आज हम बात करेंगे केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और उनके जोड़ीदार सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह की। दोनों के बारे में कुछ बातें समान है। दोनों ही कह चुके हैं कि 2024 का लोकसभा चुनाव उनका आखिरी चुनाव था। राव इंद्रजीत अपनी बेटी आरती राव को और चौधरी धर्मबीर सिंह अपने बेटे मोहित को इस बार विधानसभा का चुनाव लड़वाना चाहते हैं। राव इंद्रजीत, गुड़गांव लो कसभा से चुनाव जीतकर छठी बार लोकसभा में पहुंचे हैं, जबकि धर्मबीर ने इस बार भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से हेट्रिक लगाई है। राव और धर्मबीर की गाढ़ी छनती है। दोनों की जोड़ी लंबे समय से चर्चा में रही है। राव इंद्रजीत न केवल टिकट के मामले में चौधरी धर्मबीर की पैरवी करते रहे हैं, बल्कि चुनाव जितवाने में भी इनका अहम योगदान रहा है। इस बार के चुनाव में तो राव के योगदान ने हारी बाजी जितवाने का काम किया है। इसी कारण अब दोनों से जुड़े सवाल एक साथ चर्चा में आने शुरू हो गए हैं। लोगों के बीच इन दिनों सबसे अधिक यही बात पूछी जा रही है कि क्या राव इंद्रजीत सिंह और चौधरी धर्मबीर सिंह अपनी पार्टी भाजपा से नाराज हैं? एक बड़ा सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि क्या राव इंद्रजीत सिंह इस बार विधानसभा चुनाव के समय इंसाफ मंच की राजनीति करेंगे? क्या राव इस बार अपने जोड़ीदार धर्मबीर के साथ मिलकर दक्षिण हरियाणा में कुछ दबाव की राजनीति करेंगे? आइए संक्षिप्त में हर सवाल का जवाब देते हैं।
क्या राव भाजपा से नाराज हैं?
पहले राव की बात करते हैं। राव की नाराजगी का कारण उन्हें कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया जाना बताया जा रहा है। इस बात में थोड़ा सा दम तो है, क्योंकि राव छह बार के सांसद हैं। उन्हें इस बार भी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया जाना उनके समर्थकों को रास नहीं आया है, लेकिन राव अपनी नाराजगी खुलकर प्रकट नहीं कर रहे हैं। उन्हें अभी विधानसभा चुनाव का इंतजार है। टिकट वितरण में राव की चौधर को सम्मान मिला तो राव राज्यमंत्री की कुर्सी से काम चला लेंगे और अगर मनपसंद सीट से बेटी आरती राव की टिकट में आनाकानी हुई तो फिर राव कुर्सी का मोह छोड़ देंगे। बेटी की टिकट के साथ-साथ राव, अपने कुछ विरोधियों की टिकट पर कैंची चलवाने का प्रयास भी करेंगे। यह समय बताएगा कि उन्हें कितनी कामयाबी मिलती है। हमारा मानना है कि इस बार पार्टी, राव इंद्रजीत सिंह के बेटी आरती राव को टिकट देगी। आरती के लिए राव इंद्रजीत बादशाहपुर, अटेली व कोसली में से किसी एक सीट पर दावेदारी कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार राव अपनी बेटी के लिए बादशाहपुर सीट को सबसे सेफ मानते हैं, लेकिन उनका मोह अटेली या कोसली से भी उतना ही है। हमारा अनुमान है कि राव की बेटी को भाजपा से टिकट मिल जाएगी।
क्या हैं धर्मबीर की नाराजगी का कारण?
अब बात करते हैं धर्मबीर सिंह की। धर्मबीर सिंह भी अपने बेटे मोहित के लिए किसी सेफ सीट से टिकट चाह रहे हैं, लेकिन भिवानी व दादरी जिले में भाजपा के लिए खतरे की घंटी भी है। टिकट के मामले में भाजपा, चौधरी धर्मबीर के बेटे मोहित के मामले में शायद ही आरती की तरह उदारता दिखाए। धर्मबीर की नाराजगी का कारण किरण चौधरी का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आना बताया जा रहा है। इससे धर्मबीर परेशान हैं। वैसे अंदर की बात तो यही है कि इस बार धर्मबीर के सांसद बनने की राह में छाए अंधेरे को किरण ने भी कुछ हद तक दूर किया है, लेकिन राजनीति में एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती वाली कहावत लागू होती है। धर्मबीर की भविष्य में कोई चुनाव न लड़ने की घोषणा को उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन असलियत में यह अपने बेटे मोहित के लिए राजनीति के मैदान में राह बनाने का प्रयास है। हमारा मानना है कि पार्टी मोहित को शायद ही टिकट दे, क्योंकि अगर मोहित को टिकट दी गई तो फिर कृष्णपाल गुर्जर सहित कई भाजपा नेता इस लाइन में नजर आएंगे।
विधानसभा चुनाव के समय इंसाफ मंच की राजनीति करेंगे राव?
एक बड़ा सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि क्या राव इंद्रजीत सिंह इस बार विधानसभा चुनाव के समय इंसाफ मंच की राजनीति करेंगे? हमारा जवाब है राव, राजनीतिक उपेक्षा का इंसाफ पाने के लिए इंसाफ मंच की सामाजिक गतिविधियां बेशक बढाए, लेकिन राजनीतिक गतिविधियां, भाजपा के बैनर तले ही जारी रहेगी। राव, इस बार अपने जोड़ीदार धर्मबीर के साथ मिलकर दक्षिण हरियाणा में कुछ दबाव की राजनीति अवश्य कर सकते हैं। यह दबाव गुड़गांव व भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की अधिक से अधिक टिकटें हासिल करने का रहेगा।
अब समापन की ओर बढ़ते हैं। एक बार फिर अपना निष्कर्ष बता देते हैं। राव इंद्रजीत की बेटी आरती को पार्टी इस बार टिकट दे देगी। धर्मबीर के बेटे की टिकट की राह इस बार भी मुश्किल रहेगी। राव ऐसा नहीं करेंगे कि खुद भाजपा में रहे और बेटी कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ें। इंद्रजीत, इंसाफ मंच को भी राजनीतिक दल के रूप में सामने नहीं लाएंगे। हां, बेटी की टिकट पर खतरा नजर आया तो राव अपने जोड़ीदार के साथ मिलकर सबको चौंका देंगे। उन्हें केंद्रीय मंत्री की कुर्सी से कतई मोह नहीं रहेगा। आइए इंतजार करते हैं। देखते हैं अहीरवाल में क्या कुछ बड़ा होने वाला है।
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