हरियाणा में 62 निकायों के ₹1400 करोड़ का हिसाब नहीं, हिसार-गुरुग्राम समेत 10 नगर निगमों में गड़बड़ी

गुरुग्राम। हरियाणा के 62 शहरी निकायों, जिनमें 10 नगर निगम भी शामिल हैं, में 1,400 करोड़ रुपये के खर्च का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह रकम टेंपरेरी एडवांस के रूप में अधिकारियों को विकास कार्यों के लिए दी गई थी, लेकिन इसका उपयोग किस तरह हुआ, इसके सबूत नहीं मिले। मामला विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था कमेटी की समीक्षा में सामने आया, जब 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई। कमेटी ने इस अनियमितता को लेकर सरकार से गबन की आशंका जताई है और जांच के आदेश देने के साथ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। खास बात यह है कि जिन 9 नगर निगमों में गड़बड़ी पाई गई, वहां हाल ही में चुनाव हुए हैं और नए मेयरों का शपथ ग्रहण इसी महीने होना है। क्या है टेंपरेरी एडवांस और इसमें कैसे हुई गड़बड़ी? टेंपरेरी एडवांस क्या है? निकायों में कई विकास कार्यों को अर्जेंट आधार पर कराने की जरूरत होती है। इसके लिए अधिकारियों को पहले ही फंड जारी कर दिया जाता है, जिसे बाद में वेरिफिकेशन के लिए अकाउंट डिपार्टमेंट को सबूतों के साथ वापस करना होता है। लेकिन इस मामले में सबूत पेश नहीं किए गए। मामला विधानसभा कमेटी तक कैसे पहुंचा? विधानसभा की विभिन्न विभागों के लिए अलग-अलग कमेटियां बनी हुई हैं, जो उनके कार्यों की समीक्षा करती हैं। शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था कमेटी के सामने जब यह ऑडिट रिपोर्ट रखी गई, तब इस घोटाले का पता चला। पांच साल पुरानी रिपोर्ट, अब क्यों आई चर्चा में? यह ऑडिट रिपोर्ट 2019-20 की है और गड़बड़ी भी उसी साल की गई थी। निकायों के खर्च का पहले इंटरनल ऑडिट किया जाता है और अगर इसमें कोई अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी को स्पष्टीकरण देने के लिए समय दिया जाता है। लेकिन इस मामले में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, जिसके कारण यह रकम अभी भी ऑडिट रिपोर्ट में अनएडजस्टेड एडवांस के रूप में दर्ज है। कमेटी ने पाया कि इतने वर्षों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे सरकार को भारी नुकसान हो सकता है। अब इस रिपोर्ट को आधार बनाकर जांच की मांग की गई है। सबसे ज्यादा गड़बड़ी कहां हुई? ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1,395.98 करोड़ रुपये के एडवांस का कोई हिसाब नहीं मिला है। इसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगम में सामने आई। फरीदाबाद नगर निगम – ₹781.75 करोड़ गुरुग्राम नगर निगम – ₹403.86 करोड़ अन्य 60 निकाय – शेष राशि ग़ौरतलब है कि 62 निकायों में यह वित्तीय गड़बड़ी सामने आने के बाद अब सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। विधानसभा कमेटी ने इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता मानते हुए कड़ी जांच और जवाबदेही तय करने की मांग की है। गुरुग्राम। हरियाणा के 62 शहरी निकायों, जिनमें 10 नगर निगम भी शामिल हैं, में 1,400 करोड़ रुपये के खर्च का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह रकम टेंपरेरी एडवांस के रूप में अधिकारियों को विकास कार्यों के लिए दी गई थी, लेकिन इसका उपयोग किस तरह हुआ, इसके सबूत नहीं मिले। मामला विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था कमेटी की समीक्षा में सामने आया, जब 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई। कमेटी ने इस अनियमितता को लेकर सरकार से गबन की आशंका जताई है और जांच के आदेश देने के साथ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। खास बात यह है कि जिन 9 नगर निगमों में गड़बड़ी पाई गई, वहां हाल ही में चुनाव हुए हैं और नए मेयरों का शपथ ग्रहण इसी महीने होना है। क्या है टेंपरेरी एडवांस और इसमें कैसे हुई गड़बड़ी? टेंपरेरी एडवांस क्या है? निकायों में कई विकास कार्यों को अर्जेंट आधार पर कराने की जरूरत होती है। इसके लिए अधिकारियों को पहले ही फंड जारी कर दिया जाता है, जिसे बाद में वेरिफिकेशन के लिए अकाउंट डिपार्टमेंट को सबूतों के साथ वापस करना होता है। लेकिन इस मामले में सबूत पेश नहीं किए गए। मामला विधानसभा कमेटी तक कैसे पहुंचा? विधानसभा की विभिन्न विभागों के लिए अलग-अलग कमेटियां बनी हुई हैं, जो उनके कार्यों की समीक्षा करती हैं। शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था कमेटी के सामने जब यह ऑडिट रिपोर्ट रखी गई, तब इस घोटाले का पता चला। पांच साल पुरानी रिपोर्ट, अब क्यों आई चर्चा में? यह ऑडिट रिपोर्ट 2019-20 की है और गड़बड़ी भी उसी साल की गई थी। निकायों के खर्च का पहले इंटरनल ऑडिट किया जाता है और अगर इसमें कोई अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी को स्पष्टीकरण देने के लिए समय दिया जाता है। लेकिन इस मामले में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, जिसके कारण यह रकम अभी भी ऑडिट रिपोर्ट में अनएडजस्टेड एडवांस के रूप में दर्ज है। कमेटी ने पाया कि इतने वर्षों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे सरकार को भारी नुकसान हो सकता है। अब इस रिपोर्ट को आधार बनाकर जांच की मांग की गई है। सबसे ज्यादा गड़बड़ी कहां हुई? ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1,395.98 करोड़ रुपये के एडवांस का कोई हिसाब नहीं मिला है। इसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगम में सामने आई। फरीदाबाद नगर निगम – ₹781.75 करोड़ गुरुग्राम नगर निगम – ₹403.86 करोड़ अन्य 60 निकाय – शेष राशि ग़ौरतलब है कि 62 निकायों में यह वित्तीय गड़बड़ी सामने आने के बाद अब सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। विधानसभा कमेटी ने इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता मानते हुए कड़ी जांच और जवाबदेही तय करने की मांग की है।

ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा, विधानसभा कमेटी ने जताई गबन की आशंका और सख्त कार्रवाई की सिफारिश

  • 62 निकायों में 1,400 करोड़ रुपये के टेंपरेरी एडवांस का कोई रिकॉर्ड नहीं
  • फरीदाबाद (₹781.75 करोड़) और गुरुग्राम (₹403.86 करोड़) में सबसे अधिक गड़बड़ी
  • 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा, अब तक कोई कार्रवाई नहीं

गुरुग्राम। हरियाणा के 62 शहरी निकायों, जिनमें 10 नगर निगम भी शामिल हैं, में 1,400 करोड़ रुपये के खर्च का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह रकम टेंपरेरी एडवांस के रूप में अधिकारियों को विकास कार्यों के लिए दी गई थी, लेकिन इसका उपयोग किस तरह हुआ, इसके सबूत नहीं मिले। मामला विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था कमेटी की समीक्षा में सामने आया, जब 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई।

कमेटी ने इस अनियमितता को लेकर सरकार से गबन की आशंका जताई है और जांच के आदेश देने के साथ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। खास बात यह है कि जिन 9 नगर निगमों में गड़बड़ी पाई गई, वहां हाल ही में चुनाव हुए हैं और नए मेयरों का शपथ ग्रहण इसी महीने होना है।

क्या है टेंपरेरी एडवांस और इसमें कैसे हुई गड़बड़ी?

टेंपरेरी एडवांस क्या है?

निकायों में कई विकास कार्यों को अर्जेंट आधार पर कराने की जरूरत होती है। इसके लिए अधिकारियों को पहले ही फंड जारी कर दिया जाता है, जिसे बाद में वेरिफिकेशन के लिए अकाउंट डिपार्टमेंट को सबूतों के साथ वापस करना होता है। लेकिन इस मामले में सबूत पेश नहीं किए गए।

मामला विधानसभा कमेटी तक कैसे पहुंचा?
विधानसभा की विभिन्न विभागों के लिए अलग-अलग कमेटियां बनी हुई हैं, जो उनके कार्यों की समीक्षा करती हैं। शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था कमेटी के सामने जब यह ऑडिट रिपोर्ट रखी गई, तब इस घोटाले का पता चला।

पांच साल पुरानी रिपोर्ट, अब क्यों आई चर्चा में?

यह ऑडिट रिपोर्ट 2019-20 की है और गड़बड़ी भी उसी साल की गई थी। निकायों के खर्च का पहले इंटरनल ऑडिट किया जाता है और अगर इसमें कोई अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी को स्पष्टीकरण देने के लिए समय दिया जाता है। लेकिन इस मामले में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, जिसके कारण यह रकम अभी भी ऑडिट रिपोर्ट में अनएडजस्टेड एडवांस के रूप में दर्ज है।

कमेटी ने पाया कि इतने वर्षों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे सरकार को भारी नुकसान हो सकता है। अब इस रिपोर्ट को आधार बनाकर जांच की मांग की गई है।

सबसे ज्यादा गड़बड़ी कहां हुई?

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1,395.98 करोड़ रुपये के एडवांस का कोई हिसाब नहीं मिला है। इसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगम में सामने आई।

  • फरीदाबाद नगर निगम – ₹781.75 करोड़
  • गुरुग्राम नगर निगम – ₹403.86 करोड़
  • अन्य 60 निकाय – शेष राशि

ग़ौरतलब है कि 62 निकायों में यह वित्तीय गड़बड़ी सामने आने के बाद अब सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। विधानसभा कमेटी ने इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता मानते हुए कड़ी जांच और जवाबदेही तय करने की मांग की है।

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