगर 2303 एक बार फिर रेवाड़ी जिले की सीमा में प्रवेश कर गया है। अब भी इस टाइगर की लोकेशन झाबुआ में बनी हुई है। यह टाइगर लगभग सवा तीन साल का युवा है। इस टाइगर को 15 अगस्त की सुबह 5 बजे सबसे पहले राजस्थान के मुंडावर क्षेत्र के गांव दरबारपुर, अहीर भगोला व बासनी आदि के जंगलों में देखा गया था।
झाबुआ के जंगल में घुसने के बाद वन विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि अब लोकेशन का पता किस तरह से लगाया जाए, क्योंकि यहां पर हींस के सघन पेड़ पौधे हैं। गहरे जंगल के बीच बाघ की तलाश करना संभव नहीं है। वन विभाग ने इसके लिए एक तरीका निकाला और 10 जगह सीसीटीवी कैमरे लगवाए। इन्हीं में से एक ट्रैप कैमरे में दो दिन पूर्व बाघ कैद हुआ। इससे न केवल बाघ के झाबुआ जंगल में होने की पुष्टि हुई बल्कि उसके स्वस्थ होने की भी पुष्टि हुई। देखना यह है कि यह बाघ इस छोटे से ठिकाने में कितने दिन रुक पाएगा। वन विभाग का यह मानना है कि यह यहां स्थायी रूप से नहीं रह सकता, क्योंकि बाघ को प्रतिदिन मूवमेंट के लिए बड़े जंगल की जरूरत होती है। अंत में यह सरिस्का ही पहुंचेगा, लेकिन देखने वाली बात यह रहेगी कि वहां पहुंचने तक किस किस जगह पहुंचकर लोगों को डराएगा।