डा. सीमा की जुबानी, IVF की काली कहानी
IN VITRO FERTILIZATION….संक्षिप्त में कहें तो आइवीएफ। अधिक सरल भाषा में कहें तो परखनली शिशु से जुड़ी चिकित्सा विज्ञान की गौरवपूर्ण उपलब्धि, लेकिन कुछ अति जटिल मामलों में सूनी गोद भरने वाली बांझपन उपचार की यह आधुनिकतम तकनीक सवालों के घेरे में भी है। बांझपन और इसके उपचार के लिए वरदान बनी आइवीएफ तकनीक पर सबसे गंभीर आरोप है इस तकनीक को व्यापार बना देना। जेब भरने का साधन बना लेना। ऐसा नहीं है कि सभी डाक्टर ऐसा कर रहे हैं, लेकिन कुछ डाक्टर और आइवीएफ सेंटर्स ऐसा अवश्य कर रहे हैं, जिसके चलते अब डाक्टरों के अंदर से ही एक मजबूत आवाज निकलकर बाहर आई है। आज हम आपको डा. सीमा मित्तल की जुबानी यह बताने जा रहे हैं कि आइवीएफ तकनीक किस तरह वरदान है और किस तरह इस तकनीक की आड़ में कुछ लोग व्यापार कर रहे हैं। उन्होंने बाकायदा प्रेस कांफ्रेस के बीच अपनी बात कही है। आप आगे चलकर डा. सीमा मित्तल की वीडियो में भी सुन सकेंगे कि IVF तकनीक की खूबियां क्या है और साथ में यह भी सुन सकेंगे कि उजले पक्ष के साथ इसका काला पक्ष क्या है। रेवाड़ी के ललिता मेमोरियल अस्पताल की संचालक डा. सीमा लंबे समय से आइवीएफ विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रही है और इस समय इंफर्टिलिटी के हरियाणा चेप्टर की सचिव है।
हम आपको यह भी बता दें कि प्रति वर्ष 25 जुलाई को वर्ल्ड आईवीएफ डे मनाया जाता है। आइवीएफ सोसायटी की ओर से इसी दिन संजीवनी प्रोजेक्ट की शुरूआत की जा रही है। इस बार 25 जुलाई को एक विशेष आयोजन किया जा रहा है। आप इस आयोजन की डिटेल डा. सीमा मित्तल से खुद सुन लीजिए। हम आपको यह बता दें कि महिला का अंडाणु और पुरुष का शुक्राणु लेकर इस तकनीक से शिशु का जन्म सुनिश्चित किया जाता है। 25 जुलाई 1978 को पहले आइवीएफ शिशु का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को आईवीएफ डे के रूप में मनाया जाता है।
पहले आप डा. सीमा की बातें सुनिए-