– उद्घाटन के बाद से स्कूल वीरान, अब पशुओं का अड्डा बना
– कोड न मिलने के कारण नहीं हो पाई कक्षाओं की शुरुआत
– विधायक बोले- जल्द मिलेगा कोड, फिर शुरू होंगी क्लासेस
फ़रीदाबाद। हरियाणा के फरीदाबाद में 12 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया हाईटेक गर्ल्स स्कूल अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। 15 अप्रैल 2021 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसका उद्घाटन किया था, लेकिन चार साल बाद भी यहां नियमित कक्षाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। स्कूल परिसर में झाड़ियां उग आई हैं, दरवाजे टूट चुके हैं और पंखे खराब हो चुके हैं। अब यह स्कूल पशुओं का अड्डा बन गया है।
उद्घाटन के बाद भी नहीं शुरू हुई पढ़ाई
बल्लभगढ़ के सेक्टर-3 में बनाए गए इस स्कूल का उद्घाटन बड़े स्तर पर किया गया था। कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, तत्कालीन शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर और विधायक मूलचंद शर्मा भी शामिल थे। इस स्कूल को सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस बताया गया था, लेकिन आज तक यहां कोई परमानेंट क्लास शुरू नहीं हो सकी।
2022 में बॉयज स्कूल किया गया था शिफ्ट
शिक्षा विभाग के अनुसार, साल 2022 में इस स्कूल में अस्थायी रूप से अंबेडकर चौक स्थित बॉयज स्कूल को शिफ्ट किया गया था। वहां नई इमारत के निर्माण के चलते छात्रों को यहां भेजा गया था। एक साल बाद जब नई बिल्डिंग तैयार हो गई, तो छात्रों को वापस वहां भेज दिया गया। इसके बाद से यह स्कूल एक बार फिर खाली पड़ा है।
स्कूल कोड न मिलने से अटका मामला
बल्लभगढ़ के खंड शिक्षा अधिकारी महेंद्र सिंह ने बताया कि स्कूल पिछले एक साल से बंद पड़ा है। कई बार शिक्षा निदेशालय को यहां कक्षाएं शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन अब तक अप्रूवल नहीं मिला। स्कूल को चालू करने के लिए सरकारी प्रक्रिया के तहत शिक्षा निदेशालय द्वारा एक कोड जनरेट किया जाता है, जिसके बाद ही प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ की नियुक्ति होती है।
विधायक ने दिया आश्वासन
बल्लभगढ़ से विधायक मूलचंद शर्मा ने बताया कि स्कूल के कोड के लिए फाइल चंडीगढ़ भेज दी गई है। जल्द ही कोड जारी किया जाएगा, जिसके बाद यहां पढ़ाई शुरू हो जाएगी। जब तक कोड नहीं मिलेगा, तब तक बजट आवंटन और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था संभव नहीं है।
सरकारी स्कूल के लिए कोड क्यों जरूरी?
हर सरकारी स्कूल को एक यूनिक कोड दिया जाता है, जिससे स्कूल को आधिकारिक मान्यता मिलती है। इस कोड के आधार पर प्रिंसिपल और स्टाफ की नियुक्ति होती है और स्कूल का बजट निर्धारित किया जाता है। बिना कोड के स्कूल में न तो शिक्षक तैनात किए जा सकते हैं और न ही अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। यही वजह है कि चार साल बाद भी यह हाईटेक स्कूल केवल एक खंडहर बनकर रह गया है।