अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां केंद्रीय बैंक की ब्याज दरें सीधे खाद्य कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकती हैं वहां खाद्य पदार्थों को मुद्रास्फीति से बाहर रखना एक अव्यवहारिक कदम है। आंकड़े और अर्थविद भी मानते हैं कि ऐसे निर्णय भारत के लिए उपयुक्त नहीं कहे जा सकते। सरकार में बैठे उनके भक्तों में सत्ता के समक्ष सच बोलने की हिम्मत नहीं है। सरकार कहती है महंगाई कम हुई है जबकि आंकड़े बताते हैं कि महंगाई बड़ी है। भाजपा सरकार शुरू से ही जनता का गुमराह करती आ रहा है, झूठे आंकड़े पेश कर झूठी वाहवाही लूटकर भाजपा खुद की पीठ थपथपाने में लगी हुई है जबकि देश की जनता महंगाई से कराह रही है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में दावा किया गया है कि जुलाई में भारत की खुदरा महंगाई दर घटकर करीब पांच साल के निचले स्तर 3.5 प्रतिशत पर आ गई। महंगाई में यह गिरावट बेहतर बेस इफेक्ट की वजह से आई है, जुलाई 2023 में उपभोक्ता महंगाई दर 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई थी जबकि हालात ये है बिक सब्जियों की कीमतों में 14.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। प्रमुख सब्जियों (आलू, प्याज और टमाटर) की कीमतों पर कोई नियंत्रण नहीं है। हालात ये है कि घरेलू बजट में कोई राहत मिलने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है। टमाटर 100 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव तक बिक चुका है।
उन्होंने कहा है कि जून 2024 में लोकसभा चुनावों के बाद दूध की कीमतों में बढ़ोतरी और मोबाइल टैरिफ में इजाफा हुआ पर सरकार है कि महंगाई पर नकेल कसने की बात कर रही है, जनता आंकड़ों पर क्यों भरोसा करे जबकि महंगाई की मार तो वही झेल रही है। कागजों का पेट भरने से महंगाई कम नहीं होगी, सरकार को कालाबाजारी करने वाला पर बिना किसी भेदभाव के अंकुश लगाना होगा।
उधर आम जनता पर दूध के महंगे होने के चलते महंगाई का बोझ और बढ़ गया। दूध के महंगे होने का मतलब है कि पनीर, दही, खोआ, मिठाईयां से लेकर दूध से बनने वाली सभी खाने-पीने की चीजें महंगी हो गई। उन्होंने कहा कि हद तो तब हो गई जब जून महीने के आखिरी हफ्ते में दो दिनों के भीतर ही तीनों बड़ी निजी टेलीकॉम कंपनियों रिलायंस जियो, भारतीय एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने 25 फीसदी तक मोबाइल टैरिफ महंगा कर दिया. प्रीपेड से लेकर पोस्टपेड टैरिफ दोनों महंगे हो गए साथ में डेटा भी महंगा हो गया। ऐसे में मोबाइल रिचार्ज कराने पर उपभोक्ताओं को अब ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों में बढ़ती महंगाई से जनता परेशान है, दालों के भाव उछाल मार रहे। क्या सरकार को दालों के भाव दिखाई नहीं दे रहे है, दाल आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही है, गरीब तो दाल के बारे में सोच ही नही सकता। आलू जिसे गरीबों की सब्जी कहा जाता है उसका भाव में भी 40 से 50 रुपये प्रति किग्रा है गोभी फिर से 100 रुपये प्रति किग्रा बिक रही है। हरा धनिया 300 रुपये प्रति किग्रा है सरकार को सब्जियों के बढ़ते भाव दिखाई नहीं दे रहे। किस मुंह से सरकार महंगाई कम होने का दावा कर रही हे, आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा को बताएगी कि महंगाई की मार क्या होती है।