राजबब्बर इन, कैप्टन रहे आउट, कांग्रेसी नेताओं की एकता पर डाउट

राजबब्बर इन, कैप्टन रहे आउट, कांग्रेसी नेताओं की एकता पर डाउट

आज हम बात करने जा रहे हैं 7 जुलाई रविवार को गुरुग्राम के जीएनएच कन्वेंशन सेंटर में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन की। हम इस सम्मेलन की समीक्षा करेंगे। आपको यह बताएंगे कि भाजपा व खास तौर पर अपने सहपाठी राव इंद्रजीत के गढ़ में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उदयभान की जोड़ी क्या हासिल करने में कामयाब रही? हुड्डा की हुंकार में कितना दम रहा? उदयभान कितने वादे कर पाए? हम कम शब्दों में आपको ज्यादा बताने का प्रयास करेंगे। लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस उम्मीदवार राजबब्बर को अगर कहीं से सबसे बुरी हार नसीब हुई है तो वह है गुरुग्राम जिले की गुड़गांव और बादशाहपुर विधानसभा सीटें। इस परिणाम का संदेश काफी हद तक स्पष्ट था। इन दोनों विधानसभा सीटों के अलावा अन्य स्थानों पर कांग्रेस का प्रदर्शन लगभग दमदार रहा। गुड़गांव व बादशाहपुर का मतदाता मोदी से प्रभावित नजर आया। इसी कारण परिणाम एकतरफा भाजपा के पक्ष में आया था, लेकिन आज की समीक्षा करें तो हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि भाजपा की राज्य सरकारों ने गुरुग्राम जिले में कांग्रेस को अच्छा कहलवा दिया है। विभिन्न विभागों के अधिकारियों की मनमानी व गुरुग्राम नगर निगम की कार्यप्रणाली से लोग कहने लग गए हैं कि इनसे तो ठीक कांग्रेस ही थी। भाजपा के राज में तो पैसे भी दो और इन्हें इमानदार भी कहो।

दूसरा संदेश राजनीतिक रहा। राजबब्बर इन रहे और ओबीसी के राष्ट्रीय चेयरमैन कैप्टन अजय सिंह यादव आउट रहे। सूत्रों की मानें तो उन्हें किसी ने याद करना भी उचित नहीं समझा। हम यह कह सकते हैं कि इस बार गुड़गांव से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले राजबब्बर गुरुग्राम जिले में पार्टी का बड़ा चेहरा होंगे, मगर कैप्टन के आउट रहने से काग्रेसी नेताओं की एकता पर डाउट तो पैदा हो ही गया है। राहुल गांधी की क्लास के बाद कैप्टन यादव मुखर होकर कुछ बोल नहीं रहे हैं, लेकिन उनके चहेतों में ओबीसी नेता की उपेक्षा का दर्द है। हालांकि कुमारी सैलजा के समर्थक संख्या में अधिक नहीं है, लेकिन उनका भी अलग रहना कांग्रेस की सेहत के लिए शुभ संकेत नहीं है।

NJP HARYANA

तीसरा संदेश यह है कि टीम हुड्डा में खड़े सभी कांग्रेसी नेताओं को हुड्डा ने लड्डू दे दिए हैं। मतलब यह कहकर विधानसभा चुनाव में टिकट का आश्वासन दे दिया है कि सर्वे में जिसका नाम अव्वल आएगा, वही टिकट पाएगा। पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया, राव धर्मपाल के बेटे विरेंद्र यादव व युवा चेहरे वर्धन यादव जैसे कुछ लोगों को बोलने का भी अवसर दिया गया। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि बहुकोणीय मुकाबला सामने होने पर और एकजुटता बनने पर कांग्रेस गुरुग्राम जिले की चार में से दो सीटों पर पानी पिला सकती है।

इसकी वजह है विकास कार्यों में देरी। अब तक भाजपा सरकार में गुरुग्राम जिले की मेट्रो का एक पिलर बनकर तैयार नहीं हुआ है। हालांकि लगभग 5 हजार करोड़ का बजट मंजूर हो चुका है और पीएम को मोदी चुनाव पूर्व शिलाल्यास कर चुके हैं। हुड्डा ने कह दिया है कि चुनाव जीते तो हम गुरुग्राम से मानेसर तक मेट्रो देंगे। मेट्रो के अलावा आरआरटीएस का प्रोजेक्ट भी अभी तक ठंडे बस्ते में है। भाजपा पर निशाना साधते हुए हुड्डा ने कहा कि दिल्ली मेट्रो को गुरुग्राम, फरीदाबाद, बल्लभगढ़ और बहादुरगढ़ तक लाने का ऐतिहासिक काम कांग्रेस ने ही किया था। उसके बाद बीजेपी के 10 साल में मेट्रो एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी। जिस गुरुग्राम को कांग्रेस ग्लोबल सिटी के रूप में विकसित कर रही थी, उसे बीजेपी ने कूड़े के ढेर, ट्रेफिक और सीवरेज जाम की भेंट चढ़ा दिया है। कांग्रेस कार्यकाल के दौरान जापान के निवेश का 70 प्रतिशत गुरुग्राम और मानेसर में लगता था, लेकिन आज पहले से स्थापित उद्योग भी यहां से पलायन कर रहे हैं और कंपनियां मजदूर व कर्मचारियों की छंटनी कर रही है। हेपनिंग हरियाणा जैसी इवेंटबाजी करके बीजेपी ने एकबार दावा किया था कि साढ़े पांच लाख करोड़ का निवेश आएगा, लेकिन कुल 5 हजार करोड़ का निवेश भी नहीं आ पाया।

हम आपको यह भी बता दें कि हुड्डा और उदयभान ने गुरुग्राम में भी अपने पुराने वादे दोहराए हैं। 300 यूनिट तक बिजली फ्री, बुजुर्गों की पेंशन बढ़ाकर 6 हजार रुपये करने व गैस सिलेंडर 500 रुपये में देने जैसे वादे किए। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम से चार विधायक जिता दिए तो वह कांग्रेस की सरकार बना देंगे, लेकिन हुड्डा कुछ ज्यादा ही जोश भर गए। गुरुग्राम शहरी क्षेत्र है। यहां किसान आंदोलन का असर भी नहीं है। यहां पर कांग्रेस को सुशासन का वादा करके भाजपा को कटघरे में खड़ा करना होगा।

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